Bilaspur High Court: IED ब्लास्ट के आरोपियों की जमानत खारिज: हाई कोर्ट ने कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंता सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण
Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने नक्सल गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में जेल में बंद माओवादियों को जमानत देने से इंकार कर दिया है। डिवीजन बेंच ने कहा कि लंबे समय तक हिरासत में रखना इससे होने वाली सामाजिक और आर्थिक कठिनाई से ज्यादा महत्वपूर्ण है राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर चिंता करना।
High Court News
बिलासपुर। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने विशेष न्यायाधीश NIA के फैसले को बरकरार रखते हुए तीन लोगों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। स्पेशल कोर्ट ने सुरक्षा बल पर आईईडी विस्फोट करने वाले तीन लोगों की जमानत आवेदन को खारिज कर दिया था। स्पेशल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए डिवीजन बेंच ने कहा है कि लंबे समय तक हिरासत में रखना,जिससे होने वाली सामाजिक व आर्थिक दिक्कतें राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकती है।
डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि लंबे समय तक हिरासत में रखना या आर्थिक व सामाजिक कठिनाई, राष्ट्रीय सुरक्षा के विरुद्ध अपराध से जुड़े आरोपों की गंभीरता से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकती है। राष्ट्रीय सुरक्षा की चिंता करना हम सबकी जिम्मेदारी और जवाबदेही है। डिवीजन बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने लगातार यह माना है कि जब यह पुष्ट आधार हो कि अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप यूएपीए के तहत प्रथम दृष्टया सत्य है, तो कोर्ट अपीलकर्ताओं को ज़मानत नहीं देगा।
क्या है मामला
17 नवंबर 2023 की दोपहर मतदान समाप्त होने के बाद सुरक्षा बलों की टीम लौट रही थी। बड़ेगोबरा के पास, पहले से लगाए गए एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस आईईडी में विस्फोट हो गया, जिससे आईटीबीपी कांस्टेबल जोगेंद्र कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए और इलाज के दौरान शहीद हो गए। इस मामले में याचिकाकर्ताओं सहित सभी अभियुक्तों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 120-बी, 121, 121-ए, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 की धारा 4, 5 और 6, शस्त्र अधिनियम, 1959 की धारा 25 और 27 तथा गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16, 17, 18, 20, 23, 38, 39 और 40 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।
याचिकाकर्ताओं को 14 जून, 2024 को हिरासत में लिया गया। इसके बाद उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 483 के तहत ज़मानत के लिए आवेदन दायर किया। मामले की सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश एनआईए रायपुर ने जमानत आवेदन खारिज कर दिया। स्पेशल कोर्ट के फैसले को याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने कहा याचिकाकर्ताओं का प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन CPI माओवादी से संबंध, रसद, डेटोनेटर, तार जैसी सामग्री और अपराध को अंजाम देने के लिए आवश्यक अन्य सहायता प्रदान करने में उनकी कथित भूमिका का सीधे तौर पर खुलासा हो रहा है। डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ताओं को जमानत देने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। डिवीजन बेंच ने स्पेशल कोर्ट को छह महीने के भीतर मामले की सुनवाई पूरी करने और फैसला सुनाने का निर्देश दिया है।