Ratanpur Crime News: रतनपुर महामाया मंदिर परिसर में चाकूबाजी! 2 युवकों की हालत गंभीर, भक्तों में मची अफरा तफरी

Ratanpur Crime News: छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक नगरी बिलासपुर जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूरी पर रतनपुर में मां महामाया देवी (Mahamaya Mandir) में नवरात्री महापर्व का उल्लास चरम पर है. इसी बीच बड़ी खबर सामने आ रही है. शारदीय नवरात्रि में उमड़ी भीड़ के बीच चाकूबाजी की वारदात (Ratanpur Mahamaya Mandir Chakubaji) हुई है.

Update: 2025-09-30 04:20 GMT

Ratanpur Mahamaya Mandir Chakubaji: बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक नगरी बिलासपुर जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूरी पर रतनपुर में मां महामाया देवी (Mahamaya Mandir) में नवरात्री महापर्व का उल्लास चरम पर है. श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति का सैलाब उमड़ रहा है. रोज बड़ी संख्या में भक्त दर्शन करने पहुंच रहे हैं. इसी बीच बड़ी खबर सामने आ रही है. शारदीय नवरात्रि में उमड़ी भीड़ के बीच चाकूबाजी की वारदात (Ratanpur Mahamaya Mandir Chakubaji) हुई है.

महामाया मंदिर परिसर में चाकूबाजी

मामला रतनपुर थाना क्षेत्र का है. घटना महामाया मंदिर परिसर में हुई है. नवरात्र के सप्तमी तिथि पर माता कालरात्रि की पूजा के लिए महामाया मंदिर बड़ी संख्या में भक्त दर्शन और पूजा करने पहुंचे थे. इसी बीच कुछ युवकों में किसी आपसी विवाद को लेकर चाकूबाजी चल गयी. युवकों ने दो युवकों पर चाकू से हमला कर दिया. चाकू के हमले से युवक बुरी तरह घायल हो गए.

दो युवकों की हालत गंभीर

घटना के बाद मंदिर में हड़कंप मच गया. भक्तों के बीच भगदड़ मच गयी. लोग इधर उधर भागने गए. हालाँकि मंदिर की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों और पुलिस के जवानों ने स्थिति को संभाला. पुलिस ने युवकों को तत्काल इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है. दोनों युवकों की हालत गंभीर बताई जा रही है. फ़िलहाल पुलिस घटना की जांच कर रही है.

51 शक्तिपीठों में शामिल है रतनपुर मां महामाया देवी मंदिर 

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिला मुख्यालय से 24 किलोमीटर दूरी पर रतनपुर में मां महामाया देवी (Mahamaya Mandir) का मंदिर स्थित हैं. रतनपुर को शक्तिपीठ भी कहा जाता है. इस मंदिर में एक साथ दो देवियां हैं. उपर में महालक्ष्मी और नीचे महासरस्वती. ऐसा अनूठा देवी मंदिर वैष्णव देवी मंदिर के अलावे और कहीं नहीं है. इसके अलावा देश में जितने भी देवी मंदिर हैं, सबमें एक ही देवी की प्रतिमा पाई जाती हैं.

रतनपुर को देवी और आस्था की नगरी के रूप में भी जाना जाता है. मंदिरो और तालाबों से भरा रतनपुर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर से 24 किलोमीटर दूर है. देवी महामाया को कोसलेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है, जो पुराने दक्षिण कोसल क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी हैं. परंपरागत रुप से महामाया रतनपुर राज्य की कुलदेवी हैं. माना जाता है कि सती की मृत्यु से व्यथित भगवान शिव उनके मृत शरीर को लेकर तांडव करते हुए ब्रह्मांड में भटकते रहे. इस समय माता के अंग जहां-जहां गिरे, वहीं शक्तिपीठ बन गए. इन्हीं स्थानों को शक्तिपीठ रूप में मान्यता मिली. महामाया मंदिर में माता का दाहिना स्कंध गिरा था. भगवान शिव ने स्वयं आविर्भूत होकर उसे कौमारी शक्ति पीठ का नाम दिया था. इसीलिए इस स्थल को माता के 51 शक्तिपीठों में शामिल किया गया. भगवान शिव ने स्वंय अविभूर्त होकर इसे कौमारी शक्तिपीठ का नाम दिया था. माना जाता है कि नवरात्र में यहां की गई पूजा कभी निष्फल नहीं होती. यहां प्रातः काल से देर रात तक भक्तों की भीड़ लगी रहती है. मंदिर के संरक्षक कालभैरव को माना जाता है, जिनका मंदिर रतनपुर शहर पहुंचने से पहले ही मंदिर के ही रास्ते पर स्थित है. यह एक लोकप्रिय धारणा है कि महामाया मंदिर (Mahamaya Mandir) जाने वाले तीर्थयात्रियों को भी अपनी तीर्थयात्रा पूरी करने के लिए कालभैरव के मंदिर जाने की आवश्यकता होती है. चैत्र और क्वांर नवरात्रि के दौरान देवी मां को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिकलश जलाया जाता है. नवरात्रि में मां महामाया के दर्शन करने के लिए लाखों भक्त यहां आते हैं और उनकी मांगी हर मनोकामना मां पूरी होती है.

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