CG Teacher News: अतिशेष शिक्षिका को हाईकोर्ट से राहत: DEO पर स्वयं निर्णय लेने का आरोप, कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित....

CG Teacher News: सीनियर व्याख्याता को अतिशेष घोषित करने पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने उठाए सवाल। नियमों का दिया हवाला, कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने का आरोप लगाया।

Update: 2025-07-22 13:44 GMT

CG Teacher News: रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (Rationalisation) प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन रहा। याचिकाकर्ता सरोज सिंहसरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, अचोली, जिला बेमेतरा में वर्ष 2018 से व्याख्याता (अंग्रेजी) के पद पर कार्यरत हैं, को अतिशेष (Surplus) घोषित कर स्थानांतरित कर दिया गया। वहीं, अनुपमा सारौगी, जिन्हें हाल ही में बहाल किया गया था, को उसी विद्यालय में पदस्थ किया गया और उन्हें बनाए रखा गया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनादी शर्मा ने कोर्ट को बताया कि यह निर्णय पूर्णतः नीति विरुद्ध और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि युक्तियुक्तकरण नीति के अनुसार, जिस शिक्षक की पदभार ग्रहण करने की तिथि पहले है, उसे बनाए रखना चाहिए और जिसे बाद में नियुक्त किया गया हो, उसे अतिशेष माना जाना चाहिए। सरोज सिंह वर्ष 2018 से उसी विद्यालय में कार्यरत हैं, जबकि अनुपमा सारौगी को वर्ष 2025 में बहाल कर उसी विद्यालय में पदस्थ किया गया।

याचिकाकर्ता पूर्व में भी हाई कोर्ट में याचिका दायर की थीं. याचिका की सुनवाई के बाद कोर्ट ने युक्तियुक्तकरण समिति (District Rationalisation Committee) के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने व समिति को निर्णय लेने का आदेश दिया था. तब तक स्थानांतरण आदेश पर रोक भी लगाई गई थी। अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कोर्ट के आदेश के विरुद्ध, निर्णय कलेक्टर द्वारा न लेकर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) द्वारा पारित किया गया, जो स्वयं इस सूची के आदेशकर्ता अधिकारी हैं। यह न केवल “न्याय अपने ही मामले में देने” (Nemo Judex In Causa Sua) का उल्लंघन है, बल्कि न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना है।

राज्य की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने दलील दी कि अनुपमा सारौगी की वरिष्ठता उनकी मूल नियुक्ति तिथि से गिनी गई है, न कि वर्तमान विद्यालय में उनकी जॉइनिंग तिथि से।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अनादी शर्मा ने एक समान स्थिति वाले कर्मचारी राकेश गुप्ता का उदाहरण प्रस्तुत किया। राकेश गुप्ता को भी बहाल किया गया था, लेकिन उन्हें जॉइनिंग की तिथि के आधार पर जूनियर मानते हुए अतिशेष घोषित कर दिया गया। उन्होंने अपनी आपत्ति में वरिष्ठता की गणना नियुक्ति तिथि से करने की मांग की थी, लेकिन प्रशासन ने इसे अस्वीकार कर दिया।

अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यदि राकेश गुप्ता के मामले में बहाली के बाद की जॉइनिंग तिथि को मानदंड बनाया गया, तो अनुपमा सारौगी के लिए अलग मानक अपनाना स्पष्ट रूप से पक्षपात और दुर्भावना को दर्शाता है। मामले की सुनवाई जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल के सिंगल बेंच में हुई. सभी पक्षों की विस्तृत सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।

Tags:    

Similar News