Chhattisgarh High Court: हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, अनचाहे गर्भ को रखने या नहीं रखने का दुष्कर्म पीड़िता को पूरा अधिकार
Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अनचाहे गर्भ को रखने या नहीं रखने का पूरा अधिकार पीड़िता को है।
Chhattisgarh High Court: बिलासपुर। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की एक नाबालिग जो जबरन यौन संबंध बनाए जाने के कारण गर्भवती हो गई थी, उसने गर्भ समाप्त करने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया। उसकी याचिका पर हाई कोर्ट ने स्पेशल बेंच का गठन कर तत्काल सुनवाई की और मेडिकल जांच के बाद गर्भपात की अनुमति दी।
पीड़िता ने अपने अभिभावकों के माध्यम से 30 दिसंबर को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की। जस्टिस विभु दत्त गुरु ने 31 दिसंबर को स्पेशल बेंच लगाकर मामले की सुनवाई की और रायगढ़ कलेक्टर को मेडिकल बोर्ड का गठन कर पीड़िता की जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के निर्देश पर एक जनवरी को मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। जांच में यह सामने आया कि पीड़िता के गर्भ की अवधि 24 सप्ताह 6 दिन है और भ्रूण पूरी तरह स्वस्थ है। मेडिकल बोर्ड ने गर्भ समाप्त करने की सहमति दी।
मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस गुरू ने 3 जनवरी को पीड़िता को सरकारी अस्पताल में भर्ती कर विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में आइसीयू में गर्भपात कराने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि बलात्कार पीड़िता को यह अधिकार मिलना चाहिए कि वह यह निर्णय ले सके कि गर्भावस्था जारी रखनी है या नहीं। हाई कोर्ट का यह आदेश नाबालिग पीड़िता के अधिकारों और उसकी मानसिक व शारीरिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए दिया गया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों में पीड़िता के फैसले को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।