TET Exam Inside Story: TET की अनिवार्यता: TET की अनिवार्यता को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश, आदेश के दो साल बाद भी TET नहीं किया पास तो नौकरी से धोना पड़ेगा हाथ

TET Exam Inside Story: TET की अनिवार्यता: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के राज्यों में संचालित प्राइमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षकों के लिए टेट पास करने की अनिवार्यता रख दी है। इसके लिए दो साल का समय तय कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर अगर कोई शिक्षक दो साल के भीतर टेट पास नहीं करता है तो नौकरी से हाथ भी धोना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश बिलासपुर हाई कोर्ट में भी इसी तरह की एक याचिका चल रही है, जिसमें शिक्षकों ने TET को पदोन्नति में अनिवार्य रूप से लागू करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में शिक्षक संगठनों के बीच कुछ ज्यादा ही हलचल देखी जा रही है। पढ़िए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा है।

Update: 2025-12-13 08:41 GMT

TET Exam Inside Story: बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के राज्यों में संचालित प्राइमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षकों के लिए टेट पास करने की अनिवार्यता रख दी है। इसके लिए दो साल का समय तय कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर अगर कोई शिक्षक दो साल के भीतर टेट पास नहीं करता है तो नौकरी से हाथ भी धोना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश बिलासपुर हाई कोर्ट में भी इसी तरह की एक याचिका चल रही है, जिसमें शिक्षकों ने TET को पदोन्नति में अनिवार्य रूप से लागू करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में शिक्षक संगठनों के बीच कुछ ज्यादा ही हलचल देखी जा रही है। यहां यह भी बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का परिपालन करने की बाध्यता देशभर के राज्यों को है।

एक याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि सरकारी स्कूलों में कक्षाा 1 से 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा TET पास करना अनिवार्य है। कोर्ट ने कहा कि यह नियम 2011 के बाद नियुक्त शिक्षकों पर लागू होगा। ऐसे शिक्षक जिनकी नियुक्ति 2010 के बाद हुई है, उन्हें नियुक्ति के दो साल के भीतर TET पास करना अनिवार्य होगा। अगर कोई शिक्षक TET परीक्षा दो साल में पास नहीं करता है, तो उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है या नौकरी से त्यागपत्र देना पड़ सकता है।

 TET को पदोन्नति में अनिवार्य रूप से लागू कराने शिक्षकों ने हाई कोर्ट में दायर की है याचिका

TET को शिक्षक पदोन्नति व भर्ती में अनिवार्य रूप से लागू करने की मांग को शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने राज्य सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया है। मामले की सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को कहा है कि TET को पदोन्नति में अनिवार्य बनाने के मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट करें।

दिनेश कुमार साहू एवं अन्य ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। दायर याचिका में आरोप लगाया है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा TET को पदोन्नति हेतु छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा सेवा (शैक्षणिक एवं प्रशासनिक संवर्ग) भर्ती एवं पदोन्नति नियम, 2019 के संबंध में इसकी अनिवार्यता नहीं रखा है। इससे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सीधा-सीधा उल्लंघन हो रहा है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 23(1), राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद NCTE की अधिसूचना, और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट के 1 सितंबर 2025 के निर्णय के अनुसार, जिन शिक्षकों का सेवा में पांच वर्ष से कम समय शेष हैं, वे बिना TET पास किए भी सेवानिवृत्ति तक सेवा जारी रख सकते हैं, लेकिन यदि वे पदोन्नति चाहते हैं तो टीईटी पास करना आवश्यक है।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षकों के सेवा में पांच वर्ष या उससे अधिक शेष है, उन्हें दो वर्षों के भीतर टीईटी परीक्षा पास करनी होगी, अन्यथा उन्हें सेवा से वंचित किया जाएगा या अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। इसके साथ अंतिम लाभ नियमों के अनुसार दिया जाएगा। बॉम्बे हाईकोर्ट के 16 सितंबर 2025 के आदेश का हवाला देते हुए बताया कि कोर्ट ने कहा है कि जो शिक्षक 1 सितंबर 2025 से पहले टीईटी या केंद्रीय टीईटी CTET पास कर चुके हैं, वे सेवा में रहेंगे, और जिन शिक्षकों ने TET या CTET पास नहीं किया है, उन्हें दो वर्ष का समय दिया जाए।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इन निर्णयों के परिप्रेक्ष्य में राज्य सरकार से कहा है कि वे TET को पदोन्नति में अनिवार्य बनाने के मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट करें। इस परिपेक्ष में छत्तीसगढ़ सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष रविंद्र कुमार राठौर ने कहा कि राज्य सरकार को तत्काल टीईटी के खिलाफ अन्य राज्य सरकारों की तरह पुनर्विचार याचिका लगानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का TET पर यह फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सरकारी स्कूलों में 1 से 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य है। .यह नियम 2011 के बाद नियुक्त शिक्षकों पर लागू होगा। ऐसे शिक्षक जिनकी नियुक्ति 2010 के बाद हुई है, उन्हें नियुक्ति के दो साल के भीतर TET पास करना अनिवार्य होगा। अगर कोई शिक्षक TET परीक्षा दो साल में पास नहीं करता है, तो उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है या नौकरी से त्यागपत्र देना पड़ सकता है।

जिन शिक्षकों की सेवा में पांच साल से कम समय बचा है यानी वे जल्द ही रिटायर होने वाले हैं, उन शिक्षकों को TET पास करने से छूट दी गई है; लेकिन प्रमोशन के लिए TET अनिवार्य है। जिन शिक्षकों की नियुक्ति RTE (राइट टू एजुकेशन एक्ट) लागू होने के पहले हुई है और जिनकी सेवा में 5 साल से अधिक बचे हैं, उन्हें अगले दो साल के भीतर TET पास करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट का एक और फैसला बगैर TET स्पेशल टीचर की नियुक्ति पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन NCTE से पूछा है कि स्पेशल एजुकेटर्स की नियुक्ति में टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट TET पास करना ज़रूरी शैक्षणिक योग्यता है या नहीं। कोर्ट ने मौजूदा कानूनी स्थिति को स्पष्ट करने का निर्देश दिया है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की डिवीजनर बेंच ने रजनीश कुमार पांडे बनाम यूनियन ऑफ इंडिया से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किया है।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट राणा मुखर्जी ने डिवीजन बेंच का ध्यान रजनीश कुमार पांडे मामले में 2021 के फैसले की ओर दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा कि प्री-स्कूल से क्लास V तक के एजुकेटर्स के लिए TET को न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता माना गया था। डिवीजन बेंच ने कहा कि यह उसकी मौजूदा सोच के उलट है कि एक कोऑर्डिनेट बेंच के 7 मार्च 2025 के ऑर्डर के मुताबिक, स्पेशल एजुकेटर्स के पास रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया RCI की योग्यता होनी चाहिए।

एमिकस क्यूरी ऋषि मल्होत्रा ​​ने 21 जुलाई 2022 के सुप्रीम कोर्ट के पहले के ऑर्डर का भी ज़िक्र किया, जिसमें शिक्षा मंत्रालय के 10 जून 2022 के सर्कुलर पर चर्चा की गई थी, जिसमें CTET, TET व NTA स्कोर के साथ-साथ क्लासरूम डेमोंस्ट्रेशन और इंटरव्यू को

भर्ती प्रक्रिया का हिस्सा माना गया है। मामले की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने कहा कि कई राज्यों ने स्पेशल एजुकेटर्स के लिए भर्ती प्रक्रिया यह मानकर आगे बढ़ाई कि RCI ही एकमात्र ज़रूरी योग्यता है, लेकिन उन्होंने अपने नोटिफिकेशन में TET को अनिवार्य योग्यता के तौर पर नहीं बताया। डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि मामले को सुलझाने के लिए NCTE को पक्षकार बनाया जाए। डिवीजन बेंच ने एमिकस क्यूरी को उन सभी राज्य के नोटिफिकेशन को इकट्ठा करने के लिए भी कहा है, TET के बगैर ही स्पेशल एजुकेटर की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है।

डिवीजन बेंच ने निर्देश दिया है कि किसी भी उम्मीदवार को स्पेशल एजुकेटर के तौर पर तब तक भर्ती नहीं किया जाएगा, जब तक उसके पास TET की याेग्याता न हो, खासकर उन मामलों में जहां भर्ती प्रक्रिया लगभग पूरा होने वाला है। डिवीजन बेंच ने कहा कि अगर कोई भर्ती प्रक्रिय पूरा होने वाला है तो हम यह साफ़ कर देते हैं कि किसी भी उम्मीदवार को तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा, जब तक उसके पास TET की योग्ता न हो।

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