Bilaspur High Court News: एक दर्जन से ज्यादा शिक्षक एलबी की याचिका पर हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: अन्य जिले में स्थानांतरण के आधार पर जूनियर घोषित नहीं किया जा सकता...

Bilaspur High Court News: अंतर जिला स्थानांतरण के बाद ग्रेडेशन लिस्ट में वरिष्ठ शिक्षक एलबी को कनिष्ठ से नीचे कर देने के खिलाफ दायर याचिका पर हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला आया है। कोर्ट ने साफ कहा है, किसी अन्य जिले में स्थानांतरण के आधार पर किसी को जूनियर घोषित नहीं किया जा सकता।

Update: 2025-12-29 07:48 GMT

Bilaspur High Court News: बिलासपुर। शिक्षक एलबी के अंतरजिला स्थानांतरण और वरिष्ठता को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस एके प्रसाद के सिंगल बेंच ने अपने फैसले में लिखा है,स्थानान्तरण स्थान पर जाने पर वरिष्ठता में परिवर्तन नहीं किया जाएगा। यदि किसी कर्मचारी को अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया है, तो संबंधित जगह पर ज्वाइनिंग करने के बाद उसकी सेवा के सभी प्रयोजनों के लिए एक ही होगा। यह घोषित नहीं किया जा सकता है कि पोस्टिंग के नए स्थान में शामिल होने पर वह जूनियर बन जाता है। यदि इस आशय का कोई परिपत्र पारित कर दिया गया है, तो भी वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन होगा। किसी अन्य जिले में उसके स्थानांतरण के आधार पर किसी को जूनियर घोषित नहीं किया जा सकता है। शिक्षक एलबी की याचिका पर हाई कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता शिक्षक को ग्रेडेशन लिस्ट में वरिष्ठता देने और प्रधान पाठक के पद पर पदोन्नत करने का आदेश राज्य शासन को दिया है।

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 16 मार्च 2021 जारी ग्रेडेशन सूची में याचिकाकर्ताओं को उनके जूनियर्स के नीचे हेड मास्टर, प्राइमरी स्कूल के कैडर में रखा गया है, जिसके कारण उन्हें हेड मास्टर, प्री मिडिल स्कूल के पद पर पदोन्नति के लिए बाहर कर दिया गया है। याचिकाकर्ता शिक्षकों द्वारा सभी रिट याचिकाओं में जो राहतें मांगी गई हैं, वे तकरीबन एकसमान है। हालांकि, इन याचिकाओं, में ओंकार प्रसाद वर्मा और अन्य विरुद्ध छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य, इन मामलों में शामिल मुद्दों को तय करने के लिए प्रमुख याचिका के रूप में लिया गया है।

याचिकाकर्ता शिक्षकों ने शिक्षक ई कैडर और प्रधान पाठक प्राथमिक विद्यालय की वरिष्ठता सूची को फिर से तैयार करने और उसके बाद प्रधान पाठक, मिडिल स्कूल के पद पर पदोन्नति की मांग की थी। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने 10 दिसंबर 2010 से प्रधान पाठक, प्राथमिक विद्यालय के पद पर सभी परिणामी लाभों के साथ शामिल होने की तारीख से, प्रधान पाठक, प्राथमिक विद्यालय के पद पर वरिष्ठता प्रदान करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने नियुक्ति आदेश 10 दिसंबर 2010 के अनुसार उचित वरिष्ठता प्रदान करने की मांग की थी।

याचिकाकर्ताओं को डीपीआई द्वारा 10 दिसंबर 2010 के पहले हेड मास्टर प्राइमरी स्कूल के पद पर नियुक्त किया गया था। याचिकाकर्ता शिक्षकों ने अपने स्वयं के अनुरोध पर जिला रायपुर में अपनी नियुक्ति के प्रारंभिक जिले यानी बलौदाबाजार-भाटापारा से परिवार और स्वास्थ्य कारणों से स्थानांतरण की मांग की थी। तबादले के बाद सभी याचिकाकर्ता अपने-अपने पदों पर पदस्थ हो गए। दोनों जिले रायपुर और बलौदाबाजार-भाटापारा एक ही डिवीजन, रायपुर के अंतर्गत आते हैं। इसलिए, याचिकाकर्ता एक ही डीपीआई डिवीजन के अंतर्गत आते हैं जो पूरे प्रभाग के लिए उनके पदोन्नति, वरिष्ठता आदि के सभी मामलों को देखते हैं।

पदोन्नति से किया अयोग्य, वरिष्ठता सूची का नए सिरे से कर दिया निर्धारण

15 अक्टूबर 2018 को, डीपीआई ने वरिष्ठता के निर्धारण के लिए दिशा निर्देश जारी किया, जिसमें यह स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया था कि नियुक्ति की प्रारंभिक तिथि वरिष्ठता के प्रयोजन के लिए विचार की जानी थी, न कि शामिल होने की तारीख पर। याचिकाकर्ताओं का नाम पहली अंतर डिवीजन वरिष्ठता सूची में 01 अप्रैल 2020 को उल्लेख किया गया था। जिसमें वरिष्ठता के लिए नियुक्ति की प्रारंभिक तिथि पर विचार किया गया था और उनके नाम वरिष्ठता सूची में सबसे ऊपर था। पहली अंतरिम वरिष्ठता सूची के प्रकाशन के बाद, विभागीय अधिकारियों ने एक और वरिष्ठता सूची तैयार करना शुरू कर दिया, जिसमें वरिष्ठता की तारीख से गणना की गई। इसके चलते पदोन्नति से उनको अयोग्य कर दिया गया।

DPI के इस आदेश को चुनौती देते हुए दायर की थी याचिका

12 मार्च 2021 को याचिकाकर्ताओं ने एक अपने संघ के माध्यम से छत्तीसगढ़ सरकार के शहरी प्रशासन विकास मंत्री और श्रम विभाग मंत्री को आवश्यक कार्रवाई के लिए डीपीआई को अग्रेषित किया। 16 मार्च 2021 को एक संशोधित वरिष्ठता सूची जारी की और दावा आपत्ति मंगाई गई। इस सूची में याचिकाकर्ताओं की वरिष्ठता पर उनकी नियुक्ति की प्रारंभिक तिथि से विचार नहीं किया गया था, लेकिन उनके स्थानांतरण की तारीख से गलत तरीके से गिना गया था। डीपीआई के इस आदेश को चुनौती देते हुए शिक्षकों ने रिट याचिका दायर की थी।

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कोर्ट से कहा कि तैयार की गई ग्रेडेशन सूची कानून के अनुसार नहीं है और यह केवल संबंधित याचिकाकर्ताओं को नुकसान पहुंचाने व कुछ शिक्षकों को लाभ देने के लिए तैयार की गई है। नियमों के विपरीत हैं और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन कर रहे हैं। जिला बलौदाबाजार-भाटापारा जो राजस्व जिला रायपुर के अंतर्गत था। बाद में वर्ष 2012 में राजस्व जिला रायपुर से एक अलग जिला बनाया गया। इसके बाद, याचिकाकर्ताओं को उनके स्वयं के अनुरोध और व्यय पर 14 अगस्त 2017 के आदेश द्वारा जिला रायपुर में स्थानांतरित कर दिया गया था। चूंकि याचिकाकर्ताओं को बलौदाबाजार-भाटापारा से रायपुर स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके द्वारा मौजूदा जिले को बदल दिया गया था और इस तरह, उनकी वरिष्ठता भी प्रभावित हुई थी और तदनुसार ग्रेडेशन सूची तैयार की गई थी जिसमें याचिकाकर्ताओं का नाम उन शिक्षकों से नीचे था जो पहले से ही रायपुर जिले में तैनात थे।

हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस एके प्रसाद ने अपने फैसले में लिखा है कि जहां तक ग्रेडेशन सूची के लिए कानून का संबंध है, प्रारंभिक सेवा के आधार पर ग्रेडेशन सूची तैयार की जा रही है और उसके बाद उनकी योग्यता के अनुसार विचार किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं के सेवा नियमों के अनुसार ग्रेडेशन सूची को योग्यता सह वरिष्ठता के आधार पर माना जाएगा। इसमें कोई विवाद नहीं है कि योग्यता के आधार पर याचिकाकर्ता अपने जूनियर्स पर आपत्ति नहीं कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानूनों का हवाला देते हुए कहा कि स्व-अनुरोध और प्रशासनिक आधार पर अंतर-जिला स्थानांतरण के बीच कोई अंतर नहीं है, इसलिए, याचिकाकर्ताओं की वरिष्ठता को प्राथमिक के पद पर नियुक्ति की उनकी संबंधित तिथि से गिना जाना चाहिए। स्कूल के प्रधान पाठक और स्थानांतरित होने की तारीख से नहीं।

स्थानान्तरण स्थान पर जाने पर वरिष्ठता में परिवर्तन नहीं किया जाएगा और यह एक ही रहेगा। यदि कोई व्यक्ति स्थान ए में शामिल हो गया है और उसके बाद, किसी भी कारण से, उसे स्थान बी में स्थानांतरित कर दिया गया है, तो दोनों स्थानों पर, उसकी शामिल होने की दिनांक समान होगी और उसकी सेवा के सभी प्रयोजनों के लिए एक ही होगा। यह आयोजित नहीं किया जा सकता है और यह घोषित नहीं किया जा सकता है कि पोस्टिंग के नए स्थान में शामिल होने पर वह जूनियर बन जाता है। यदि इस आशय का कोई परिपत्र पारित कर दिया गया है, तो भी वह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन होगा। किसी अन्य जिले में उसके स्थानांतरण के आधार पर किसी को जूनियर घोषित नहीं किया जा सकता है।

मध्यस्थों द्वारा दिए गए निर्णय का हवाला देते हुए कहा गया है कि जब सरकारी कर्मचारी को अपने अनुरोध पर स्थानांतरित कर दिया जाता है, तो स्थानांतरित कर्मचारी को स्थानांतरण की तारीख तक अपनी वरिष्ठता को छोड़ना होगा, और नए कैडर या विभाग में श्रेणी में कनिष्ठ कर्मचारी के नीचे सबसे नीचे रखा जाएगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि एक सरकारी कर्मचारी को उसके व्यक्तिगत विचार के लिए किसी अन्य इकाई या विभाग में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जिस विभाग में उसे स्थानांतरित किया जाता है, उस विभाग में उसकी सेवा को ध्यान में रखा जाना चाहिए, जिस विभाग में उसे स्थानांतरित किया गया है, उस विभाग में कर्मचारियों की वरिष्ठता को बाधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों द्वारा तैयार की गई ग्रेडेशन सूची गलत है और इसे संशोधित करते समय और याचिकाकर्ताओं को उनके अधिकार में रखते हुए इसे सुधारने की आवश्यकता है। उनकी प्रारंभिक सेवा में शामिल होने के आधार पर स्थान या स्वयं के अनुरोध पर स्थानांतरित होने से याचिकाकर्ताओं को उनके जूनियर्स के अधीन नहीं रखा जाएगा। याचिकाकर्ताओं द्वारा दावा की गई राहत की आवश्यकता है। हाई कोर्ट ने राज्य शासन को ग्रेडेशन सूची में सुधार करने और याचिकाकर्ताओं को उनकी उचित ग्रेडेशन सूची में रखकर कानून के अनुसार एक नई ग्रेडेशन सूची तैयार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता 10 दिसंबर 2010 से प्रधान पाठक के पद पर अपनी वरिष्ठता प्राप्त करने के भी हकदार हैं।

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