CG Liquor Scame: शराब घोटाला: घोटालेबाज 28 आबकारी अफसरों को जमानत: 3200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में फंसे 28 आबकारी अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली सशर्त जमानत
CG Liquor Scame: छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में फंसे 28 आबकारी अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त जमानत दे दी है। 18 अगस्त को बिलासपुर हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद घोटाले में संलिप्त सभी 28 अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत,जस्टिस जॉयमाला बागची और जस्टिस विपुल पंचोली की तीन सदस्यीय बेंच में हुई। बेंच ने शर्तों के साथ जमानत दे दी है।
रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित 3200 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में 28 आबकारी अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त अस्थाई जमानत दे दी है। ACB– EOW द्वारा चालान में आरोपी बनाने के बाद पहले विशेष न्यायालय से फिर हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले मामले में आबकारी विभाग के 22 सेवारत और 6 सेवानिवृत्त आबकारी विभाग के अधिकारियों को आरोपी बनाकर एसीबी और ईओडब्ल्यू ने स्पेशल कोर्ट रायपुर में चालान पेश किया था। ED के पत्र के आधार पर इस मामले में जांच की गई थी। ईडी की जांच में पहले 2161 करोड़ रुपए का शराब घोटाला बताया गया था। ईओडब्ल्यू द्वारा पेश चालान में इसे 3200 करोड़ रुपए का घोटाला बताया गया।
बिना आबकारी अधिकारियों को गिरफ्तार किए विशेष न्यायालय में चालान प्रस्तुत कर दिया था। 20 अगस्त को ट्रायल कोर्ट में सभी को पेश होना था। ट्रायल कोर्ट में पेश होने के बजाय आबकारी अधिकारियों ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर कर दी। 18 अगस्त को मामले की सुनवाइ के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए सभी अधिकारियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर करने वाले अधिकारियों ने अदालत में यह दलील दी थी कि वे निर्दोष हैं, जांच में सहयोग कर रहे हैं और कई गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं।
इन शर्तों के साथ मिली अग्रिम जमानत
सभी 28 अफसर विशेष न्यायालय में 23 सितंबर को उपस्थित होंगे और जमानत के लिए बॉण्ड भरेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से भी 10 अक्टूबर तक इस मामले में जवाब मांगा है।
ये 28 अधिकारी, जिन पर है घोटाले में कमीशनखोरी का आरोप
ईओडब्ल्यू की जांच में शामिल जिन अधिकारियों की जमानत याचिका खारिज हुई है, उनमें प्रमोद नेताम, नीतू नोतानी, एल.एस. ध्रुव, इकबाल अहमद खान, जनार्दन सिंह कौरव, अरविंद पाटले, दिनकर वासनिक, नोहर ठाकुर, नवीन तोमर, विकास गोस्वामी, रामकृष्ण मिश्रा, मंजूश्री कसेर, विजय सेन, मोहित जायसवाल, गंभीर सिंह नुरूटी, नीतिन खंडुजा, अश्वनी अनंत, अनंत सिंह, सोनल नेताम, गरीब पाल सिंह, सौरभ बक्शी, जेठूराम मंडावी, देवलाल वैद्य, प्रकाश पाल, आशीष कोसम और राजेश जायसवाल समेत अन्य नाम शामिल हैं।
पहले से जेल में बंद है कई आरोपी:
पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल, सेवानिवृत्त IAS अनिल टुटेजा और रायपुर के पूर्व महापौर एजाज ढेबर के कारोबारी भाई अनवर ढेबर, बिलासपुर के सीए संजय मिश्रा,उनके भाई शामिल हैं। अब तक इस मामले में करीब 70 लोगों को आरोपी बनाया जा चुका है, जिनमें चार डिस्टलरी संचालक भी शामिल हैं।