Tokhan Sahu: तोखन साहू के केंद्रीय मंत्री बनने से अमर को राहत...अरुण को झटका? पढ़िये NPG का सियासी विश्लेषण
Tokhan Sahu: तोखन साहू के केंद्रीय राज्य मंत्री बनते ही राज्य सरकार ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय योगा दिवस समारोह बिलासपुर का चीफ गेस्ट अपाइंट कर दिया। जबकि, इस साल डिप्टी सीएम अरुण साव को बिलासपुर में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह का चीफ गेस्ट बनाया गया था। जाहिर है, अरुण साव के लिए यह धक्का होगा।
Tokhan Sahu: रायपुर, बिलासपुर। नरेंद्र मोदी कैबिनेट 3.0 में बिलासपुर संसदीय सीट से पहली बार जीत कर संसद में पहुंचे तोखन साहू को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया तो तोखन से ज्यादा चर्चा इस बात की रही कि अरुण साव के सियासी हाइट पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। उपर से तोखन को शहरी विभाग मिल गया, जो इस समय छत्तीसगढ़ राज्य में अरुण साव के पास है। अरुण के पास दो बड़े विभाग हैं, जिनमें पीडब्लूडी के साथ नगरीय निकाय विभाग शामिल हैं।
20 किलोमीटर की दूरी पर दो मंत्री
छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव और केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू एक ही विधानसभा इलाके से आते हैं। लोरमी अरुण का विधानसभा इलाका है और तोखन लोरमी के रहने वाले हैं। दोनों के पैतृक गांव भी 20 किलोमीटर के दायरे में हैं। दोनों सजातीय तो हैं ही, संभाग बिलासपुर, विभाग भी एक ही।
अरुण दूसरे नंबर के मंत्री
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से करीब साल भर पहले विष्णुदेव साय को हटाकर अरुण साव को बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते दिसंबर 2023 में जब बीजेपी सत्ता में आई तो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में अरुण साव का नाम पहले नंबर पर था। उनके साथ उनके समर्थकों को भी उम्मीद थी के ओबीसी बहुल राज्य में उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल सकती है। मगर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने आदिवासी कार्ड चलते हुए विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बना दिया। विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल में अरुण साव के साथ ही विजय शर्मा को डिप्टी सीएम बनाया गया। मगर पूर्व अध्यक्ष और जातीय समीकरण के चलते अरुण को मंत्रिमंडल में दूसरे नंबर की स्वाभाविक हैसियत हासिल थी।
सरकार में तालमेल
छत्तीसगढ़ के राजनीतिक समीक्षक भी मानते हैं कि मंत्रिमंडल में दूसरे नंबर की हैसियत होने के बाद भी अरुण का सिस्टम के साथ वो तालमेल नहीं दिख रहा था, जो होना चाहिए था। दूसरे डिप्टी सीएम सरकार की हर गतिविधियां में आगे रहे। मुख्यमंत्री के दौरों में भी विजय शर्मा काफी एक्टिव रहते हैं। अरुण डिप्टी सीएम बनने के बाद पिछले छह महीने से खींचे-खींचे से रहे।
बिलासपुर में अतिसक्रियता
छत्तीसगढ़ बीजेपी के पितृपुरूष लखीराम अग्रवाल के बेटा होने के साथ ही अमर अग्रवाल अपने दम पर बिलासपुर में लगातार चार बार विधायक रहे। इस विधानसभा में फिर पहले से अधिक मतों से जीतकर पहुंचे हैं। दूसरा बिलासपुर में पिछले तीन लोकसभा चुनाव के संचालक अमर रहे और तीनों को जीतवाए। 2014 के लोकसभा चुनाव के समय बिलासपुर की सियासत को देखते अमर ने अरुण साव को टिकिट दिलाने का प्रयास किया मगर उस समय ऐसा हो नहीं पाया। और टिकिट लखनलाल साहू को मिल गई। मगर 2019 में अमर ने काफी प्रयास कर अरुण साव को टिकिट दिलाया और वे जीते भी। जीत के बाद अरुण साव अमर को पूरा सम्मान देते रहे। सांसद रहने के दौरान अमर के जो भी निर्देश हुए, अरुण उससे कभी इधर-उधर नहीं हुए। कहने का आशय यह कि दोनों में अच्छी ट्यूनिंग थी। अरुण के अध्यक्ष बनने के बाद विधानसभा चुनाव 2023 तक सब कुछ ठीकठाक रहा। मगर अरुण के डिप्टी सीएम बनने के बाद संबंधों में खिंचाव आने लगे। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इसके लिए अरुण साव के सिपहसालार ज्यादा जिम्मेदार हैं। डिप्टी सीएम बनने के बाद अरुण मुंगेली को छोड़ बिलासपुर को अपना क्षेत्र बनाने लगे। उन्होंने वहां जनता दरबार प्रारंभ कर दिया। यही नहीं, अमर के जो धुर विरोधी रहे, जिन्हें अमर ने कभी वेटेज नहीं दिया, ऐसे नेताओं को अरुण का संरक्षण मिलने लगा। उन समर्थकों की होर्डिंग्स से बिलासपुर शहर पट गया था। जाहिर है, अमर को यह कचोटता होगा।
रायपुर के बड़े नेता खुश नहीं
अरुण साव की छबि तेज और प्रखर वक्ता वाले नेता की रही है। सांसद रहते तक उनका परफार्मंस काफी बढ़ियां रहा। अरुण भाषण देने के मामले में ेछत्तीसगढ़ बीजेपी के गिने-चुने नेताओं में शामिल होंगे। मगर बीजेपी के अध्यक्ष बनने के बाद स्थितियां बदलने लगी। अरुण साव ने प्रदेश पदाधिकारियों की सर्जरी की, उससे छत्तीसगढ़ के बड़े बीजेपी नेता भी खुश नहीं थे।
तोखन का दबदबा बढ़ेगा
केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू के चुनाव संचालक भी अमर अग्रवाल रहे। चूकि तोखन की अपनी जमीन बनानी है, लिहाजा वे सरकार के साथ ही बिलासपुर के अमर अग्रवाल जैसे प्रभावशाली नेताओं को साध कर चलेंगे। इसकी शुरूआत हो चुकी है। सरकार ने योगा दिवस का उन्हें मुख्य अतिथि बनाया, और अरुण साव को कोरबा का। जबकि, पिछले 26 जनवरी को अरुण साव ने बिलासपुर में परेड की सलामी ली थी। सियासी प्रेक्षकों का कहना है कि तोखन से अरुण साव की स्थिति थोड़ी असहज होगी तो अमर कंफर्ट महसूस करेंगे।