Hepatitis Awareness 2025: No Alcohol, टीका ज़रूरी! डॉक्टरों की चेतावनी – Hepatitis चुपचाप लीवर बर्बाद कर रहा है, जानिए कैसे बचें इस ख़तरनाक बीमारी से

Hepatitis Awareness 2025: वायरल हेपेटाइटिस भारत में लीवर की बीमारियों और मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है, फिर भी आज भी कई लोग इस संक्रमण से अनजान हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में 35.4 करोड़ से अधिक लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और सी से ग्रस्त हैं और हर साल 11 लाख से अधिक लोग लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर जैसी जटिलताओं के कारण अपनी जान गंवाते हैं।

Update: 2025-07-27 15:31 GMT

Hepatitis Awareness 2025: रायपुर। वायरल हेपेटाइटिस भारत में लीवर की बीमारियों और मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है, फिर भी आज भी कई लोग इस संक्रमण से अनजान हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में 35.4 करोड़ से अधिक लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस बी और सी से ग्रस्त हैं और हर साल 11 लाख से अधिक लोग लीवर सिरोसिस और लीवर कैंसर जैसी जटिलताओं के कारण अपनी जान गंवाते हैं। भारत में अनुमानित 4 करोड़ लोग हेपेटाइटिस बी और लगभग 1.2 करोड़ लोग हेपेटाइटिस सी से संक्रमित हैं।

हेपेटाइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें लीवर में सूजन आ जाती है, जो सामान्यतः वायरल संक्रमणों के कारण होती है। हेपेटाइटिस वायरस के मुख्य प्रकार A, B, C, D और E हैं। हेपेटाइटिस A और E आमतौर पर दूषित भोजन और पानी से फैलते हैं, जबकि हेपेटाइटिस B और C संक्रमित खून या शरीरिक तरल पदार्थों के संपर्क से फैलते हैं। हेपेटाइटिस B और C की सबसे बड़ी समस्या यह है कि ये कई सालों तक बिना किसी लक्षण के शरीर में बने रह सकते हैं और चुपचाप लीवर को नुकसान पहुंचाते रहते हैं।

“सबसे बड़ी समस्या यह है कि हेपेटाइटिस B या C से ग्रस्त कई लोगों को पता ही नहीं होता कि वे संक्रमित हैं। जब तक मरीज अस्पताल आते हैं, तब तक लीवर को गंभीर क्षति हो चुकी होती है। साधारण स्क्रीनिंग टेस्ट से इस संक्रमण का जल्दी पता लगाया जा सकता है और यही हम लोगों को समझाना चाहते हैं – समय पर जांच जान बचा सकती है,” रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल्स के वरिष्ठ सलाहकार गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट एवं विभागाध्यक्ष, डॉ. संदीप पांडे ने कहा।

खुशखबरी यह है कि आज बचाव और उपचार दोनों ही पहले से कहीं अधिक सुलभ हैं। हेपेटाइटिस B को लंबे समय तक दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे वायरस काबू में रहता है और लीवर सुरक्षित रहता है। वहीं हेपेटाइटिस C, जिसे पहले कठिन माना जाता था, अब सिर्फ 2 से 3 महीने की मौखिक दवा से लगभग सभी मामलों में पूरी तरह ठीक हो सकता है। ये उपचार भारत में उपलब्ध हैं और हजारों मरीजों को स्वस्थ कर चुके हैं।

रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल्स के वरिष्ठ सलाहकार हेपेटोलॉजिस्ट डॉ. ललित निहाल ने कहा, “हेपेटाइटिस को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका टीकाकरण है। हेपेटाइटिस B का टीका बहुत असरदार है और इसे सभी नवजात शिशुओं को और जोखिम वाले वयस्कों को अवश्य लगवाना चाहिए। इसके अलावा, असुरक्षित चिकित्सा प्रक्रियाओं से बचें, सुइयों या रेज़र को साझा न करें और साफ-सुथरा भोजन और पानी ग्रहण कर हेपेटाइटिस A और E से बचाव करें।”

कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. साकेत अग्रवाल ने कहा, “कई पुरानी हेपेटाइटिस की स्थितियों में, खासकर देर से पता चलने पर, लीवर को इतना नुकसान पहुंचता है कि सिरोसिस या लीवर कैंसर जैसी जटिलताएँ पैदा हो जाती हैं, जिसके लिए लीवर रीसक्शन या प्रत्यारोपण जैसी उन्नत सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन सर्जरी आखिरी विकल्प है। हमारा उद्देश्य समय पर जांच, दवाओं से इलाज और जागरूकता के माध्यम से इन जटिलताओं को रोकना है। इस हेपेटाइटिस डे पर हम सभी से आग्रह करते हैं कि समय रहते कदम उठाएँ – रोकथाम ही सबसे अच्छा इलाज है।”

रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल्स के विशेषज्ञ नियमित लीवर चेक-अप और हेपेटाइटिस स्क्रीनिंग की सलाह देते हैं, खासकर उन लोगों को जिनका लीवर रोग का इतिहास है, जिन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूजन हुआ है या जो हाई-रिस्क व्यवहार में शामिल हैं। अस्पताल सामुदायिक कार्यक्रमों, स्वास्थ्य शिविरों और मरीजों को शिक्षित कर जागरूकता बढ़ा रहा है।

कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ. चारु शर्मा ने कहा, “एल्कोहल से बचना, संतुलित भोजन, सुरक्षित यौन व्यवहार और टीकाकरण जैसी सरल आदतें लीवर को स्वस्थ रख सकती हैं। हेपेटाइटिस हमेशा लक्षण नहीं दिखाता लेकिन यदि समय पर पकड़ लिया जाए तो इसे रोका, इलाज किया और ठीक भी किया जा सकता है।”

Tags:    

Similar News