chhattisgarh News: पटवारी का कमाल देखिए... 75 एकड़ सरकारी जमीन को झटके में बना दिया निजी

chhattisgarh News: राजस्व दस्तावेजों में कूट रचना कर सरकारी जमीन को निजी बताने के साथ ही ऋण पुस्तिका भी बना दिया है। फर्जीवाड़ा में शामिल लोग इसी जमीन के एवज में समर्थन मूल्य पर धान बेचकर राज्य सरकार को चूना लगा रहे हैं।

Update: 2024-10-15 03:27 GMT

chhattisgarh News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में सरकारी जमीनों का खेला रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। राजस्व अमले की मिलीभगत के कारण पूरा सिस्टम ही चौपट होते नजर आ रहा है। पटवारी से लेकर राजस्व विभाग में पदस्थ आला अफसरों की भू माफिया और फर्जीवाड़ा करने वालों की मिलीभगत का खेला कुछ इस अंदाज में चल रहा है कि एक झटके में बेशकीमती सरकारी जमीनों का वारा-न्यारा हो जा रहा है। कुछ ऐसा ही चौंकाने वाला मामला बिलासपुर जिला मुख्यालय से बमुश्किल 20 किलोमीटर ग्राम पोड़ी में सामने आया है। यहां 75 एकड़ सरकारी जमीन को निजी बना दिया है।



ऐसे हुआ खुलासा

ग्राम पोंड़ी के ग्रामीणों ने कलेक्टर से मिलकर दस्तावेजी प्रमाण पेश करते हुए सरकारी जमीन को वापस दिलाने की मांग की है। राजस्व दस्तावेजों में 75 एकड़ जमीन शासकीय भूखंड के रूप में दर्ज थी। इसेअजय कुमार पिता राजेन्द्र कुमार के साथ दो अन्य लोग बिसाहू घोसले तथा हेमन कुमार पिता लखनलाल ने पटवार और राजस्व अफसरों से मिलकर आनलाइन अपने नाम दर्ज करा लिया है। अपने नाम दर्ज कराने के बाद राजस्व दस्तावेजों में भी इसे दर्ज करा लिया है। पटवारी ने ऋण पुस्तिका बना दिया है।

समर्थन मूल्य पर धान बेचने कराया पंजीयन

शासकीय भूखंड को अपने नाम दर्ज कराने के बाद जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की समिति में समर्थन मूल्य पर धान बेचने पंजीयन करा लिया है। पंजीयन कराने के साथ ही समितियों में इसी जमीन के एवज में धान बेच रहे हैं। यह गोरखधंधा वर्ष 2019 से चले आ रहा है।

ऐसे फूटा फर्जीवाड़ा

राज्य शासन की प्रक्रिया के तहत वर्ष 2024 में राजस्व विभाग ने गिरदावली किया। गिरदावली के दौरान राजस्व दस्तावेजों के अनुसार शासकीय और निजी भूखंडों का मिलान किया जाता है और इसी के अनुसार राजस्व दस्तावेजों में जमीन को खसरा नंबर सहित दर्ज किया जाता है। गिरदावली के दौरान गांव के किसान भी थे। जिनको यह पता था कि कौन सी जमीन सरकारी है और कौन सही निजी। किसानों ने जब पटवारी व राजस्व अफसरों से कहा कि सामने की पूरी जमीन सरकारी है। यह निजी कब से होगा और किसने यह फर्जीवाड़ा किया। किसानों ने अब इसकी शिकायत कलेक्टर से करने का निर्णय लिया तब रातों-रात आनलाइन जमीन को वापस शासकीय भूखंड में दर्ज करा दिया गया। किसानों ने भुइयां पोर्टल से जमीन के उन दस्तावेजों को निकाल लिया है जिसमें शासकीय भूखंड को निजी बताया गया है।

निजी बैंक से लिया लोन

सरकारी जमीन जिसे निजी के रूप में ऋण पुस्तिका बनवाने के बाद एक निजी बैंक से लोन भी ले लिया है। अचरज की बात ये कि कर्ज देने से पहले बैंक के अफसरों ने पड़ताल नहीं किया और ना ही मौका मुआयना। 

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