High Court News: आबकारी घोटाला मामला, पूर्व मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका पर कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, ED ने जमानत का किया विरोध
High Court News: छत्तीसगढ़ में 2161 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में संलिप्तता के आरोप में सेंट्रल जेल रायपुर में बंद पूर्व आबकारी मंत्री और सुकमा विधायक कवासी लखमा की जमानत याचिका की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। कवासी लखमा के अधिवक्ता ने कोई सबूत नहीं होने के बावजूद राजनीतिक द्वेष के तहत सिर्फ बयानों के आधार पर फंसाए जाने का आरोप लगाया। राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने जमानत का विरोध किया। ED के अधिवक्ता ने लखमा पर घोटाले में संलिप्तता के आरोप लगाए।
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High Court News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित 2161 करोड़ रुपए के शराब घोटाले में जेल में बंद सुकमा विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की जमानत याचिका पर दोनों पक्षों की दलीलें पूरे होने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। ED ने अरबों के घोटाले में शामिल रहने और इसे संरक्षण देकर हिस्सा प्राप्त करने का आरोप लगाते हुए पूर्व मंत्री लखमा को जमानत देने का विरोध किया। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में प्रदेश के पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को इसी साल की शुरुआत में ईडी ने 15 जनवरी को गिरफ्तार किया था। तब से लखमा सेंट्रल जेल रायपुर में बंद है। ईडी के अलावा ED के EOW भी इस मामले में केस रजिस्टर्ड कर जांच कर रही है। जांच के बाद चालान भी अदालत में प्रस्तुत किया जा चुका है। पेश चालान में शराब नीति बदल कर और नकली होलोग्राम वाली शराब बेचकर 2165 करोड रुपए के राजस्व की क्षति सरकारी खजाने को लगाने की बात कही गई है।
आज शुक्रवार को जस्टिस अरविंद वर्मा की सिंगल बेंच में जमानत मामले की सुनवाई हुई। कवासी लखमा की तरफ से अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिहा ने पैरवी की। लखमा के अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत करते हुए बताया कि वर्ष 2024 में केस रजिस्टर्ड होने के डेढ़ साल बाद 2025 में गिरफ्तारी की गई है। गिरफ्तारी से पहले लखमा का पक्ष नहीं सुना गया जो कानून के खिलाफ है। राजनीति से प्रेरित होकर सिर्फ बयानों के आधार पर कवासी लखमा को आरोपी बना दिया गया है,जो कि गलत है। लखमा के खिलाफ कोई भी सबूत मौजूद नहीं है।
EOW की तरफ से जमानत का विरोध करने के लिए एडिशनल एडवोकेट जनरल विवेक शर्मा खड़े हुए थे। उन्होंने जमानत आवेदन का विरोध करते हुए बताया कि कवासी लखमा पूरे सिंडिकेट के संरक्षक की भूमिका में थे और उन्हीं के इशारे पर और उनकी जानकारी में शराब घोटाला हुआ था। उन्होंने शराब घोटाला करने के लिए शराब नीति बदलकर एफएल–10 लाइसेंस का नियम लाया था। इसके लाइसेंसधारी ही छत्तीसगढ़ शासन के आबकारी विभाग को शराब सप्लाई करते थे। इसके लिए नकली होलोग्राम बनवाया गया था। शराब की बोतलों में नकली होलोग्राम लगाकर उन्हें सरकारी शराब दुकानों से बेचा जाता था। जिसकी कोई एंट्री नहीं होती थी और राजस्व की चोरी की जाती थी। इस तरह से सरकारी खजाने को 2161 करोड रुपए के राजस्व की क्षति पहुंचाई गई।
सिंडिकेट के जरिए घोटाले को दिया अंजाम
अदालत को बताया कि नकली होलोग्राम बनाने से लेकर सप्लाई और रकम के बंटवारे को लेकर बकायदा एक सिंडिकेट बना हुआ था। इस सिंडिकेट में कवासी लखमा भी थे। उन्हें 2 करोड रुपए प्रतिमाह के हिसाब से 36 महीने तक शराब घोटाले में संरक्षण देने के एवज में रकम पहुंचाई गई थी। यह रकम उनके बेटे हरीश लखमा के माध्यम से उन तक पहुंचती थी। इसी रकम से सुकमा के कांग्रेस कार्यालय और उनके बेटे हरीश लखमा के घर का निर्माण हुआ था। EOW के अधिकारियों के द्वारा कवासी लखमा के 27 करीबी लोगों का बयान दर्ज किया है। जिसके आधार पर लखमा के शराब घोटाले में संलिप्त रहने के पर्याप्त सबूत मिले हैं। इसके अलावा लखमा की अवैध संपत्ति को ED ने अटैच किया है। दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के पश्चात अदालत में फैसला सुरक्षित रख लिया है।