CG Teacher Posting: प्राचार्य प्रमोशन: पदों की जानकारी छुपाने पर खैर नहीं, NPG की खबर पर स्कूल शिक्षा सचिव का सख्त निर्देश, शिक्षा माफियाओं पर नजर

CG Teacher Posting: छत्तीसगढ़ में प्राचार्यों के प्रमोशन के बाद पोस्टिंग के लिए अभी से बोली लगने लगी है। NPG.NEWS ने खबर प्रकाशित की थी कि स्कूल शिक्षा विभाग के दलाल पोस्टिंग का ठेका लेने लगे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी ने इस पर सख्त तेवर दिखाते हुए इस पर एक्शन लेने कहा है। बता दें, प्राचार्य प्रमोशन का आदेश अभी निकला नहीं मगर कई शिक्षक नेता दुकान सजाकर बैठ गए हैं।

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Update: 2025-03-19 07:04 GMT
CG Teacher Posting: प्राचार्य प्रमोशन: पदों की जानकारी छुपाने पर खैर नहीं, NPG की खबर पर स्कूल शिक्षा सचिव का सख्त निर्देश, शिक्षा माफियाओं पर नजर

CG Teacher Pramotion 2025

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CG Teacher Posting: रायपुर। एनपीजी न्यूज की खबर को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने अफसरों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी सूरत में पोस्टिंग में कोई गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि काउंसलिंग इतना फुलप्रूफ हो कि किसी को खेल करने का मौका न मिले।

NPG.NEWS की खबर को संज्ञान लेते हुए उन्होंने डीपीआई के अधिकारियों से कहा है कि स्कूलों में प्राचार्यों के खाली पदों के बारे में कोई गड़बड़ी होगी तो कार्रवाई की जाएगी। जाहिर है, एनपीजी न्यूज ने खबर में बताया था कि ज्वाइंट डायरेक्टर स्कूलों की वास्तविक संख्या छुपा लेते हैं। बाद में उसमें बड़े स्तर पर लेनदेन कर पोस्टिंगें की जाती है।

स्कूल शिक्षा सचिव के निर्देश के बाद डीपीआई के डिप्टी डायरेक्टर ने राज्य के सभी पांचों ज्वाइंट डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन को पत्र लिखकर प्राचार्यों के पदों की जानकारी मांगी है। सख्त लहजे में लिखे पत्र में जेडी को चेताया गया है कि पदों की संख्या में इधर-उधर हुआ, तो इसके लिए जेडी खुद जिम्मेदार होंगे।

स्कूल शिक्षा विभाग की इस बार कोशिश है कि दलालों को अपना खेल दिखाने का असवर न मिल पाए। विभाग के नोटिस में ये बात आई है कि डीपीआई से जुड़े दलाल, जिनमें कुछ शिक्षक नेता भी शामिल हैं, प्राचार्य प्रमोशन का आदेश निकलने से पहले ही दुकान सजाकर बैठ गए हैं। दरअसल, सहायक शिक्षकों के नियम विरूद्ध ट्रांसफर में कई शिक्षक नेता लाखों रुपए अंदर कर लिए और कुछ हुआ नहीं। सो, उनका हौसला बढ़ा हुआ है।

स्कूल शिक्षा विभाग के दलाल अभी से मनमाफिक पोस्टिंग कराने के लिए सक्रिय हो गए हैं। सीनियरिटी के हिसाब से उपर के लेक्चरर और प्रधान पाठकों का प्रमोशन होना तय माना जा रहा। मगर बिना आदेश निकले ही दलाल उनसे संपर्क करना शुरू कर दिए हैं। एक लेक्चरर ने एनपीजी न्यूज को बताया कि शिक्षक समुदाय से जुड़े नेता के व्यक्ति ने उससे संपर्क कर बताया कि तुम्हारा प्रमोशन हो गया है, मेरी स्कूल शिक्षा विभाग में बात हो गई है, मैं करा दूंगा।

बताते हैं, इसके लिए दलालों ने बकायदा रेट तय कर दिया है। गृह नगर के 25 से 30 किलोमीटर के रेंज में पोस्टिंग चाहिए तो पांच लाख और 30 से 50 किलोमीटर के रेंज के लिए तीन लाख।

हालांकि, पोस्टिंग के विवादों से बचने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ऑनलाइन काउंसलिंग पर विचार कर रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग के जिम्मेदार सूत्रों ने बताया कि ऑनलाइन काउंसलिंग के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इस पर अंतिम फैसला हो जाएगा कि पोस्टिंग के लिए कौन सा तरीका अजमाया जाए।

सबसे बड़ा खेल

हालांकि, जानकारों का कहना है कि ऑनलाइन काउंसलिंग में भी बड़ा खेला हो जाता है। दरअसल, काउंसलिंग से पहले स्कूलों की जानकारी साझा की जाती है, उसी में खेला हो जाता है। विभाग के अफसर शहरों के आसपास के स्कूलों की जानकारी छिपा लेते हैं, जहां वैकेंसी होती है। फिर ट्रांसफर लिस्ट निकलने के बाद सेटिंग शुरू हो जाती है। जैसे सहायक शिक्षकों के प्रमोशन में छत्तीसगढ़ के पांचों ज्वाइंट डायरेक्टरों ने किया। इनमें से चार सस्पेंड भी हुए।

सबसे पहले स्कूलों की जानकारी सार्वजनिक

स्कूल शिक्षा विभाग के दलाल अभी से एक्टिव होकर शिक्षकों को गुमराह करना शुरू कर दिए हैं। ऐसे दावे किए जा रहे, जैसे वे ही डीपीसी के मेम्बर थे या उनकी मौजूदगी में डीपीसी हुई है। स्कूल शिक्षा विभाग ऐसे बिचौलियों को बाहर करने के लिए जिन स्कूलों में प्राचार्यों के पद खाली हैं, उसकी लिस्ट सार्वजनिक कर देनी चाहिए। इसके बाद ऑनलाईन काउंसलिंग हो। जिन स्कूलों की लिस्ट ओपन किया जाए, उसमें उन स्कूलों के नाम हो, जिसमें दो-तीन महीने में कोई प्राचार्य रिटायर होने वाला है। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर प्रत्याशा में पोस्टिंग कर देते हैं कि फलां स्कूल में अगले महीने की डेट में पोस्टिंग दी जाती है। काउंसलिंग में ऐसे स्कूलों के नाम छुपा लिया जाता है, जहां दो-एक महीने में पद खाली होने वाला है। यदि 10-12 भी ऐसे स्कूल हुए तो 50 पेटी का काम हो गया।


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