जंगल में फंसा गजराज, कर्नाटक से बुलाना पड़ा विशेषज्ञ, वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने PCCF Wild life को लिखा पत्र और कहा

बीते12 दिनों से जांजगीर चांपा जिले के पंतोरा के पास एक छोटे से जंगल में एक हाथी फंसा हुआ है। इस छोटे से जंगल के चारों ओर गांव हैं...

Update: 2024-08-18 11:58 GMT

बिलासपुर। 12 दिन पहले कोरबा से जांजगीर चांपा के पंथोरा गांव के पास के छोटे से जंगल में पहुंचे एक हाथी को बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। हाथी को सुरक्षित निकालने के लिए वन विभाग को कर्नाटक से विशेषज्ञ को बुलाना पड़ा है। हाथी के छोटे से जंगल में फंसे होने को लेकर अब वन्यजीव प्रेमियों की चिंता बढ़ने लगी है।

बीते12 दिनों से जांजगीर चांपा जिले के पंतोरा के पास एक छोटे से जंगल में एक हाथी फंसा हुआ है। इस छोटे से जंगल के चारों ओर गांव हैं। हाथी प्रत्येक रात को निकलने का प्रयत्न कर रहा है, परन्तु ग्रामीण हल्ला मचा कर, कुछ शराब पीकर उसे परेशान करते हैं। कुछ जंगल में घुस जाते है, जिससे वह वापस जंगल में चला जाता है। हाथी को लगातार कुमकी हाथी द्वारा परेशान किया जा रहा है और भगाया जा रहा है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कर्नाटक से एक हाथी विशेषज्ञ को बुलाया है, जो पशु और मत्स्य पालन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और पशु आनुवंशिकी और प्रजनन में विशेषज्ञ हैं।

वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने PCCF Wild life को पत्र में लिखा है कि तीन दिन पहले आपसे अनुरोध किया था कि हाथी को शांति से दूसरे जंगल में जाने दे और इसके लिए बीएनएसएस की धारा 163 (पुरानी धारा 144) सहायता ली जाये परन्तु आप में इच्छा शक्ति की कमी प्रतीत होती है। पत्र में इस बात की भी आशंका जताई है कि हाथी के बिजली के झटके या किसी अन्य कारण से मरने की बहुत अधिक संभावना है।

हाथियों से कराह रहा उत्तर छत्तीसगढ़ का बड़ा हिस्सा

हाथियों के आतंक से उत्तर छत्तीसगढ़ का एक बड़ा हिस्सा कराह है। हाल ही में जशपुर के वनांचल में रहने वाले ग्रामीणों पर एक हाथी कहर बनकर टूटा। बीते आठ दिनों के अंतराल में छह ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया है। इसमें एक ही परिवार के तीन सदस्य और मदद पहुंचाने आए पड़ोसी को भी हाथी ने सूंड से लपेटकर मार डाला था। जशपुर के बाद कोरबा के माइंस एरिया में मार्निंग वाक के लिए निकली महिला को हाथी से सूंड से लपेटकर जमीन पर पटक दिया था। गंभीर रूप से घायल महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

राजधानी रायपुर में मनाया हाथी दिवस

मुख्यमंत्री विष्णुदेव की पहल पर छत्तीसगढ़ में पहली बार हाथी दिवस का आयोजन किया गया था। हाथी विशेषज्ञों ने हाथियों के सरंक्षण को लेकर अपनी बातें रखी। हाथी प्रभावित क्षेत्र में हाथियों के लिए भोजन व रहवास की व्यवस्था की बात भी उठी। राज्य सरकार ने हाथियों के संरक्षण के साथ ही हाथी प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए कार्ययोजना बनाने और इस पर अमल का निर्देश भी दिया है।

ये आंकड़ा करता है विचलित,तीन साल में 260 लोगों की जान

सरगुजा, रायगढ़, कोरबा, सूरजपुर, महासमुंद, धमतरी, गरियाबंद, बालोद और बलरामपुर जैसे जिले हाथी प्रभावित जिले हैं। इन जिलों में लंबे समय से हाथियों का आतंक बना हुआ है। घने जंगलों से निकलकर हाथी अब रिहायशी इलाकों में आने लगे हैं। इनका मूवमेंट अब बस्ती की ओर तेजी के साथ हो रहा है। वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बीते तीन साल में छत्तीसगढ़ में 260 लोगों की मौत हाथियों के हमले से हो चूकी है। यह आंकड़ा विचलित करने वाला है।


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