Delhi Air Pollution: दिल्ली में खतरनाक स्तर पर पहुंचा प्रदूषण, AQI बेहद खराब, GRAP लागू
Delhi Air Pollution: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर जानलेवा प्रदूषण की चपेट में है। चारों तरफ धुंध की मोटी चादर छाई हुई है और लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है।
Delhi Air Pollution: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर जानलेवा प्रदूषण की चपेट में है। चारों तरफ धुंध की मोटी चादर छाई हुई है और लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। आज (23 अक्टूबर 2024) दिल्ली-NCR में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 355 दर्ज किया गया, जो "बहुत खराब" स्थिति को दर्शाता है। इस बढ़ते प्रदूषण के पीछे पराली जलाने की घटनाओं को जिम्मेदार माना जा रहा है, खासकर पंजाब और हरियाणा में।
GRAP-2 लागू, कोयले और डीजल जेनरेटर पर पाबंदी
दिल्ली में बिगड़ते हालात को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का दूसरा चरण लागू कर दिया गया है। इसके तहत कोयला और लकड़ी जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, साथ ही डीजल जनरेटर के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी गई है। प्रदूषण के चलते पार्किंग शुल्क बढ़ा दिया गया है और लोगों से सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करने की अपील की जा रही है। इसके अलावा, मेट्रो के फेरों में भी इजाफा किया गया है।
आनंद विहार सबसे प्रदूषित क्षेत्र
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, दिल्ली के विभिन्न इलाकों में स्थिति बेहद खराब है। आज सुबह 7 बजे का औसत AQI 349 दर्ज किया गया। आनंद विहार में यह आंकड़ा 400 तक पहुंच गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है। अन्य क्षेत्रों की बात करें तो अलीपुर का AQI 366, अशोक नगर में 358, बवाना में 388, द्वारका सेक्टर-8 में 360 और जहांगीरपुरी में 414 तक जा पहुंचा है। NCR के शहरों में भी हालात चिंताजनक हैं, गाजियाबाद में AQI 320, नोएडा में 304 और गुरुग्राम में 248 दर्ज किया गया है।
कैसे मापा जाता है AQI?
AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) वायु की गुणवत्ता को मापने का एक पैमाना है। यदि किसी क्षेत्र का AQI 0 से 50 के बीच होता है तो उसे "अच्छा" माना जाता है, 51 से 100 के बीच "संतोषजनक", 101 से 200 के बीच "मध्यम", 201 से 300 के बीच "खराब", 301 से 400 के बीच "बहुत खराब" और 401 से 500 के बीच AQI होने पर उसे "गंभीर" श्रेणी में रखा जाता है।
क्या है GRAP?
ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) सरकार की एक योजना है, जिसे दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए लागू किया जाता है। इस योजना के तहत, प्रदूषण के स्तर के आधार पर अलग-अलग चरणों में पाबंदियां लगाई जाती हैं।