CG Yuktiyuktkaran:...तो 4000 से अधिक स्कूलों का अस्तित्व खतम हो जाएगा, शिक्षक विहीन स्कूलों को मिलेंगे 5000 शिक्षक, 362 स्कूल ऐसे जहां शिक्षक हैं मगर विद्यार्थी नहीं...

CG Yuktiyuktkaran: छत्तीसगढ़ में स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण का शिक्षक संगठनों द्वारा विरोध तेज कर दिया गया है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि स्कूलों के युक्तियुक्तकरण से बड़़ी संख्या में शिक्षक अतिशेष हो जाएंगे, स्कूलें भी बंद हो जाएंगे। मगर स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि इससे स्कूलों की क्वालिटी सुधरेगी साथ ही शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षकों की पोस्टिंग हो जाएगी।

Update: 2025-05-25 08:55 GMT

CG Yuktiyuktkaran: रायपुर। छत्तीसगढ़ का स्कूल शिक्षा विभाग शिक्षकों से पहले स्कूलों का युक्तियुक्तकरण करने जा रहा है। इसमें चार हजार से अधिक ऐसे स्कूल प्रभावित होंगे, जिनमें राष्ट्रीय औसत से कम बच्चे हैं या एक भी बच्चे नहीं हैं। जाहिर है, छत्तीसगढत्र में 362 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें टीचर तो हैं मगर एक भी बच्चे नहीं। कई जगह एक ही कैंपस में अलग-अलग नाम से प्रायमरी, मीडिल और हाईस्कूल हैं। सरकार का दावा है कि उन तीनों को एक कर दिए जाने से स्कूलों की गुणवता सुधरेगी। इससे करीब 5 हजार शिक्षक मिलेंगे, जिन्हें शिक्षक विहीन स्कूलों में पोस्ट किया जाएगा।

हालांकि, युक्तियुक्तरण के विरोध में प्रदेश के शिक्षक एकजुट हो गए हैं। विभिन्न 21 शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध करने साझा मंच तैयार कर लिया है। साझा मंच 28 मई को मंत्रालय का घेराव करने जा रहा है। शिक्षक नेताओं का कहना है कि 2008 के सेटअप के तहत युक्तियुक्तकरण न किया जाए और अगर करना ही है तो पहले प्रमोशन किया जाए। छत्तीसगढ़ में लंबे समय से शिक्षकों का प्रमोशन नहीं हुआ है।

उधर, स्कूल शिक्षा विभाग ने युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अफसरों को निर्देश दिया है कि शिक्षकों की कमी को दूर करने यथाशीघ्र युक्तियुक्तकरण को अंजाम तक पहुंचाया जाए। बता दें, पिछले साल छत्तीसगढ़ सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव को देखते पैर पीछे खींच लिया था। और मध्यप्रदेश सरकार ने युक्तियुक्तकरण कर लिया था।

स्कूल शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों एक बयान जारी कर बताया था कि 212 प्राथमिक स्कूल अभी भी शिक्षक विहीन हैं और 6,872 प्राथमिक स्कूलों में केवल एक ही शिक्षक कार्यरत है। पूर्व माध्यमिक स्तर पर 48 स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं और 255 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है। 362 स्कूल ऐसे भी हैं जहां शिक्षक तो हैं, लेकिन एक भी छात्र नहीं है।

इसी तरह शहरी क्षेत्र में 527 स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात 10 या उससे कम है। 1,106 स्कूलों में यह अनुपात 11 से 20 के बीच है। 837 स्कूलों में यह अनुपात 21 से 30 के बीच है। लेकिन 245 स्कूलों में यह अनुपात 40 या उससे भी ज्यादा है, यानी छात्रों की दर्ज संख्या के अनुपात में शिक्षक कम हैं।

युक्तियुक्तकरण के क्या होंगे फायदे

सरकार ने प्रेस नोट जारी कर युक्तियुक्तकरण के फायदे गिनाए हैं, वे इस प्रकार हैं....जिन स्कूलों में ज्यादा शिक्षक हैं लेकिन छात्र नहीं, वहां से शिक्षकों को निकालकर उन स्कूलों में भेजा जाएगा जहां शिक्षक नहीं हैं। इससे शिक्षक विहीन और एकल शिक्षक वाले स्कूलों की समस्या दूर होगी। स्कूल संचालन का खर्च भी कम होगा और संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। एक ही परिसर में ज्यादा कक्षाएं और सुविधाएं मिलने से बच्चों को बार-बार एडमिशन लेने की जरूरत नहीं होगी। यानी एक ही परिसर में संचालित प्राथमिक, माध्यमिक, हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल संचालित होंगे तो प्राथमिक कक्षाएं पास करने के बाद विद्यार्थियों को आगे की कक्षाओं में एडमिशन कराने की प्रक्रिया से छुटकारा मिल जाएगा। इससे बच्चों को पढ़ाई में निरंतरता बनी रहेगी। बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर (ड्रॉपआउट रेट) भी घटेगी। अच्छी बिल्डिंग, लैब, लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं एक ही जगह देना आसान होगा।

शिक्षा विभाग ने कतिपय शैक्षिक संगठनों द्वारा युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पर उठाए गए भ्रामक सवालों के संबंध में स्पष्ट किया है कि युक्तियुक्तकरण का मकसद किसी स्कूल को बंद करना नहीं है बल्कि उसे बेहतर बनाना है। यह निर्णय बच्चों के हित में, और शिक्षकों की बेहतर तैनाती के लिए लिया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल राज्य की शिक्षा व्यवस्था को ज्यादा सशक्त और संतुलित बनाएगी। युक्तियुक्तकरण से न सिर्फ शिक्षकों का समुचित उपयोग होगा, बल्कि बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा भी मिल सकेगी।

Tags:    

Similar News