Chhattisgarh School Education: DPI के आदेशों का ये हाल! पदोन्नति घोटाले में एक्शन के आदेश के बावजूद डीईओ ने लेटर दबा दिया, दोषियों पर साल भर बाद भी कार्रवाई नहीं...

Chhattisgarh School Education: छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग में लिपिकों के स्वीकृत पदों से ज्यादा पदों पर प्रमोशन का खेला किया गया वहीं, मनमानी करते हुए जहां पोस्ट रिक्त नहीं, वहां उन्हें पोस्टिंग दे दी गई। डीपीआई ने कार्रवाई करने का आदेश दिया तो डीईओ ऑफिस में आदेश को दबा दिया गया।

Update: 2024-05-28 06:42 GMT

Shiksha Vibhag 

Chhattisgarh School Education: रायपुर। एनपीजी न्यूज को एक ऐसा आदेश मिला है, जो यह बताने के लिए काफी है की स्कूल शिक्षा विभाग में घोटालो की फेहरिस्त लंबी क्यों है और ऐसे कारनामों को अंजाम देने वाले बाबू और अधिकारियों में शासन का खौफ क्यों नहीं है। दरअसल मामला चाहे पदोन्नति का हो या अनुकंपा नियुक्ति का , अधिकारियों और कर्मचारियों को अब यह लगने लगा है कि ऐसे मामलो में कुछ खास होना जाना नहीं है और विभाग के अधिकारियों को सेट कर या न्यायालय के जरिये आसानी से कार्रवाई को रोका जा सकता है।


फिर बात चाहे शिक्षकों के पदोन्नति घोटाले की हो या फिर लिपिक घोटाले की....शासन के नियमों को धत्ता बताने वाले अधिकारी कर्मचारी फिर से विभाग के महत्वपूर्ण पदों पर बैठ गए हैं। अब इस पत्र को ही देख लीजिए जो लोक शिक्षण संचालनालय के अपर संचालक द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी बिलासपुर को भेजा गया था और जिसमें सीधे तौर पर जिला शिक्षा अधिकारी को दोषी लिपिक सुनील कुमार यादव पर अत्यावश्यक अनुशासनात्मक कार्यवाही कर कार्यालय को अवगत कराने हेतु निर्देशित किया गया था। लेकिन लिपिक पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि जेडी बिलासपुर ने अपने जांच प्रतिवेदन में बिलासपुर में हुए लिपिक घोटाले के लिए सीधे तौर पर सुनील यादव को दोषी ठहराया था। जांच में जेडी ने यह पाया कि पदोन्नति के लिए कुल 28 पद रिक्त थे जिसमें से 27 पदों पर पदोन्नति की गई जिसमें से 11 पदों पर पदोन्नति लिपिको ने पदभार ग्रहण नहीं किया तो ऐसे में इन्हीं 11 पदों पर पदोन्नति होनी थी लेकिन सुनील कुमार यादव और अधिकारी ने मिलाकर कुल 15 पदों पर और पदोन्नति दे दी। इस प्रकार जितने पद नहीं थे उससे अधिक पदों पर पदोन्नति देने का खेल खेला गया। यही नहीं जिन संस्थाओं में पदोन्नति हेतु पद रिक्त है उन संस्थाओं को छोड़कर पदोन्नति कर्मचारियों के मनचाहे जगह पर पदोन्नति दी गई है और वह आज भी वही कार्यरत हैं।

जबकि उनका वेतन पदोन्नति के लिए रिक्त पद वाले संस्थानों से जारी हो रहा है और यह वेतन व्यवस्था स्वयं जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा पत्र जारी करके बनाई गई है। इसके अतिरिक्त पदोन्नति में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है इसके बाद भी नियमों का उल्लंघन कर लिपिक हितेश कुमार वैष्णव को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया गया। कुल मिलाकर मनचाहे तरीके से पदोन्नति का खेल खेलकर अधिकारी और बाबू सुनील कुमार यादव ने विभाग को ठेंगा दिखाया और आज भी वह लिपिक ऐसे संस्थानों में कार्य कर रहे हैं जहां सहायक ग्रेड 2 के पद है ही नहीं और उनका वेतन भुगतान उन संस्थाओं से हो रहा है जहां सहायक ग्रेड 2 के पद है और वर्तमान में रिक्त है। और जहां पर सच में पदस्थापना होनी थी पर संशोधन के खेल मे जो मलाई है वह अधिकारी और कर्मचारियों को इतनी अधिक पसंद है कि उसके लिए राज्य कार्यालय से आए पत्र को दबा दिया गया और यही वजह है की 22 मार्च 2023 को कार्रवाई के लिए डीपीआई द्वारा लिखे गए पत्र पर आज 1 साल से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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