CG News: 5.13 करोड़ के तेंदूपत्ता घोटाले में आरोपी ठेकेदार को टीआई ने किया गिरफ्तार, दो पुलिस अधीक्षकों ने फोन कर उसे छोड़वा दिया

CG News: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित तेंदूपत्ता घोटाले के मुख्य आरोपी ठेकेदार को राजनांदगांव के कोतवाली थाने ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर रही थी, इससे पहले दो जिलों के पुलिस अधीक्षकों ने टीआई पर दवाब डाल उसे थाने से छोड़वा दिया। थानेदार को कहा गया...ठेकेदार को दूसरे मामले में एनआईए कोर्ट में पेश करना है, इसलिए कुछ दिन के लिए उसे रिहा कर दो। एनपीजी के पास थानेदार का ऑडियो है, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया है कि उपर से आए फोन के बाद उसे आरोपी ठेकेदार को छोड़ना पड़ा। पता चला है, ठेकेदार का हाई कोर्ट में जमानत की याचिका लगी है, इसलिए पुलिस अधिकारियों ने उसे बचने का रास्ता दे दिया।

Update: 2025-08-03 14:14 GMT

Delhi News

CG News: रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर और राजनांदगांव जिलों में 5.13 करोड़ के तेंदूपत्ता घोटाले और 94 लाख का तेंदूपत्ता गोदाम से पार करने के मुख्य आरोपी ठेकेदार सुधीर कुमार मानेक को आज सुबह राजनांदगांव कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पुलिस उसे कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर रही थी, तब तक दो पुलिस अधीक्षकों ने प्रेशर डाल आरोपी ठेकेदार को छोड़वा दिया।

सूत्रों का कहना है, थानेदार पर दबाव डालकर मानेक को तत्काल रिहा करवा दिया। कोतवाली पुलिस ने मानेक को कोर्ट भेजने की तैयारी कर ली थी, लेकिन दो जिलों के पुलिस अधीक्षकों के हस्तक्षेप के बाद उसे छोड़ दिया गया। ऑडियो में थानेदार ने यह स्वीकार किया है की  उसने आरोपी को छोड़ दिया है...साहब ने फोन कर उसे छोड़ने कहा था।

पुलिस की संदिग्ध भूमिका

आज सुबह कोतवाली पुलिस, राजनांदगांव ने मानेक को FIR क्रमांक 0305/2025 (19 जून 2025) के तहत गिरफ्तार किया था, जिसमें भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(2) (आपराधिक विश्वासघात), 316(5) (धोखाधड़ी), और 61(2) (आपराधिक साजिश) के आरोप हैं। थानेदार रामेंद्र सिंह ने मानेक को कोर्ट में पेश करने की तैयारी की, लेकिन सूत्रों के मुताबिक पुलिस अधीक्षकों ने दवाब बनाया कि आरोपी ठेकेदार को थाने से छोड़ दिया जाए। मानेक की अग्रिम जमानत याचिका छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में लंबित है, जिसकी सुनवाई जल्द होने की संभावना है।

वन विभाग और पुलिस की मिलीभगत’

जब छोटे-मोटे चोरी के आरोपियों को तुरंत जेल भेज दिया जाता है, वहीं 5.13 करोड़ के घोटाले के आरोपी को दो जिलों के पुलिस अधीक्षकों का संरक्षण प्राप्त होना गंभीर सवाल खड़े करता है। आरोप है कि मोहला-मानपुर में मानेक ने अपने तीन कर्मचारियों पर नक्सली लेवी का झूठा आरोप लगाकर उन्हें जेल भिजवाया था, उस केस में भी पुलिस की भूमिका संदेह के दायरे में है।

पेशी और पूछताछ का हवाला

बताते हैं, पुलिस अधीक्षकों ने थानेदार को यह कहते हुए प्रेशर बनाया कि एनआईए कोर्ट में ठेकेदार की पेशी है, इसलिए छोड़ दो। दूसरी तरफ यह बात भी आ रही है कि किसी दूसरे मामले में उसकी गवाही होने वाली है, इसलिए उसे रिहा कराया गया। मगर सवाल उठता है कि क्या गवाही या एनआई की पेशी के लिए जेल से उसे नहीं लाया जा सकता था?

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