Paddy in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में रिकार्ड तोड़ धान खरीदी की तैयारी, जानिए इस बार किसानों के लिए सरकार कितना लेगी कर्ज
छत्तीसगढ़ के बड़े हिस्से में धान की खेती होती है। धान राज्य के किसानों की आय का महत्वूपर्ण जरिया है। यही वजह है कि इससे राज्य की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था के साथ ही राजनीति भी प्रभावित होती है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में खरीफ सीजन 2023 (Kharif Season 2023) और विधानसभा चुनाव 2023 (Chhattisgarh Assembly Election 2023) की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। किसान राज्य की सबसे प्रमुख फसल धान की खेती में व्यस्त हो गए हैं तो दूसरी तरफ राजनीतिक पार्टियां भी इसकी सियासी खेती में जुट गई हैं। खेतों में धान (Paddy in Chhattisgarh) के बीज डलने के साथ ही धान खरीदी (Dhan Kharidi) के लक्ष्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। पिछले खरीफ सीजन में प्रदेश में रिकार्ड तोड़ 107 मिट्रिक टन से ज्यादा धान खरीदी हुई थी। स्वभाविक रुप से इस बार लक्ष्य इससे बड़ा ही होगा।
खरीफ सीजन 2023 में 125 लाख टन का लक्ष्य Paddy in Chhattisgarh
पिछले खरीफ सीजन में सरकार ने 110 लाख टन धान समर्थन मूल्य पर खरीदने का लक्ष्य रखा था। इस लक्ष्य के विरुध्द 107 लाख टन से ज्यादा की खरीदी हुई। इस बार जब धान खरीदी शुरू होगी (नवंबर) तब राज्य में विधानसभा चुनाव का माहौल रहेगा। ऐसे में सरकार किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने की कोशिश करेगी। सरकार इस बार 125 लाख टन धान खरीदी का लक्ष्य रख सकती है। इस खरीदी के लिए सरकार करीब 32 हजार करोड़ का कर्ज लेगी। कांग्रेस पार्टी अभी से सोशल मीडिया में इस लक्ष्य का प्रचार करने में जुट गई है।
जानिए क्यों छत्तीसढ़ की राजनीति के केंद्र में रहता है धान
धान से छत्तीसगढ़ की राजनीति के केंद्र में रहता है। हर बार खरीफ सीजन शुरू होने के साथ ही धान (Chhattisgarh Paddy) को लेकर बयानबाजी का दौर शुरू हो जाता है जो कम से कम फरवरी- मार्च तक चलता है। धान के मुद्दे पर विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस जो आरोप तत्कालीन भापजा सरकार पर लगाती थी, लगभग वही आरोप आज भाजपा सत्तारुढ़ कांग्रेस पार्टी पर लगती है।
धान राज्य की प्रमुख फसल होने के साथ ही किसानों की आय का सबसे बड़ा जरिया है। इसी वजह से यह राजनीति के केंद्र में रहता है। धान की खेती की अहमियत को किसानों के आंकड़े और खेती के रकबा से समझा जा सकता है। राज्य में बड़े- छोटे मिलाकर साढ़े 37 लाख किसान हैं। वहीं, पिछले सीजन में धान बेचने के लिए पंजीयन 25 लाख 72 हजार किसानों ने पंजीयन कराया था। इनकी खेती का रकबा 30.44 लाख हेक्टेयर था। 2022-23 में पंजीयन कराने वालों में से लगभग साढ़े 23 लाख ने सरकारी मंडी में धान बेचा था।
ऐसे तय करती है राज्य सरकार धान खरीदी का लक्ष्य Paddy in Chhattisgarh
खाद्य विभाग के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार धान खरीदी (Paddy Procurement) का लक्ष्य अपने मन से तय नहीं करती बल्कि यह केंद्र सरकार पर निर्भर करता है। सामान्यत: केंद्र सरकार राज्य से जितना चावल लेने की सहमति देती है राज्य सरकार उसी हिसाब से धान खरीदी का लक्ष्य तय करती है। बताते चले कि प्रदेश में धान की खरीदी राज्य सरकार केंद्र की एजेंसी के रुप में करती है। विभागीय अफसरों के अनुसार धान खरीदी के दौरान राज्य सरकार कर्ज लेकर किसानों को धान की कीमत का भुगतान करती है। वहीं, केंद्र सरकार जितना चावल लेती है उसके हिसाब से राज्य सरकार को भुगतान कर देती है। प्रदेश में इसको लेकर भी कांग्रेस और भाजपा के बीच विवाद चल रहा है। भाजपा कह रही है कि छत्तीसगढ़ के किसानों के धान का पैसा केंद्र सरकार देती है, वहीं कांग्रेस का दावा है कि धान की पूरी खरीदी राज्य सरकार अपने दम पर करती है।
इस वर्ष प्रति एकड़ 20 क्विंटल तक बेच सकेंगे किसान
छत्तीसगढ़ के किसान इस बार प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान बेच सकेंगे। सरकार ने इस बार यह लक्ष्य बढ़ा दिया है। अभी तक किसानों से 15 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से धान खरीदी की जा रही थी।
देखें धान खरीदी का 23 वर्षों का आंकडा, हर वर्ष बढ़ रहा ग्राफ
वर्ष धान खरीदी
2000-01 463104
2001-02 1334227
2002-03 1474382
2003-04 2705067
2004-05 2886730
2005-06 3586742
2006-07 3714281
2007-08 3151005
2008-09 3747000
2009-10 4408696
2010-11 5073384
2011-12 5900572
2012-13 7121939
2013-14 7972156
2014-15 6310424
2015-16 5929232
2016-17 6959059
2017-18 5688938
2018-19 8038030
2019-20 8394000
2020-21 9280000
2021-22 9797000
2022-23 10751000
(खरीदी का आंकड़ा मिट्रिक टन में)