CG News: IAS का ड्रीम प्रोजेक्ट, जिसने बचाई थी जानें... अब बंद, नवजात ने तोड़ा दम

छत्तीसगढ़ में आज भी ऐसे दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र हैं जहां चार पहिया वाहन तो छोड़िए सामान्य दिनों में पैदल चलना मुश्किल होता है। बिलासपुर जिले के कलेक्टर अवनीश शरण ने यहां रहने वाले आदिवासियों व वनवासियों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए बाइक एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की थी। छत्तीसगढ़ में यह अपनी तरह की पहली सेवा थी। जिसकी देशभर में सराहना भी हुई। उनके रहते तक सब-कुछ ठीक था। ड्रीम प्रोजेक्ट पटरी पर दौड़ रहा था। उनके जाते ही ड्रीम प्रोजेक्ट बेपटरी हो गई है। इसका साइड इफैक्ट भी आने लगा है। समय पर गर्भवती महिला को अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। दुष्परिणाम ये हुआ कि रास्ते में ही नवजात ने दम तोड़ दिया।

Update: 2025-06-12 09:13 GMT

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के कोटा विधानसभा क्षेत्र का 80 फीसदी क्षेत्र जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ है। बारिश तो छोड़िए सामान्य दिनों में भी पहाड़ों की पगडंडियों पर पैदल चलना मुश्किल होता है। आदिवासी इसी रास्ते से आना जाना करते हैं। अंदाज लगाइए, अगर किसी घर में कोई बीमार पड़ जाए और तत्काल एंबुलेंस की जरुरत हो तो क्या होगा। सीधा सा जवाब है, इलाज के अभाव में मौत। इस क्षेत्र में आज से तकरीबन एक साल पहले तक ऐसा ही होता था। आदिवासी इलाज में अभाव में बेमौत मर रहे थे। कलेक्टर अवनीश शरण को जब इस बात की जानकारी मिली,उन्होंने इस क्षेत्र के लिए नवाचार किया।


कलेक्टर के नवाचार ने छत्तीसगढ़ के साथ ही देशभर में सुर्खियां भी बटोरी। दुर्गम पहाड़ियों और जंगल के बीच बसे आदिवासियों को स्वास्थ्य सुविधा दिलाने के लिए बाइक एंबुलेंस की सेवा शुरू की। कलेक्टर का नवाचार हिट हो गया। पूरे एक साल तक बाइक एंबुलेंस सर्विस पटरी पर तेज गति से दौड़ती रही। उनके जाते ही ड्रीम प्रोजेक्ट बेपटरी हो गया है। इसका साइड इफैक्ट भी आने लगा है।


बाइक एंबुलेंस सेवा के बंद होने का दुष्परिणाम एक गर्भवती महिला और उसके नवजात शिशु को भुगतना पड़ा है। तीन दिन पहले सोमवार रात एक गर्भवती महिला को समय पर अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका, काफी देर बाद एंबुलेंस आया। इसके लिए महिला को पहाड़ से कावर के जरिए सड़क पर लाया गया। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। रास्ते में नवजात ने दम तोड़ दिया। बाइक एंबुलेंस के बंद होने का कारण भी अटपटा सा है। एंबुलेंस चलाने वालों को वेतन और पेट्रोल के 3 लाख रुपये का भुगतान न होने के कारण कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया है।

इन इलाकों के लिए वरदान साबित हो रहा था बाइक एंबुलेंस-

कोटा ब्लॉक के केंद्रा, लूफा, खोंगसरा और शिवतराई जैसे दुर्गम क्षेत्रों के लिए 4 बाइक एम्बुलेंस की सुविधा शुरू की थी। एंबुलेंस में मरीजों को, खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को, समय पर अस्पताल पहुंचाया जाता था। बाइक एम्बुलेंस संचालित करने वाले कर्मचारियों को DMF जिला खनिज न्यास मद से भुगतान किया जा रहा था। कर्मचारियों ने कई बार NHM राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन प्रभारी प्यूली मजूमदार को इस संबंध में जानकारी दी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। अंततः, 10 दिन पहले कर्मचारियों ने केंद्रा स्वास्थ्य केंद्र में बाइक खड़ी कर काम बंद कर दिया।

नवजात शिशु ने तोड़ा दम-

तीन दिन पहले सोमवार की रात बहरीझिरिया की रहने वाली शांतन बाई को प्रसव पीड़ा हुई। ग्रामीण संदीप शुक्ला ने बाइक एम्बुलेंस के लिए केंद्रा स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क किया, तो उन्हें पता चला कि कर्मचारी वेतन न मिलने के कारण काम बंद कर चुके हैं। इसके बाद प्रभारी सीएमएचओ सुरेश तिवारी को इसकी सूचना दी गई। सीएमएचओ और केंद्रा प्रभारी ने रात्रि लगभग 12 बजे 102 एम्बुलेंस को बहरीझिरिया भेजा। महिला के गर्भ में नवजात शिशु आधा फंसा हुआ था और बाहर नहीं निकल पा रहा था। इसी हालत में महिला को 102 एम्बुलेंस से केंद्रा अस्पताल लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही बच्चे की मौत हो गई।

पूर्व जनपद अध्यक्ष संदीप शुक्ला ने बताया कि उन्होंने कई बार एनएचएम के डीपीएम को बाइक एम्बुलेंस कर्मचारियों के भुगतान की सूचना दी थी, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा था कि यदि स्वास्थ्य विभाग इन बाइक एम्बुलेंस को नहीं चला पा रहा है, तो उन्हें बता दें, वे गरीबों की सेवा के लिए लोगों से चंदा कर इन वाहनों को चलवाएंगे।

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