CG Teacher News: शिक्षक क्रमोन्नति याचिका खारिज: खजाने को लगता सात हजार करोड़ का झटका, एक हजार से अधिक शिक्षकों की याचिका खारिज
CG Teacher News: शिक्षिका सोना साहू के प्रकरण में हाई कोर्ट ने क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश जारी किया था। इसके बाद एक हजार से अधिक शिक्षकों ने क्रमोन्नति वेतनमान को लेकर अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से अलग-अलग याचिका दायर की थी। सभी याचिकाओं की जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में सुनवाई हो रही थी। सिंगल बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है। सोना साहू के प्रकरण के समान यदि शिक्षकों के पक्ष में फैसला आता तो सरकारी खजाने का भार जमकर बढ़ता। सात हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च करनी पड़ती।
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CG Teacher News: बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट से स्पेशल लीव पिटिशन खारिज होने के बाद सरकार को बड़ा झटका लगा था। इस फैसले के बाद यह माना जा रहा था कि सरकार को अब एक लाख से अधिक शिक्षकों को 10 वर्ष से अधिक समय का क्रमोन्नत वेतनमान का एरियर्स देना पड़ेगा। मोटे अनुमान के तौर पर ये राशि करीब सात हजार करोड़ होगी। एक अफसर की लापरवाही कहें या फिर चूक, सरकार को मुसीबत में डाल दिया था। सरकारी खजाने पर इतनी बड़ी चोट कभी नहीं पड़ी जितनी पड़ती।
एक हजार से अधिक शिक्षकों ने जब हाई कोर्ट में याचिका दायर की तब सरकार की ओर से महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने अपना पक्ष रखा और कोर्ट को बताया कि वर्ष 2017 में जारी सर्कुलर केवल नियमित शासकीय शिक्षकों के लिए लागू था। याचिकाकर्ता शिक्षक वर्ष 2018 में संविलियन के बाद शासकीय सेवक बने हैं। इसलिए उनकी सेवा अवधि की गणना उसी वर्ष से की जाएगी न कि पंचायत सेवा के आरंभिक वर्ष से।
राज्य शासन ने कहा कि छह नवंबर 2025 को जारी सामान्य प्रशासन विभाग के नवीन परिपत्र में इस विषय को और स्पष्ट कर दिया गया है, जिससे यह भ्रम दूर हो गया है कि क्रमोन्नति किस आधार पर दी जानी है। एजी ऑफिस के लॉ अफसरों ने कोर्ट को बताया कि सोना साहू प्रकरण की परिस्थितियां वर्तमान याचिकाओं से पूरी तरह भिन्न हैं। इसलिए उसे इन मामलों में मिसाल के तौर पर लागू नहीं किया जा सकता। शासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए बताया कि रूल ऑफ लाॅ के अनुसार पूर्ववर्ती सेवा की गणना तभी की जा सकती है जब संविलियन से पूर्व की सेवाएं नियमित या शासकीय स्वरूप में रही हों।
क्रमोन्नत पाने वाले शिक्षकों की कितनी है संख्या
प्रदेश में संविलियन होने वाले शिक्षकों की कुल संख्या 1,48,000 है। शिक्षकों का यह आंकड़ा छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार है। प्रदेश में 1,30,000 से भी अधिक शिक्षाकर्मियों की भर्ती वर्ष 2014 तक हो चुकी थी। यदि कोई शिक्षक 2014 में भी भर्ती हुआ है और उसे प्रमोशन नहीं मिला है तो ऐसे शिक्षक भी 2024 में क्रमोन्नत वेतनमान के पात्र होंगे।
सरकार के खजाने पर इस तरह पड़ता भार
सरकार के खजाने पर क्रमोन्नत वेतनमान देने से बड़ा भार आने वाला था। यही वजह है कि यह माना जा रहा है कि सरकार के पास जितने भी विकल्प हैं वह सभी विकल्पों को आजमाया। एक शिक्षक को यदि 10 लाख रुपए भी क्रमोन्नत वेतनमान के तौर पर देना पड़े जैसा कि सोना साहू के प्रकरण में गणना हुआ था और 70 हजार शिक्षकों को भी यह राशि देनी पड़े तो सीधे तौर पर 7 हजार करोड़ का भार आएगा। जबकि माना जा रहा है कि वास्तविक एरियर्स राशि इससे भी कही अधिक होगी।
क्या है सोना साहू का मामला
सोना साहू ने क्रमोन्नति वेतनमान को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सोना साहू ने अपनी याचिका में बताया था कि वर्ष 2005 में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी। एव पर 10 साल से काम करने के बाद भी क्रमोन्नत वेतनमाहीं दिया गया था। इसे लेकर सोना साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश के बाद सीईओ जनपद पंचायत ने क्रमोन्नत वेतनमान का सोना साहू को लाभदिया और फिर वापस भी ले लिया। इसे लेकर सोना साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी थी। सीईओ के आदेश को कोर्ट ने सही ठहराया था। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए सोना साहू ने रिट याचिका दायर की। डिवीजन बेंच ने याचिका को स्वीकार करते हुए 2015 से क्रमोन्नत वेतनमान का निर्देश दिया। शासन ने रिव्यू पिटीशन दायर किया था। इसे कोर्ट ने रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में शासन ने एसएलपी दायर की थी।
हाई कोर्ट का वर्तमान फैसला शिक्षकों के हक में होता तो ऐसे मिलता क्रमोन्नत का लाभ
- जो शिक्षक एक ही पद पर 10 साल की नौकरी पूरा कर लिया है क्रमोन्नत वेतनमान के पात्र होंगे।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राज्य शासन को पालन करना होगा।
- राज्य शासन ने सामान्य आदेश जारी कर सकता है। या ऐसे भी आदेश जारी कर सकता है कि जिनके पक्ष में कोर्ट का फैसला आया है उनको लाभ दिया जाएगा।
जानिये क्या है क्रमोन्नति वेतनमान ?
जिस क्रमोन्नति वेतनमान को लेकर शिक्षकों के बीच बवा है, उसे शिक्षक भी अब भूल गए थे कि क्रमोन्नति वेतनम् मी कोई इश्यू था। असल में, प्रमोशन न होने पर शिक्षकों ने 2013 में सरकार पर प्रेशर बढ़ाया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने 10 साल की सेवा अवधि पूर्ण कर लिए शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान का दिया जाएगा। मगर इससे आंदोलन नहीं थमा। शिक्षकों के लगातार विरोध को देखते सरकार ने एक साल बाद फिर शिक्षकों के समतुल्य वेतनमान देने का ऐलान किया। मगर इसके साथ ही क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश निरस्त कर दिया। इसके बाद बात आई गई, समाप्त हो गई। मगर इसी बीच कभी सोना साहू ने क्रमोन्नति वेतनमान के लिए याचिका दायर कर दी। जबकि, नया वेतनमान के बाद सरकार ने इसे आदेश जारी कर निरस्त कर दिया था। मगर 50 हजार में से सिर्फ एक शिक्षिका ने दिमाग दौड़ाया कि क्रमोन्नति के समाप्ति के बाद भी अगर कोर्ट में जाएं तो क्रमोन्नति का भी लाभ मिल सकता है। और ऐसा ही हुआ। सोना साहू कोर्ट से जीती। हाई कोर्ट के निर्देश पर सोना साहू को बैंक अकाउंट के जरिए सराकर को भुगतान करना पड़ा और कोर्ट के समक्ष जानकारी भी देनी पड़ी। तब सोना साहू वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान उपस्थिति हुई थी। राज्य सरकार की जानकारी देने के बाद कोर्ट ने याचिका को निराकृत कर दिया था।