President’s Colours: राष्ट्रपति का निशान: छत्तीसगढ़ पुलिस को क्यों दिया गया यह सम्मान?
President's Colours: छत्तीसगढ़ पुलिस को यह सम्मान उसकी स्थापना के केवल 24 वर्षों के भीतर प्राप्त हुआ है, जो इसे यह गौरव पाने वाले सबसे युवा पुलिस बलों में से एक बनाता है। 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद इस पुलिस बल का गठन किया गया। इतने कम समय में उन्होंने नक्सलवाद जैसी जटिल चुनौतियों से निपटते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।
President's Colours: भारत के सशस्त्र बलों और पुलिस संगठनों को उनकी विशिष्ट सेवाओं और अनुकरणीय कर्तव्यनिष्ठा के लिए प्रदान किया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है ‘राष्ट्रपति का निशान (President’s Colours)’। हाल ही में छत्तीसगढ़ पुलिस को यह गौरव प्रदान किया गया है। यह सम्मान राज्य पुलिस के उन अद्वितीय प्रयासों और उपलब्धियों को मान्यता देता है, जो उन्होंने नक्सलवाद और अन्य चुनौतियों से निपटने में हासिल की हैं।
छत्तीसगढ़ पुलिस: सबसे युवा बलों में से एक
छत्तीसगढ़ पुलिस को यह सम्मान उसकी स्थापना के केवल 24 वर्षों के भीतर प्राप्त हुआ है, जो इसे यह गौरव पाने वाले सबसे युवा पुलिस बलों में से एक बनाता है। 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद इस पुलिस बल का गठन किया गया। इतने कम समय में उन्होंने नक्सलवाद जैसी जटिल चुनौतियों से निपटते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। यह उपलब्धि छत्तीसगढ़ पुलिस के अद्वितीय समर्पण और प्रभावशाली कार्य प्रणाली का प्रमाण है।
ऐतिहासिक महत्व
‘राष्ट्रपति का निशान (President’s Colours)’ सम्मान की परंपरा भारत में ब्रिटिश काल से जुड़ी है। उस समय इसे “किंग्स कलर्स” या “क्वीन्स कलर्स” कहा जाता था, जो ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति वफादारी और सैन्य संगठन की श्रेष्ठता का प्रतीक होता था। 1950 में भारत के गणराज्य बनने के बाद इसे ‘राष्ट्रपति का निशान’ के रूप में पुनर्परिभाषित किया गया। यह भारतीय गणराज्य के राष्ट्रपति की ओर से उन सशस्त्र बलों और पुलिस संगठनों को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने असाधारण सेवाएं दी हैं और अपने प्रदर्शन से राष्ट्रीय गौरव को बढ़ाया है।
भारत में पहली बार यह सम्मान भारतीय नौसेना को 27 मई 1951 को प्रदान किया गया, जो इसे प्राप्त करने वाली पहली इकाई बनी। इसके बाद यह सम्मान भारतीय वायुसेना और दिल्ली पुलिस को दिया गया। यह सम्मान उस संगठन की परंपरा, समर्पण और अनुकरणीय सेवाओं का प्रतीक है।
किन पुलिस बलों को मिला है राष्ट्रपति का निशान (President’s Colours)?
अब तक देश में उत्तर प्रदेश पुलिस, दिल्ली पुलिस, महाराष्ट्र पुलिस, जम्मू और कश्मीर पुलिस, तमिलनाडु पुलिस, त्रिपुरा पुलिस, गुजरात पुलिस, हिमाचल प्रदेश पुलिस, असम पुलिस, हरियाणा पुलिस, ओडिशा पुलिस, छत्तीसगढ़ पुलिस और मुंबई पुलिस को यह सम्मान दिया गया है।
छत्तीसगढ़ पुलिस को यह सम्मान क्यों?
1. नक्सलवाद के खिलाफ संघर्ष:
छत्तीसगढ़ लंबे समय से नक्सलवाद से प्रभावित रहा है। पुलिस ने दुर्गम क्षेत्रों में माओवादी गतिविधियों का डटकर सामना किया है और सफलतापूर्वक शांति बहाल की है। उनके अभियानों में साहस, समर्पण और सामुदायिक सहभागिता का अनूठा मेल देखने को मिला।
2. सामुदायिक पुलिसिंग:
छत्तीसगढ़ पुलिस ने सामुदायिक पुलिसिंग के तहत आदिवासी युवाओं को रोजगार, शिक्षा और पुनर्वास के लिए विशेष योजनाएं चलाईं। इसके जरिए पुलिस ने आम जनता और सुरक्षा बलों के बीच विश्वास कायम किया।
3. आधुनिक तकनीक और विशेष बल:
छत्तीसगढ़ पुलिस ने अपराध नियंत्रण और नक्सल विरोधी अभियानों में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया। विशेष बल, जैसे डिस्ट्रिक्ट रिजर्व ग्रुप (DRG), ने माओवादियों के खिलाफ महत्वपूर्ण सफलता हासिल की।
सम्मान का महत्व
‘राष्ट्रपति का निशान (President’s Colours)’ न केवल बल की गौरवशाली सेवाओं का प्रतीक है, बल्कि हर सदस्य को यह प्रेरित करता है कि वे अपने कार्यों में उच्चतम मानकों का पालन करें। यह संगठन के गौरव को बढ़ाने के साथ-साथ उसकी जिम्मेदारी भी बढ़ाता है।
छत्तीसगढ़ पुलिस को राष्ट्रपति का निशान (President’s Colours) दिया जाना उनके संघर्ष, सेवा और समर्पण का प्रमाण है। केवल 24 वर्षों में यह सम्मान प्राप्त करना छत्तीसगढ़ पुलिस की दक्षता, साहस और देश के प्रति कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक है। नक्सलवाद जैसी गंभीर चुनौती से निपटने और कानून-व्यवस्था को मजबूत करने में उनकी उपलब्धियां सराहनीय हैं। यह सम्मान उनके हर जवान और अधिकारी के लिए गर्व का विषय है, जो उन्हें आने वाले समय में और अधिक उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा।