ब्रेकिंग न्यूज : छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी दर के सर्वे पर हंगामेदार बहस, युवाओं से खिलवाड़ का आरोप लगाकर विपक्ष का वॉकआउट

Update: 2023-03-16 06:30 GMT

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रायपुर. छत्तीसगढ़ में बेरोजगारों के सर्वे के मुद्दे पर गुरुवार को प्रश्नकाल के दौरान हंगामेदार बहस हुई. इस चर्चा में विधानसभा स्पीकर डॉ. चरणदास महंत और सीएम भूपेश बघेल भी शामिल हुए. उन्होंने मंत्री उमेश पटेल को रोजगार पंजीयन कार्यालयों को वेल इक्विप्ड करने के निर्देश दिए. हालांकि सरकार की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने और युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाकर नारेबाजी करते हुए विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया.

प्रश्नकाल के दौरान अजय चंद्राकर ने प्रदेश में रोजगार व पंजीकृत बेरोजगारों के संबंध में सवाल करते हुए सीएमआईई (सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडिया इकॉनामिक) के आंकड़ों की मान्यता पर सवाल उठाए. उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा सीएमआईई के आंकड़ों को मान्यता नहीं दी गई है. आर्थिक विश्लेषण एवं सर्वेक्षण के क्षेत्र में प्रतिष्ठित संस्था होने के कारण इसकी जानकारी को सामान्य रूप से मान्य किया जाता है. मंत्री ने कहा कि नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) द्वारा हर साल आंकड़े जारी किए जाते थे, लेकिन पिछले 9 साल से यह संस्था अपनी रिपोर्ट नहीं दे रही है, इसलिए निजी संस्था के आंकड़ों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

चंद्राकर ने पूछा कि जिस संस्था के आंकड़ों को राज्य सरकार मान्यता नहीं दे सकती, उस पर बहस कर सकते हैं क्या? स्पीकर ने कहा कि राज्य सरकार ने मान्यता नहीं दी है तो बहस नहीं होनी चाहिए. चंद्राकर ने मंत्री द्वारा बेरोजगारों के संबंध में दी गई जानकारी पर सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा कि दो अलग-अलग तरह की जानकारी दी गई है. मंत्री ने कहा कि दो अलग-अलग विषय हैं, इसलिए जानकारी अलग है.

स्पीकर डॉ. महंत ने मंत्री से पूछा कि क्या पंजीयन कार्यालय में बेरोजगारों की संख्या आपको नहीं मिलती? मंत्री ने बताया कि रोजगार कार्यालयों के जरिए उपलब्ध जानकारी ही हमने दी है, लेकिन रोजगार कार्यालय में पंजीयन के बाद किसी नौकरी मिल गई, उसके वैलिडेशन का कोई तरीका नहीं है. हमने सभी जिलों से कलेक्टरों के माध्यम से जानकारी मंगाई है. फॉर्म भरवाए गए. युवाओं ने बताया कि उन्हें स्वरोजगार मिल गया है, उस डाटा को पब्लिक किया गया है.

स्पीकर ने मंत्री से कहा कि आप पंजीयन कार्यालयों को वेल इक्विप्ड कीजिए. पूरे प्रदेश के बेरोजगारों की संख्या और नौकरी से जुड़ा सीरियस मामला है. आपका पंजीयन कार्यालय बेहतर नहीं है. आप बेरोजगारों को भत्ता देने वाले हैं. मंत्री ने कहा कि रोजगार कार्यालय में पंजीयन होता है, लेकिन आधार कार्ड मेंडेटरी नहीं कर सकते. स्पीकर ने पूछा कि क्यों नहीं कर सकते? मंत्री ने कहा कि कोर्ट का आदेश है. स्पीकर ने कहा कि किस कोर्ट का आदेश है, मुझे जानकारी दीजिए. जो व्यक्ति रोजगार मांग रहा है, उसके पास आधार कार्ड नहीं है. स्पीकर ने कहा कि बेरोजगारी की परिभाषा तय होनी चाहिए और बेरोजगारी चिह्नित होने चाहिए. मंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आधार कार्ड को मेंडेटरी नहीं कर सकते.

मंत्री ने बताया कि बेरोजगारी भत्ता के लिए हमने क्राइटेरिया तय किया है. इसमें उम्र, आय और परिवार के किसी सदस्य के पास सरकारी नौकरी न हो, ऐसे पांच क्राइटेरिया तय किए गए हैं. हमारी सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देना तय किया है और हम देकर रहेंगे.

इसके बाद चंद्राकर फिर सवाल पूछने के लिए खड़े हुए. पहले आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने आपत्ति जताई कि मंत्री ने स्पीकर के पूछने पर सारी जानकारी उपलब्ध कराई है और कितना सवाल पूछेंगे. स्पीकर ने उन्हें बैठने के लिए इशारा किया. इसके बाद चंद्राकर फिर सवाल पूछने लगे तो खाद्य मंत्री भगत ने फिर आपत्ति जताई. भगत ने कहा कि कितना अनुपूरक प्रश्न पूछेंगे. 15-20 से ऊपर पूछ चुके हैं. यह सुनकर स्पीकर खड़े हो गए. उन्होंने कहा, 'आप मेरे ऊपर छोड़िए न. जो मामला छत्तीसगढ़ के बेरोजगारों से जुड़ा हुआ है, वह मेरे लिए ज्यादा गंभीर है. मैं दो-तीन चार पांच जितनी जरूरत समझूंगा, उसकी अनुमति दूंगा.'

इसके बाद चंद्राकर ने पूछा कि जिस संस्था को सरकार मान्यता नहीं देती, उसकी रिपोर्ट के आधार पर दो करोड़ रुपए का विज्ञापन दिया गया. क्या यह अनियमितता की श्रेणी में आता है. क्या वसूली की जाएगी? मंत्री ने कहा कि भले ही प्राइवेट संस्था है, लेकिन उसकी रिपोर्ट पूरे देश के लिए है, उसके आधार पर अखबारों में विज्ञापन दिया गया. मंत्री ने आरोप लगाया कि यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी थी. जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है, तब से एनएसएसओ की रिपोर्ट आनी बंद हो गई.

इस पर विपक्ष की ओर से आपत्ति की गई. चंद्राकर ने पूछा कि क्या यह उनके प्रश्न का उत्तर है. स्पीकर ने कहा कि यह प्रश्न का उत्तर नहीं है. चंद्राकर ने कहा कि यह सीधे सीधे करप्शन का मामला है. इस पर भगत ने विलोपित करने की मांग की. सत्ता पक्ष और विपक्ष की ओर से जोरदार हंगामा होने लगा. शिवरतन शर्मा ने कहा कि बोगस सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए संस्था को दो करोड़ का विज्ञापन दिया गया. जो संस्था मान्य नहीं है, उसकी रिपोर्ट पर कैसे विज्ञापन देंगे. इसके बाद एक बार फिर दोनों पक्षों की ओर से आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए.

हंगामे के बीच स्पीकर ने सीएम भूपेश बघेल की ओर इशारा कर कहा कि वे कुछ बताएंगे. सीएम ने कहा कि जो बात मंत्री ने कहा है, वह सही है. भारत सरकार द्वारा बेरोजगारी सर्वे की रिपोर्ट, जनगणना नहीं कराई जा रही है. इसके बिना कौन सा आधार लेंगे. सीएम ने कहा कि जिस सर्वे को दुनिया मान रही है, वह गलत है तो चैलेंज करके देखिए. ये छत्तीसगढ़ की उपलब्धि है, उस पर गर्व होना चाहिए.

चंद्राकर ने चैलेंज किया कि यह प्रायोजित सर्वे है. इसके बाद हंगामा होने लगा. इस बीच नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल ने कहा कि मंत्री की ओर से जो जवाब आया है, वह संतोषजनक नहीं है. इसमें भारत सरकार कहां से आ गया? मंत्री से पॉइंटेड प्रश्न किए जा रहे हैं तो पॉइंटेड उत्तर देना चाहिए. यदि संस्था से प्रेम है तो उसकी रिपोर्ट को मान्यता दीजिए. रोजगार कार्यालय के पंजीयन का आंकड़ा क्या सार्थक नहीं है. आपके यहां पूरे प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगार हैं. जिस प्रकार घुमाकर उत्तर दिया जा रहा है, बेरोजगार नौजवानों के साथ खिलवाड़ करने की मंशा है. केंद्र के पाले में डालने की कोशिश की जा रही है. कहां से मोदी जी आ गए, जनगणना आ गया. नेता प्रतिपक्ष ने स्पीकर से आग्रह किया कि आप मंत्रियों को बाध्य नहीं कर सकते लेकिन आप यह निर्देशित कर सकते हैं कि जो प्रश्न है, उसका सही उत्तर आए.

नेता प्रतिपक्ष ने कहा, सरकार बेरोजगार नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है, इसलिए बहिर्गमन कर रहे हैं. इसके बाद नारेबाजी करते हुए भाजपा विधायकों ने वॉकआउट कर दिया.

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