Raipur PRSU Law Department: PRSU लॉ विभाग रायपुर में BCI नियमों की खुली अनदेखी, फिजिकल एजुकेशन के प्रोफेसर अब भी हेड, छात्रों की डिग्री पर संकट

PRSU Law Department: PRSU के लॉ विभाग में BCI के निर्देशों का पालन नहीं। फिजिकल एजुकेशन प्रोफेसर अब भी हेड, 2025-26 से एडमिशन पर रोक का खतरा।

Update: 2025-12-22 11:12 GMT

रायपुर, 17 दिसंबर 2025: छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय (PRSU) के स्कूल ऑफ स्टडीज इन लॉ में कानून शिक्षा के मानकों को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) की सख्त चेतावनी के बावजूद दिसंबर 2025 तक नियमों का पालन नहीं किया गया है। सबसे अहम मामला यह है कि फिजिकल एजुकेशन में पीएचडी रखने वाले प्रोफेसर डॉ. राजीव चौधरी अब भी लॉ विभाग के हेड के रूप में कार्यरत हैं जबकि BCI ने उन्हें इस पद से हटाने और विधि में योग्य नियमित प्रमुख की नियुक्ति का स्पष्ट निर्देश दिया था

BCI के जुलाई 2024 के आदेश में क्या कहा गया था

3 जुलाई 2024 को जारी BCI के पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि प्रो. राजीव चौधरी का लॉ विभाग का इंचार्ज होना और रिसर्च मेथडोलॉजी जैसे विषय पढ़ाना लीगल एजुकेशन रूल्स का उल्लंघन है। BCI की स्टैंडिंग कमेटी ने इसे शॉकिंग स्थिति बताते हुए यूनिवर्सिटी को निर्देश दिया था कि नियमों के अनुसार लॉ में योग्य रेगुलर प्रिंसिपल या हेड की नियुक्ति की जाए। साथ ही यह भी कहा गया था कि यदि कमियां दूर नहीं की गईं, तो शैक्षणिक सत्र 2025-26 से एडमिशन रोके जा सकते हैं।



एक साल बाद भी जस की तस स्थिति

BCI के आदेश को एक साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन जमीनी स्थिति में कोई ठोस बदलाव नजर नहीं आ रहा। लॉ विभाग में न तो अब तक योग्य नियमित प्रमुख की नियुक्ति हुई है और न ही अन्य प्रमुख कमियों को पूरी तरह दूर किया गया है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या इस स्थिति में पढ़ रहे छात्रों की डिग्री भविष्य में मान्य रहेगी या नहीं।

एडमिशन पर रोक का सीधा खतरा

BCI ने अपने आदेश में साफ किया था कि अगर यूनिवर्सिटी तय समयसीमा में सभी कमियों को दूर नहीं करती है, तो 2025-26 सत्र से नए एडमिशन की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसका सीधा असर लॉ के मौजूदा और आने वाले छात्रों पर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मान्यता पर सवाल उठे, तो छात्रों का करियर भी खतरे में आ सकता है

फैकल्टी, लाइब्रेरी और मूट कोर्ट पर भी सवाल

BCI की रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि लॉ विभाग में अधिकांश फैकल्टी गेस्ट लेक्चरर के रूप में कार्यरत हैं, जबकि स्थायी फैकल्टी की नियुक्ति अनिवार्य है। इसके अलावा अलग लॉ लाइब्रेरी, ई-लाइब्रेरी, पर्याप्त जर्नल्स, मूट कोर्ट और बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर भी गंभीर कमियां बताई गई थीं, जिन्हें समय रहते सुधारने के निर्देश दिए गए थे

छात्रों में बढ़ती चिंता, जवाब का इंतजार

BCI की सख्त चेतावनी और यूनिवर्सिटी की कथित लापरवाही के बीच लॉ के छात्र असमंजस में हैं। छात्र संगठनों का कहना है कि वे नियमों के उल्लंघन की कीमत नहीं चुकाना चाहते। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि PRSU प्रशासन कब तक BCI के निर्देशों का पालन करता है या फिर यह मामला आगे और बड़ा रूप लेता है।

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