CG Dhan Kharirdi: धान खरीदी: केंद्र पर राजनीति करने आरोप, सीएम ने किसानों से खरीदी को लेकर कही यह बड़ी बात, देखें वीडियों
CG Dhan Kharirdi: छत्तीसगढ़ में धान की फसल अभी तैयार नहीं हुई है, लेकिन उसको लेकर राजनीित गरमा गई है। केंद्र सरकार ने राज्य से लिए जाने वाले चावल के कोटे में कटौती कर दी है। अब इसको लेकर बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है।
CG Dhan Kharirdi: रायपुर। धान को लेकर प्रदेश की राजनीति फिर गरमाने लगी है। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ से केंद्रीय पूल में लिए जाने वाले चावल का कोटा घटा दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसको लेकर केंद्र सरकार और भाजपा पर सीधा हमला बोला है। बघेल ने धान को लेकर केंद्र सरकार और भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
राजधानी रायपुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए सीएम बघेल ने बताया कि पहले 86 लाख टन चावल लेने की सहमति दी थी, लेकिन अब उसे कम कर दिया है। धान खरीदी के लिए बारदाना भी कम ही देंगे, जबकि हम किसानों से किए वादे के अनुसार इस बार 20 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से धान खरीदने की तैयारी में है। सीएम ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यजनक है अभी से राजनीति करने लगे हैं। सीएम ने दो टूक कहा कि केंद्र सरकार चावल ले न ले हम किसानों से धान खरीदेंगे।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि कोटा घटना के पीछे क्या है, जो चावल ले नहीं रहे हैं वो धान क्या खरीदेंगे। धान खरीदने का हल्ला करते हैं और चावल खरीद नहीं रहे हैं उसमें भी राजनीति। बघेल ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यजनक है कि ये लोग अभी से खेलना शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि पहले भी इसी तरह से हम लोगों के साथ व्यवहार किया गया है। तब हम लोगों को घाटा शह के खुलेबाजार में धान बेचना पड़ा था। सीएम ने कहा कि घाट शह के भी किसानों को घाटा नहीं होने देंगे। भारतीय जनता पार्टी को हर चीज में राजनीति दिखाई देती है। किसानों के साथ उन्होंने हमेशा धोखा किया है। सीएम ने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार ले न ले हम हर स्थिति में किसानों से धान खरीदेंगे।
जानिए क्या है धान खरीदी से केंद्र सरकार का रिश्ता
दरअसल राज्य सरकार धान की खरीदी केंद्र सरकार की एजेंसी के रुप में करती है। धान की खरीदी शुरू होते ही राज्य सरकार विभिन्न बैंकों से कर्ज लेकर किसानों को भुगतान करती है। यह राशि बाद में केंद्र सरकार सालभर में लौटा देती है। इसमें धान का परिवहन व्यय भी शामिल रहता है। इसी वजह से केंद्र सरकार केंद्रीय पूल में जिनता चावल लेने की सहमति देती है उसी के हिसाब से राज्य सरकार यहां धान खरीदी का लक्ष्य तय करती है। इस बार केंद्र सरकार ने 86 लाख टन चावल लेने की बात कही थी। इस हिसाब से राज्य सरकार ने धान खरीदी का बड़ा लक्ष्य तय कर लिया था, लेकिन अब केंद्र केवल 61 लाख टन ही चावल लेने की बात कह रही है।
पहले भी केंद्रीय पूल में चावल के कोटा को लेकर हो चुका है विवाद
केंद्रीय कोटे में चावल लेने को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच पहले भी विवाद हो चुका है। वर्ष 2019-20 में केंद्र सरकार ने पहले 60 लाख टन चावल लेने की समहति दी थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर 24 लाख टन कर दिया। केंद्र सरकार ने तब यह कहते हुए कोटा घटाया था कि राज्य सरकार धान पर किसानों को बोनस दे रही है। यह भारत के अंतरराष्ट्रीय समझौतों के खिलाफ है। इस वजह से छत्तीसगढ़ सरकार ने ज्यादा चावल नहीं ले सकते।
बताते चले कि एक अंतरराष्ट्रीय समझौते का हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने 2014-15 से ही समर्थन मूल्य के अतिरिक्त बोनस देने पर रोक लगा दिया है। 2018 में छत्तीसगढ़ की सत्ता में आई कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी वादे के तहत 2500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों को भुगतान किया। यह समर्थन मूल्य से अधिक था। इसी वजह से 2019-20 में केंद्र ने चावल लेने से मना कर दिया। बाद में राज्य सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की और काफी प्रयास के बाद केंद्र सरकार फिर 60 लाख टन चावल लेने के लिए राजी हो गई।
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन 2023 (Kharif Season 2023) और विधानसभा चुनाव 2023 (Chhattisgarh Assembly Election 2023) की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। किसान राज्य की सबसे प्रमुख फसल धान की खेती में व्यस्त हो गए हैं तो दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियां भी इसकी सियासी खेती में जुट गई हैं। खेतों में धान (Paddy in Chhattisgarh) के बीज डलने के साथ ही धान खरीदी (Dhan Kharidi) के लक्ष्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। पिछले खरीफ सीजन में प्रदेश में रिकार्ड तोड़ 107 मिट्रिक टन से ज्यादा धान खरीदी हुई थी। स्वभाविक रुप से इस बार लक्ष्य इससे बड़ा ही होगा।
पिछले खरीफ सीजन में सरकार ने 110 लाख टन धान समर्थन मूल्य पर खरीदने का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य के विरुध्द 107 लाख टन से ज्यादा की खरीदी हुई। इस बार जब धान खरीदी शुरू होगी (नवंबर) तब राज्य में विधानसभा चुनाव का माहौल रहेगा। ऐसे में सरकार किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने की कोशिश करेगी। सरकार इस बार 125 लाख टन धान खरीदी का लक्ष्य रख सकती है। इस खरीदी के लिए सरकार करीब 32 हजार करोड़ का कर्ज लेगी। कांग्रेस पार्टी अभी से सोशल मीडिया में इस लक्ष्य का प्रचार करने में जुट गई है। इस खबर को आगे पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें
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रायपुर। छत्तीसगढ़ की सरकार राज्य के किसानों से सबसे ज्यादा दाम पर धान की खरीदी करती है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि शामिल करते हुए पिछले खरीफ सीजन में राज्य सरकार ने किसानों को 2600 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा के भाव से किसानों को भुगतान किया, जो देश में सर्वाधिक है। इस बीच प्रदेश के सबसे कद्दावार मंत्री रविंद्र चौबे का धान खरीदी को लेकर एक बड़ा बयान सामने आया है। चौबे ने कहा है कि हमारे अगले कार्यकाल में राज्य के किसानों को धान 3600 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा।
एनपीजी न्यूज से चर्चा करते हुए मंत्री चौबे ने बताया कि आज किसान सम्मेलन को संबोधि करते हुए मैंने यह बात कही है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष भी धान की कीमत पूरे देश में सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ के किसानों को मिली। आने वाले साल धान की कीमत किसानों को लगभग 2800 रुपये मिलेगी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि और राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत इनपुट सब्सिडी के कारण से अगले कार्यकाल तक किसानों को धान की कीमत 3600 रुपये प्रति क्विंटल तक मिलने लगेगी। यहां यह भी बताते चले कि राज्य सरकार ने इस खरीफ सीजन से किसानों से प्रति एकड़ 20 क्विंटल के मान से धान खरीदी करने की घोषणा की है। अभी तक 15 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से खरीदी हो रही थी। इस खबर को आगे पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें
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रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में केंद्रीय पूल में चावल उपार्जन का लक्ष्य 86.5 लाख मे.टन यथावत रखने का अनुरोध किया है। साथ ही परिणामी चावल की पैकेजिंग के लिए 3.56 लाख गठान नए जूट बैग की आपूर्ति जूट कमिश्नर के माध्यम से कराए जाने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र में लिखा है कि खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग, भारत सरकार द्वारा खाद्य सचिवों की बैठक 21 अगस्त 2023 की जारी कार्यवाही विवरण 28 अगस्त 2023 द्वारा राज्य में धान के उपार्जन अनुमान 130 लाख टन के अनुसार बनने वाले परिणामी चावल की 86.5 लाख मे.टन मात्रा को घटाते हुए 61 लाख मे.टन कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त जूट पैकेजिंग की छठवीं आपूर्ति योजना 06 सितंबर 2023 द्वारा केन्द्रीय पूल में चावल उपार्जन हेतु आवश्यक नये जूट बारदानों की आपूर्ति मात्रा को कम करते हुए 3.56 लाख गठान के स्थान पर 2.45 लाख गठान किया गया है। इस खबर को आगे पढ़ने के लिए यहां क्लीक करें