NATIONAL EDUCATION POLICY 2024: छठवीं क्लास से ही सिखाई जाएगी कोडिंग, इंटर्नशिप भी शामिल, NEP की खासियत

नई शिक्षा नीति के तहत क्लास 1 से 12 तक के छात्रों के लिए करिकुलम में अहम बदलाव किए जा रहे हैं। इसमें छात्रों को 2 बार बोर्ड परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा और 12वीं के छात्रों के लिए सेमेस्टर सिस्टम का आयोजन किया जाएगा।

Update: 2024-06-12 12:17 GMT

रायपुर। पिछले साल 2023 में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्य की रूपरेखा (NCF-2023) की घोषणा की, जिसके माध्यम से शिक्षा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की दिशा में एक नया कदम उठाया गया है। यह करीकुलम फ्रेमवर्क नई शिक्षा नीति 2020 के तहत तैयार किया गया है। इसका मकसद इंडियन एजुकेशन सिस्टम को विशेष रूप से सुधारना है।

इससे पहले मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय ने 2020 में एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव किया था। नई शिक्षा नीति (National Education Policy 2020) का ड्राफ्ट इसरो के वैज्ञानिक रह चुके शिक्षाविद के. कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली कमेटी ने बनाया था। 1986 के बाद पहली बार यानी 34 साल बाद देश की शिक्षा नीति बदली थी। इसमें बच्चे के प्राइमरी स्कूल में एडमिशन से लेकर हायर एजुकेशन कर जॉब फोर्स से जुड़ने तक काफी बदलाव किए गए।


2023 में नई शिक्षा नीति के तहत एकेडमिक सेशन 2024-25 के लिए नोटिफिकेशन जारी

नई शिक्षा नीति के तहत क्लास 1 से 12 तक के छात्रों के लिए करिकुलम में अहम बदलाव किए जा रहे हैं। इसमें छात्रों को 2 बार बोर्ड परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा और 12वीं के छात्रों के लिए सेमेस्टर सिस्टम का आयोजन किया जाएगा। दोनों परीक्षा में जिसमें स्टूडेंट के ज्यादा मार्क होंगे, उसे गिना जाएगा।

इसके अलावा 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को दो भाषाएं पढ़नी होंगी। इनमें से एक भारतीय भाषा होनी चाहिए। हालांकि स्टूडेंट्स को विषय चुनने की पूरी छूट होगी। उन पर चुनी गई स्ट्रीम के आधार पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। कक्षा 11वीं और 12वीं के छात्रों को विभिन्न 16 विकल्पों में से चयन करने का मौका मिलेगा, जो उनकी रुचियों और प्रतिभा के मुताबिक होगा। इससे छात्रों के विकल्पों में लचीलापन बढ़ेगा।


इसके साथ ही क्लास में स्टूडेंट्स को अलग-अलग सब्जेक्ट की पढ़ाई के साथ-साथ उनके सामाजिक और सांस्कृतिक विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा। नए करिकुलम में स्कूली असेंबलियों से लेकर छात्रों के यूनिफॉर्म और भाषा-संस्कृति से जुड़े बदलाव भी शामिल हैं।

भारी-भरकम सिलेबस से मिलेगा छुटकारा

किताबों में अब भारी-भरकम सिलेबस भी नहीं रखा जाएगा। किताबों की कीमतें भी कम की जाएंगी। नया सिलेबस न्यू एजुकेशन पॉलिसी-2020 को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा। जिसमें स्कूल बोर्ड कोर्स पूरा होने पर ऑन डिमांड एग्जाम कराने की मांग कर सकेंगे। इन बदलावों के पीछे का उद्देश्य स्टूडेंट्स को महीनों तक बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी करने के मुकाबले उनकी समझ और उपलब्धि का आकलन करना है।


नई एजुकेशन पॉलिसी को जुलाई 2020 में मंजूरी मिली थी

नई शिक्षा नीति को 29 जुलाई 2020 को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिली थी। इसमें शिक्षा नीति में समानता, गुणवत्ता जैसे कई मुद्दों पर ध्यान दिया गया है। सरकार ने नई शिक्षा नीति पर केंद्र और राज्य के सहयोग से जीडीपी का 6% हिस्सा खर्च करने का लक्ष्य रखा है।

नई शिक्षा नीति के अनुसार, स्कूलों में सेमेस्टर प्रणाली का आयोजन होगा, जिससे छात्रों को उनके चयनित विषयों में गहराई से अध्ययन करने का मौका मिलेगा। यह उनकी शिक्षा को प्रैक्टिकल और अप्लाइड दिशा में भी मदद करेगा।

नई शिक्षा नीति के सिद्धांत

  • हर बच्चे की क्षमता की पहचान और उसका विकास करना।
  • साक्षरता और संख्यामकता के ज्ञान को बच्चों में विकसित करना।
  • शिक्षा को लचीला बनाना।
  • एक सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में निवेश करना।
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा।
  • बच्चों को भारतीय संस्कृति से जोड़ना।
  • उत्कृष्ट स्तर पर शोध करना।
  • बच्चों को सुशासन सिखाना और सशक्त बनाना।
  • शिक्षा नीति को पारदर्शी बनाना।
  • तकनीकी यथासंभव उपयोग पर जोर।
  • मूल्यांकन पर जोर।
  • कई भाषाओं का ज्ञान।
  • बच्चों की सोच को रचनात्मक और तार्किक बनाना।

नेशनल एजुकेशन पालिसी के तहत 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर के साथ पूर्व विद्यालय से माध्यमिक विद्यालय तक शिक्षा का सार्वभौमीकरण किया जाएगा (Medical and law studies not included)। पहले 10+2 का पैटर्न फॉलो किया जाता था, लेकिन अब नई शिक्षा नीति के तहत 5+3+3+4 का पैटर्न फॉलो किया जाएगा।

5+3+3+4 फॉर्मेट के बारे में जानें

इस 5 + 3 + 3 + 4 डिजाइन वाले शैक्षणिक फॉर्मेट में 3 से 18 साल की उम्र के बच्चों और किशोरों को शामिल किया गया है। इस फॉर्मेट में 5+ से मतलब 5 साल तक पढ़ाई फाउंडेशनल स्टेज में कराए जाने से है। इस स्टेज में प्री प्राइमरी के 3 साल और पहली और दूसरी कक्षा की पढ़ाई शामिल है।

बाल वाटिका या प्री-स्कूल में रहेंगे 3 साल से बच्चे

3 साल की उम्र से बच्चे बाल वाटिका या प्री-स्कूल में रहेंगे। इसके तहत बच्चों को बगैर किसी किताबी ज्ञान के खिलौनों, कहानियों, मैजिक, गीत और डांस के माध्यम से शिक्षा दी जाएगी। इसके बाद प्राथमिक स्कूल में कक्षा 1 और 2 की पढ़ाई होगी। इसका पाठ्यक्रम NCERT ने तैयार किया है। इससे बच्चों की शिक्षा की नींव मजबूत होगी। इस वजह से राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिश पर NCF बनी और उनका लर्निंग और टीचिंग लर्निंग मटेरियल भी आ गया है, जिसे जादुई पिटारा नाम दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में गणित और भाषा से बच्चों का परिचय खेल-खेल में शुरू करवाया जाएगा।

इसके बाद की +3 स्टेज में बच्चा कक्षा 3 से लेकर कक्षा 5 की पढ़ाई करेगा और उसके बाद की दूसरी +3 स्टेज में कक्षा 6 से लेकर 8वीं तक की पढ़ाई करेगा। इसके बाद बच्चा +4 स्टेज में 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं तक की पढ़ाई करेगा। इस स्टेज में दो बार बोर्ड परीक्षा होगी।

दरअसल NEP-2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृ भाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को पढ़ाई के लिए अपनाने पर बल दिया गया है। इसके साथ ही इस नीति में मातृ भाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिए प्राथमिकता देने का सुझाव भी दिया गया है। स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिए संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा, लेकिन किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।

छठी से कोडिंग सिखाई जाएगी। छठी कक्षा से ही व्यावसायिक शिक्षा शुरू हो जाएगी। इसमें इंटर्नशिप भी शामिल होगी।

नई शिक्षा नीति 2020 के भी बारे में जानें

  • नई शिक्षा नीति के तहत तकनीकी संस्थानों में भी आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज के विषय पढ़ाए जाएंगे। देश के सभी कॉलेजों में म्यूजिक, थिएटर जैसे कला के विषयों के लिए अलग विभाग स्थापित करने पर जोर दिया जाएगा।
  • कैबिनेट ने एचआरडी (ह्यूमन रिसोर्स एंड डेवलपमेंट) मिनिस्ट्री का नाम बदलकर मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन करने की मंजूरी दी। दुनियाभर की बड़ी यूनिवर्सिटीज को भारत में अपना कैंपस बनाने की अनुमति भी दी जाएगी।
  • IITs समेत देश भर के सभी तकनीकी संस्थान होलिस्टिक अप्रोच को अपनाएंगे। इंजीनियरिंग के साथ तकनीकी संस्थानों में आर्ट्स और ह्यूमैनिटीज से जुड़े विषयों पर भी जोर दिया जाएगा।
  • देशभर के सभी इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए एक कॉमन एंट्रेंस एग्जाम आयोजित कराया जाएगा। यह एग्जाम नेशनल टेस्टिंग एजेंसी कराएगी। हालांकि, यह ऑप्शनल होगा। सभी स्टूडेंट्स के लिए इस एग्जाम में शामिल होना अनिवार्य नहीं रहेगा।
  • स्टूडेंट्स अब क्षेत्रीय भाषाओं में भी ऑनलाइन कोर्स कर सकेंगे। 8 प्रमुख क्षेत्रीय भाषाओं के अलावा कन्नड़, उड़िया और बंगाली में भी ऑनलाइन कोर्स लॉन्च किए जाएंगे।
  • नई शिक्षा नीति में GDP का 6% हिस्सा एजुकेशन सेक्टर पर खर्च किए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
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