किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध विष्णुदेव सरकार, धान की उन्नत किस्मों से छत्तीसगढ़ में बढ़ेगा उत्पादन, किसानों को होगा लाभ

CM Vishnudeo: देश में कम जमीन में अधिक पैदावार लेने की पहल को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्में जारी की हैं...

Update: 2024-08-17 08:30 GMT

रायपुर। देश में कम जमीन में अधिक पैदावार लेने की पहल को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 61 फसलों की 109 नई एवं उन्नत किस्में जारी की हैं। धान की उन्नत किस्मों से छत्तीसगढ़ के किसान विशेष रूप से लाभान्वित होंगे। फसल की इन नई किस्मों से छत्तीसगढ़ में विशेषकर धान का उत्पादन बढ़ेगा। इससे छत्तीसगढ़ के किसान उत्कृष्ट खेती के साथ और अधिक समृद्ध बनेंगे। इनमें 34 प्रक्षेत्र फसलें और 27 बागवानी फसलें शामिल हैं। प्रक्षेत्र फसलों में मोटे अनाज, चारा फसलें, तिलहन, दलहन, गन्ना, कपास, रेशा और अन्य संभावित फसलों सहित विभिन्न अनाजों के बीज जारी किए गए हैं।

जाहिर है, प्रधानमंत्री द्वारा जारी उन्नत फसलों में चावल की नौ, गन्ना एवं तिलहन की सात-सात एवं बागवानी फसलों की 40 किस्में शामिल हैं। सभी किस्में पोषणयुक्त हैं, जिन्हें जलवायु एवं क्षेत्र के अनुकूल विकसित किया गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में इन पर लंबे समय से काम किया जा रहा था। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों एवं वैज्ञानिकों से प्राकृतिक खेती की जरूरतों, लाभों एवं जैविक खाद्यान्नों की बढ़ती मांगों पर विमर्श किया। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि कृषि विज्ञान केंद्रों को प्रत्येक महीने विकसित की जा रही नई किस्मों के लाभ के बारे किसानों को बताया जाना चाहिए, ताकि खेती की लागत में कमी आ सके। सरकार का जोर विज्ञान को खेतों तक पहुंचाने पर है। प्रधानमंत्री ने राजधानी के आईसीएआर परिसर के खेतों में जाकर इन नई किस्मों को जारी किया। इसकी जरूरत पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कृषि में मूल्य संवर्धन पर बल दिया। उन्होंने कहा कि शोध के निष्कर्षों को खेतों तक पहुंचाने के प्रयत्न किए जा रहे हैं। उन्नत बीजों से खेती करने पर किसानों को अधिक लाभ होगा, क्योंकि खेती की लागत कम होगी और पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पीएम ने प्राकृतिक खेती के साथ-साथ जैविक खेती के प्रति किसानों के बढ़ते विश्वास के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि लोगों ने पोषणयुक्त अनाज होने के चलते जैविक खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल बढ़ा दिया है। इससे मांग में वृद्धि हो रही है। मोटे अनाज की ओर झुकाव इसका उदाहरण है। केंद्र सरकार का मानना है कि कम लागत में अधिक उपज के लिए उन्नत बीज चाहिए।

इन फसलों की किस्में जारी

जारी 61 फसलों की 109 किस्मों में 34 खेत की फसलें और 27 बागवानी फसलें शामिल हैं। खेत की फसलों में बाजरा, चारा फसलें, तिलहन, दलहन, गन्ना, कपास, फाइबर समेत विभिन्न अनाज के उन्नत बीज जारी किए। बागवानी में आम, अनार, अमरूद, बेल जैसे फलों के साथ सब्जियों में टमाटर, लौकी आदि के साथ कंद, मसालों, फूलों एवं औषधीय पौधों की विभिन्न किस्में जारी की गईं। अनाज में चावल, गेहूं, जौ, मक्का, ज्वार, बाजरा, रागी, छीना, सांबा आदि। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि एवं किसानों के लिए आज के दिन को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि नई किस्मों से प्रतिकूल मौसम में भी अच्छी पैदावार मिल सकती है।

जैविक खेती में बढ़ेगा भरोसा

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों और वैज्ञानिकों से बातचीत भी की। पीएम ने नैचुरल खेती के फायदों और जैविक खेती में आम लोगों के बढ़ते विश्वास के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि लोगों ने जैविक फूड आइटम्स का उपभोग और मांग करना शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि कृषि विज्ञान केन्द्र को हर महीने विकसित की जा रही नई किस्मों के बारे में किसानों को बताना चाहिए। वहीं, किसानों ने कहा कि ये नई किस्में बहुत फायदेमंद होंगी। इससे खर्च कम होगा और एन्वायर्नमेंट पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

कृषि और किसानों को होगा फायदाः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 61 फसलों की 109 किस्में जारी करने पर प्रसन्नता जताई है। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में उच्च उत्पादन क्षमता वाली जलवायु अनुकूल व बायोफोर्टिफाइड फसलों की 109 किस्मों को जारी करने से देश में कृषि और किसानों को लाभ होगा। धान की उन्नत किस्मों से छत्तीसगढ़ के किसान विशेष रूप से लाभान्वित होंगे। फसल की इन नई किस्मों से छत्तीसगढ़ में विशेषकर धान का उत्पादन बढ़ेगा। इससे छत्तीसगढ़ के किसान उत्कृष्ट खेती के साथ और अधिक समृद्ध बनेंगे। इनमें 34 प्रक्षेत्र फसलें और 27 बागवानी फसलें शामिल हैं। प्रक्षेत्र फसलों में मोटे अनाज, चारा फसलें, तिलहन, दलहन, गन्ना, कपास, रेशा और अन्य संभावित फसलों सहित विभिन्न अनाजों के बीज जारी किए गए हैं।

जलवायु के मुताबिक थी बीज की जरुरतः साय

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण धरती गर्म हो रही है। ऐसे में हमें वैसे बीज की जरूरत है, जो जलवायु के अनुकूल हों, अधिक पैदावार दे सकें और जिसकी खेती में कीटनाशकों का प्रयोग कम हो। नई किस्मों को वैज्ञानिकों ने काफी अनुसंधान के बाद जलवायु और मिट्टी के अनुकूल तैयार किया है। इनमें धान की ऐसी किस्म भी है, जिसकी खेती में 20 प्रतिशत तक कम पानी लगेगा। कीटों का प्रकोप भी कम होगा।

20 फीसदी कम लगेगा पानी

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा कृषि और किसानों के कल्याण के लिए पूरी तत्परता से काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि कृषि वैज्ञानिकों ने धान की ऐसी किस्में तैयार की है, जिनके उत्पाद में 20 प्रतिशत कम पानी लगेगा। इसके अलावा दालों में अरहर और चने की 2-2, मसूर की 3 उन्नत किस्में किसानों को खेती के लिए उपलब्ध होंगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कृषि के क्षेत्र में अभिनव एवं क्रांतिकारी कार्य के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं कृषि वैज्ञानिकों का आभार जताते हुए देश के किसानों को बधाई एंव शुभकामनाएं दी है।

फसल बीमा की अवधि 25 अगस्त तक बढ़ी

केन्द्र सरकार द्वारा ऋणी किसानों के लिए खरीफ फसलों का बीमा कराए जाने की तिथि को 16 अगस्त से बढ़ाकर 25 अगस्त कर दिया गया है, जबकि अऋणी कृषकों के लिए फसलों का बीमा कराने की 16 अगस्त तक की निर्धारित तिथि यथावत रहेगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पर्वू में 31 जुलाई तक फसल बीमा कराएं की तिथि निर्धारित की गई थी। छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने ऋणी और अऋणी किसानों के बीमा कराने की तिथि 16 अगस्त तक कर दिया था। अब भारत सरकार ने ऋणी किसानों को और रियायत देते हुए फसल बीमा कराने की तिथि 25 अगस्त तक बढ़ा दी है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने कृषि विभाग के अधिकारियों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ दिलाने के लिए राज्य के किसानों को फसल बीमा कराने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन देने तथा पंजीयन कराने को कहा है, ताकि प्राकृतिक आपदा से फसल नुकसान होने पर उन्हें क्षतिपूर्ति मिल सके। राज्य में कृषि विभाग द्वारा खरीफ वर्ष 2024 के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए जारी अधिसूचना के अनुसार योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को पंजीयन कराना जरूरी है। किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत धान सिंचित, असिंचित, सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, मूंग, उड़द, कोदो-कुटकी, रागी फसल का बीमा करा सकते हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्रतिकूल मौसम, सूखा, बाढ़, जलप्लावन, ओलावृष्टि आदि प्राकृतिक आपदाओं से किसानों को होने वाले फसल नुकसान की क्षतिपूर्ति होती है। योजना में ऋणी और अऋणी किसान, जो भू-धारक व बटाईदार हो, शामिल हो सकते हैं। ऐसे किसान जो अधिसूचित ग्राम में अधिसूचित फसल का बीमा करा सकते हैं, इसके लिए किसानों को अपना आधार कार्ड, ऋण पुस्तिका, बी-1 पॉचशाला खसरा, बैंक पासबुक की छायाप्रति एवं बोनी प्रमाण पत्र के साथ पंजीयन कराना होगा। बैंक अथवा चॉईस सेंटरों के माध्यम से भी फसल बीमा कराया जा सकता है।

ओला पीड़ित किसानों को 9 लाख का मुआवजा

राज्य शासन द्वारा किसानों को खेती-किसानी में प्राकृतिक रूप से 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने पर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। इस कड़ी में बिलासपुर जिले के बेलगहना तहसील के 4 गावों के 164 ओला पीड़ित किसानों को 9 लाख रुपए की मुआवजा राशि के चेक का वितरण किया गया है। कलेक्टर श्री अवनीश शरण के निर्देश पर एसडीएम युगल किशोर उर्वशा ने कोनचरा में आयोजित कार्यक्रम में प्रभावित किसानों को मुआवजा राशि के चेक वितरित किए। शेष किसानों को आरटीजीएस के जरिए राशि बैंक खातों में जमा करा दी गई। उल्लेखनीय है कि प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत प्रति हेक्टेयर नुकसान के लिए 8500 रुपए की मुआवजा दी जाती है। 33 प्रतिशत अथवा इससे अधिक नुकसान पर मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है। बेलगहना के ग्राम पहांदा, कोनचरा, सुखेना और जरगा के किसानों का रबी धान की फसल को ओला वृष्टि से नुकसान पहुंचा था। उन्होंने जनदर्शन में कलेक्टर को आवेदन देकर मुआवजा की मांग की थी। कलेक्टर ने टीएल में रखकर इसकी प्रगति की समीक्षा की। राजस्व निरीक्षक और पटवारियों को तेजी से सर्वे कर प्रकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। लाभान्वित किसानों में पहांदा के 116, कोनचरा के 33, सूखेना के 11 और जरगा के 4 किसान शामिल हैं।

Tags:    

Similar News