CG School Scam: स्कूल जतन योजना में 1500 करोड़ का घोटालाः सीएम ने 15 दिन में कलेक्टरों से मांगी थी रिपोर्ट, 15 महीने गुजर गए, किसी को नोटिस तक नहीं...
CG School Scam: पिछली सरकार के घपले-घोटाले पर कार्रवाईयों में भी किस तरह हीलाहवाला किया जा रहा है, इसका नमूना है मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना। स्कूलों की मरम्मत के लिए कांग्रेस सरकार ने 2000 करोड़ का बजट दिया था। कागजों में मरम्मत और रंग-रोगन दिखा जिला शिक्षा अधिकारी और आरईएस के इंजीनियरों ने 15 सौ करोड़ का वारा न्यारा कर दिया। इसमें कलेक्टरों की भूमिका क्या रही, ये तो पता नहीं। मगर जीरो टॉलरेंस पर चल रहे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने मार्च 2024 की समीक्षा बैठक में इस घोटाले की जांच का आदेश दिया था। सीएम के आदेश के बाद 15 महीने से ज्यादा वक्त निकल गया मगर अभी तक कार्रवाई की बात तो दूर अफसरों ने अभी तक किसी को नोटिस भी नहीं दिया है।
CG School Scam: रायपुर। पिछली सरकार में 2000 करोड़ का बजट स्कूलों की मरम्मती के लिए मिला था मगर विधानसभा चुनाव 2023 आते-आते सभी जिलों के अफसरों और ठेकेदारों ने कागजों में मरम्मत और रंग-पेंट कर 1500 करोड़़ हजम कर गए। बीजेपी सरकार जब आई तो 2000 में से सिर्फ चौथाई हिस्सा बचा था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव के संज्ञान में यह शिकायत लाई गई। मार्च 2024 की समीक्षा बैठक में उन्होंने कड़ाई से इस घोटाले की जांच का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने कहा था कि इस घोटाले में किसी को बख्शा नहीं जाए।
सीएम का निर्देश मिलने के बाद डीपीआई ने फरवरी 2024 में कलेक्टरों को पत्र लिख थर्ड पार्टी से मूल्यांकन कराए बिना ठेकेदारों को पेमेंट न करने कहा। डीपीआई ने घोटाले की जांच रिपोर्ट तलब की थी। डीपीआई के पत्र के कुछ महीने बाद मुख्यमंत्री ने कलेक्टर कांफ्रेंस की, उसमें भी यह मामला आया।
डीपीआई के पत्र पर जब किसी कलेक्टर ने गंभीरता नहीं दिखाई और कलेक्टर कांफ्रेंस में जब मामला उठ गया तो स्कूल शिक्षा विभाग के सिकरेट्री ने 8 जुलाई 2024 को कलेक्टरों को लिखे लेटर के सब्जेक्ट में स्पष्ट तौर पर लिखा था...माननीय मुख्यमंत्री का निर्देश 1 जुलाई 2024। उन्होंने 15 दिन के भीतर कार्रवाई की जांच रिपोर्ट मंगाई। कार्रवाई की जांच रिपोर्ट का मतलब...जांच के बाद जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई से सरकार को अवगत कराना। याने सरकार ने कलेक्टरों को जांच के साथ कार्रवाई का अधिकार भी दे दिया था।
सीएम ने पूछा तो सकपका गए कलेक्टर
सितंबर 2024 के कलेक्टर कांफ्रेंस में सीएम ने खुद स्कूल जतन योजना में घोटाले पर सवाल किया तो कलेक्टर लगे बगले झांकने। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों से कहा कि इसे कड़ाई से जांच की जाए।
...तो नपेंगे अफसर और ठेकेदार
मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना की अगर ईमानदारी से जांच हो जाए, तो कई कलेक्टरों, स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों और आरईएस के इंजीनियरों और ठेकेदारों की गर्दन फंस जाएगी। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है, कलेक्टरों ने दोनों आंखें मूंद ली और आरईएस के इंजीनियरों ने कागजों में स्कूलों की मरम्मत और रंग-रोगन कर अपना और अपने उच्चाधिकारियों का घर रौशन कर दिया।
स्कूलों के नाम पर खुला खेल
2000 करोड़ की इस योजना में गनीमत यह रही कि दिसंबर 2023 में सरकार बदल गई, इससे 500 करोड़ रुपए बच गया।रायपुर। छत्तीसगढ़ में 40 हजार से अधिक स्कूलों के जीर्णोद्धार और रंग-रोगन के नाम पर नेताओं और अधिकारियों ने बड़ा खेला कर दिया। स्कूल शिक्षा विभाग और आरईएस के इंजीनियरों ने मिलकर कागजों में स्कूलों की रंगाई-पोताई कर दी और मुख्यमंत्री जतन योजना का 2000 करोड़ में से 1500 करोड़ हजम कर गए। इसमें जिलों के कलेक्टरों को भी उपकृत किया गया। इसलिए कलेक्टरों ने आंख मूंद लिया।
योजनाबद्ध अंजाम
इस खेल को बड़ी योजनाबद्ध ढंग से अंजाम दिया गया। 2022 में बरसात के समय स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सूबे के जर्जर स्कूलों में हो रहे हादसों को रोकने का हवाला देते हुए सरकार को स्कूलों के जीर्णाद्धार और अतिरिक्त कमरे बनाने का प्रस्ताव दिया। अधिकारियों ने इसके लिए बकायदा मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना का नाम भी सुझाया।
ऐसे हुई खानापूर्ति
हर जिलों में दो-चार प्रायमरी और मीडिल स्कलों को सामने से पोताई कराकर दो-चार स्टीकर लगा दिए गए। और फिर अफसरों के व्हाट्सएप गु्रपों में उसे भेजकर वाहवाही बटोर ली गई। मगर हकीकत कुछ और थी। अफसरों का कहना है, 95 फीसदी से अधिक स्कूलों में रती भर काम नहीं हुआ। और काम पूर्णता का सर्टिफिकेट जमा कर पैसे निकाल लिए गए।
इसलिए बच गए 500 करोड़
500 करोड़ इसलिए बच गया, क्योंकि तब तक सरकार बदल गई। और नई सरकार ने पुराने निर्माण कार्यो पर रोक लगा दिया। बताते हैं, अधिकांश स्कूलों में ढेला भर भी काम नहीं हुआ। और डीईओ, बीईओ के निर्देश पर प्राचार्यों और हेड मास्टरों ने लिखकर दे दिया कि उनके यहां जीर्णोद्धार के साथ ही रंग-रोगन करके उनके स्कूल को चकाचक कर दिया गया है।
सीएम विष्णुदेव से शिकायत
दिसंबर 2023 में सरकार बदलने के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को इसकी शिकायत हुई। इसी के बाद फरवरी में उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग का रिव्यू किया। इसमें उन्होंने अफसरों से कैफियत मांगी। बैठक में ही उन्होंने सिकरेट्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी को जांच कराने का निर्देश देते हुए कार्रवाई सुनिश्चित करने कहा।
1500 करोड़ स्वाहा
मुख्यमंत्री जतन योजना के लिए आरईएस को एजेंसी बनाया गया। आरईएस के इंजीनियरों ने जिला मुख्यालयों के अपने एसी कमरों में बैठे-बैठे कंप्यूटर में स्कूल भवनों का जीर्णोद्धार और रंग-रोगन कर 1500 करोड़ रुपए स्वाहा कर दिया।
डीपीआई के पत्र का जवाब नहीं
डीपीआई ने सभी जिले के जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिख मुख्यमंत्री स्कूल जतन योजना के कार्यों का थर्ड पार्टी से मूल्यांकन कर रिपोर्ट भेजने कहा गया था। डीपीआई दिव्या मिश्रा ने रिमाइंडर भेज कहा कि निर्देश जारी होने के बाद भी अभी तक अधिकांश डीईओ ने रिपोर्ट नहीं भेजी है। रिमाइंडर में उन्होंने इस बात का भी निर्देश दिया था कि बिना थर्ड पार्टी से मूल्यांकन कराए फायनल पेमेंट न किया जाए। फिर भी कोई रिप्लाई नहीं आने पर स्कूल शिक्षा सिकरेट्री सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने 8 जुलाई 2024 को सभी कलेक्टरों को जांच कर रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया।
मीटिंग में जांच के निर्देश
बताते हैं, मार्च 2024 में स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा करने के दौरान मुख्यमंत्री के संज्ञान में स्कूल जतन योजना में भारी भ्रष्टाचार का विषय आया था। इस पर उन्होंने जांच का आदेश दिया था। इसके लिए डीपीआई से पत्र जारी हुआ। इस पर किसी का रिप्लाई नहीं आया तो मुख्यमंत्री ने स्कूल शिक्षा सचिव को कलेक्टरों से जांच कराने कहा।