CG Teacher Transfer: प्रमोशन के बाद ट्रांसफर का नियम तो फिर स्कूल शिक्षा में इसे फॉलो क्यों नहीं, प्रशासनिक दृष्टि से क्या ये उचित है? जानिये क्या कहते हैं अफसर

CG Teacher Transfer: प्रमोशन के बाद सरकार का नियम है कि संबंधित मुलाजिम का ट्रांसफर किया जात है। मगर यह पहली बार हो रहा कि स्कूल शिक्षा विभाग में प्रदोन्नति के बाद ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। याने जो जिस स्कूल में अभी तक व्याख्याता या प्रभारी प्राचार्य था, वो उसी स्कूल में प्राचार्य बन जाएगा। प्रशासनिक दृष्टिकोण से इसे सही नहीं कहा जाएगा। क्योंकि, उसी स्कूल में प्रमोट होकर प्रिंसिपल बन जाने पर उसकी कौन सुनेगा? कहीं ऐसा तो नहीं कि बड़े स्तर पर ट्रांसफर से बचने विभाग ने ये रास्ता निकाल लिया, ताकि ट्रांसफर पर कम-से-कम खींचतान मचे। बहरहाल...जानिये क्या कहते हैं स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर...

Update: 2025-08-18 07:45 GMT

CG Teacher Transfer: रायपुर। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राचार्यों के प्रमोशन के बाद पोस्टिंग के लिए काउंसलिंग का कार्यक्रम जारी किया, उसे देखकर शिक्षक समुदाय हीं नही, बल्कि कर्मचारी जगत भी हतप्रभ रह गया। ट्राईबल संवर्ग के 1335 प्राचार्यों में से सिर्फ 844 पदों पर पोस्टिंग के लिए काउंसलिंग का डेट निकाला गया। 20 अगस्त से 22 अगस्त तक इन पदों के लिए काउंसलिंग की जाएगी। इसके तुरंत बाद स्कूल शिक्षा विभाग पोस्टिंग आदेश भी जारी कर देगा। 415 शिक्षकों की काउंसलिंग नहीं की जाएगी। उन्हें राहत देते हुए व्यवस्था बनाई गई है कि ये सभी 415 व्याख्याता या प्रभारी प्राचार्य जिस स्कूल में पोस्टेड हैं, वहीं उन्हें प्राचार्य नियुक्त कर दिया जाएगा।

प्रशासनिक दृष्टि से ठीक नहीं

सवाल उठता है कि प्रमोशन के बाद अगर ट्रांसफर का नियम है तो फिर स्कूल शिक्षा विभाग में इसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि प्रशासनिक दृष्टिकोण से ये ठीक नहीं। उसी स्कूल में सालों तक लेक्चरर रहे, फिर वहीं प्राचार्य बन जाएंगे तो उनकी कौन सुनेगा। ऐसे में, स्कूलों अनुशासन भी नहीं आएगा। प्रमोशन के बाद ट्रांसफर का नियम इसीलिए बनाया गया है कि दूसरे स्कूल में अगर वह प्राचार्य बनकर जाएगा तो वहां वो उसकी अलग कदर होगी...नया आदमी नई जगह पर बेहतर ढंग से रिजल्ट देता है।

युक्तियुक्तकरण का प्रभाव तो नहीं

अभी कुछ दिन पहले ही शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण पर प्रदेश में बड़ा बवाल मचा था। जेडी, डीईओ और बीईओ ने अतिशेष के खेल में जमकर खेल किया। इसको लेकर स्कूल शिक्षा विभाग काफी नाराज हुआ था। कई बीईओ, डीईओ हटाए गए या फिर सस्पेंड हुए। जानकारों का कहना है कि युक्तियुक्तकरण में हुए बवाल को देखते स्कूल शिक्षा विभाग चाहता होगा कि जितना कम-से-कम ट्रांसफर होगा, मनचाही पोस्टिंग के लिए उतनी कम खींचतान मचेगी। इसलिए, चतुराई के साथ 415 पर अलग कर दिया गया। अभी ई संवर्ग के 1478 प्राचार्यों की पोस्टिंग और होनी है। हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसमें भी ऐसा ही होगा। 1478 की जगह 900 के आसपास पदों के लिए काउंसलिंग की जाएगी।

क्या कहते हैं अफसर

415 प्राचार्यों का ट्रांसफर न करने पर डीपीआई के अधिकारियों की दलील ये है कि मीड सेशन में ज्यादा ट्रांसफर से समस्या बढ़ेगी। अफसरों का ये भी कहना है कि प्रमोशन के बाद ट्रांसफर कोई थंबरुल नहीं है। अफसरों का कहना है कि प्रदेश में 10-12 साल बाद प्रमोशन हो रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग में सालों से ग्रेडेशन लिस्ट नहीं बना था। विभाग ने न केवल ग्रेडेशन लिस्ट बनवाया बल्कि बड़ी संख्या में प्रमोशन किया जा रहा है। सरकार इस विभाग में बड़े स्तर पर रिफार्म करना चाहती है, इसलिए युक्तियुक्तकरण के बाद अब प्रमोशन किया जा रहा है।

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