Yuktiyuktkaran News: बड़ा रिफार्म: विष्णुदेव सरकार ने स्कूल शिक्षा में किया ऐतिहासिक रिफार्म, 30 साल बाद छत्तीसगढ़ में कोई स्कूल शिक्षक विहीन नहीं...

Yuktiyuktkaran News: शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण में बीईओ, डीईओ ने जरूर बड़ा खेल कर डाला मगर ये सही है कि छत्तीसगढ़ में 30 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि अब कोई स्कूल शिक्षक विहीन नहीं है। वरना, 90 के दशक से स्कूलों में शिक्षकों की समस्या शुरू हो गई थी। और पिछले दो दशक में ऐसा हुआ कि सैकड़ों प्रायमरी और मीडिल स्कूल शिक्षक विहीन हो गए। बहरहाल, विष्णुदेव साय सरकार ने साहसिक फैसला लेकर सिर्फ शिक्षकों का ही नहीं, बल्कि 10 हजार से अधिक स्कूलों का युक्तियुक्तकरण कर डाला। इससे करीब 13 हजार शिक्षक मिल गए। बता दें, स्कूल शिक्षा विभाग का दायित्व संभालने के बाद मुख्यमंत्री ने विधानसभा में घोषणा की थी, वे युक्तियुक्तकरण के जरिये शिक्षकों की कमी को पूरा करने का प्रयास करेंगे और उन्होंने इसे कर दिखाया।

Update: 2025-07-04 06:27 GMT

Yuktiyuktkaran News: रायपुर। स्कूल शिक्षा में जो रिफार्म हुआ है, वह अपने आप में बड़ा सुधार है। ऐसा सुधार, जिसकी जरूरत पिछले दो दशक से भी अधिक समय से छत्तीसगढ़ में की जा रही थी। दरअसल, 90 के दशक से शिक्षकों का अटैचमेंट शुरू हुआ। गांवों के स्कूलों को छोड़ शिक्षक जुगाड़ लगाकर शहरों में अटैचमेंट कराने लगे या फिर ट्रांसफर करा लिया। जिन स्कूलों में जरूरत नहीं थी, वहां भी पोस्टिंग करा डाली। सरप्लस होने के बाद भी वे सालों से उन स्कूलों में डटे रहे। शिक्षकों का कैडर बड़ा है, इसलिए कोई सरकार हाथ डालना नहीं चाहती थी। वोट बैंक के चलते सरकारें अतिशेष शिक्षकों को हटाने से बचती थी। नगरीय निकाय चुनाव से पहले युक्तियुक्तकरण की कोशिशों के खिलाफ शिक्षक जब लामबंद होने लगे तो सरकार ने पैर खींच लिया था। मगर ैजैसे ही चुनाव संपन्न हुआ, युक्तियुक्तकरण को अंतिम रूप दे दिया गया।

प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और संतुलित बनाने की दिशा में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से बेहतर परिणाम मिले हैं। प्रदेश में युक्तियुक्तकरण के पूर्व कुल 453 विद्यालय शिक्षक विहीन थे। युक्तियुक्तकरण के पश्चात एक भी विद्यालय शिक्षक विहीन नहीं है। इसी प्रकार युक्तियुक्तकरण के पश्चात प्रदेश के 5936 एकल शिक्षकीय विद्यालयों में से 4728 विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना की गई है जो कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक सार्थक कदम है, जिससे निःसंदेह उन विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा और अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिलेगा।

बस्तर एवं सरगुजा संभाग के कुछ जिलों में शिक्षकों की कमी के कारण लगभग 1208 विद्यालय एकल शिक्षकीय रह गये हैं। निकट भविष्य में प्रधान पाठक एवं व्याख्याता की पदोन्नति तथा लगभग 5000 शिक्षकों की सीधी भर्ती के द्वारा शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में पूर्ति कर दी जावेगी, जिससे कोई भी विद्यालय एकल शिक्षकीय नहीं रहेगा तथा अन्य विद्यालयों में भी जहां शिक्षकों की कमी है, शिक्षकों की पूर्ति की जाएगी।

युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया, शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में निहित प्रावधानों के तहत की गई है, प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक स्तर पर 2008 के सेटअप की प्रासंगिकता नहीं रह गई है। ऐसे अधिकारी-कर्मचारी जो किसी भी प्रकार की अनियमितता में संलिप्त पाये गये, उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई है।

नियद नेल्ला नार और युक्तियुक्तकरण से माओवाद प्रभावित गाँव में लौटी शिक्षा की रौशनी

कभी वीरान पड़ा था ये स्कूल.... दरवाजों पर ताले लटकते थे, कमरे धूल और सन्नाटे से भरे रहते थे। लेकिन आज वही ईरकभट्टी का प्राथमिक शाला बच्चों की चहचहाहट और पाठों की गूंज से फिर से जीवंत हो उठा है। अबुझमाड़ के इस सुदूर गांव में फिर से शिक्षा की लौ जल उठी है, जिसका श्रेय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार द्वारा संचालित ‘नियद नेल्ला नार’ योजना और युक्तियुक्तकरण की पहल को जाता है।

बीते कुछ वर्षों में माओवादी गतिविधियों के चलते गांवों की रंगत फीकी पड़ गई थी। बच्चों के हाथों से किताबें छूट गई थीं, स्कूलों के आँगन सुनसान हो गए थे और मांदर की थाप भी खामोश हो गई थी। नारायणपुर जिले के ईरकभट्टी भी ऐसा ही एक गांव था, जहां लोग हर हाल में जीवन को संवारने की कोशिश करते थे, लेकिन शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरत तक से वंचित थे। यहां के निवासी रामसाय काकड़ाम कहते है कि पहले लगता था कि हमारे बच्चे शायद कभी स्कूल का नाम भी नहीं जान पाएंगे, लेकिन अब जब शिक्षकों की नियुक्ति हो गई है और स्कूल फिर से खुल गया है, तो लगता है मानो गाँव में फिर से जान लौट आई हो।


‘नियद नेल्ला नार’ यानी ‘आपका अच्छा गांव’ योजना ने ईरकभट्टी जैसे दूरदराज और संघर्षरत गांवों में एक नई उम्मीद जगाई है। सुरक्षा कैंपों के पांच किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों में योजनाओं को प्रभावी तरीके से पहुँचाया जा रहा है। इसी क्रम में ईरकभट्टी में सड़क बनी, बिजली पहुंची और वर्षों से बंद पड़ा प्राथमिक स्कूल फिर से खुल गया। शासन के युक्तियुक्तकरण प्रयास से प्राथमिक शाला ईरकभट्टी में अब दो शिक्षक नियमित रूप से पदस्थ हैं।  अशोक भगत और लीला नेताम नामक शिक्षक यहां के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वे न केवल पठन-पाठन का कार्य कर रहे हैं, बल्कि अभिभावकों को भी प्रेरित कर रहे हैं कि वे अपने बच्चों को नियमित रूप से स्कूल भेजें।

शिक्षिका लीला नेताम बताती हैं कि पहले तो यहां डर लगता था, लेकिन बच्चों की मुस्कुराहट सब डर भुला देती है। ये बच्चे बहुत होशियार हैं, बस उन्हें अवसर की जरूरत थी। अब हम हर दिन उन्हें नया सिखाने का प्रयास करते हैं। अब स्कूल में दर्जन भर से अधिक बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। छोटे-छोटे हाथों में किताबें हैं, और उन आंखों में भविष्य के सपने। पहले जो गांव स्कूल जाने के नाम से डरते थे, अब वहां लोग अपने बच्चों को कंधे पर बिठाकर स्कूल छोड़ने आते हैं।

गांव के बुजुर्ग मंगतु बाई की आंखों में आंसू हैं, लेकिन खुशी के। वे कहती हैं कि अब हमारी पोती भी पढ़-लिखकर अफसर बन सकती है। हमने कभी सोचा भी नहीं था कि ये दिन भी देखेंगे। ईरकभट्टी की कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि उन हजारों गाँवों की है, जो कभी उपेक्षा और असुरक्षा के अंधेरे में डूबे हुए थे। लेकिन अब ‘नियद नेल्ला नार’ और युक्तियुक्तकरण जैसी योजनाएं उनके जीवन में उजाले की किरण लेकर आई हैं। शिक्षा की लौ फिर से जल चुकी है और यह लौ अब बुझने वाली नहीं।


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