CG CM Award: इन जिलों और विभागों को मिला चीफ मिनिस्टर पुरस्कार, पढ़िये इन जिलों और विभागों के अफसरों का क्या रहा काम, कैसे हुए सलेक्ट...
CG CM Award: केंद्र के पीएम अवार्ड की तरह छत्तीसगढ़ में सीएम अवार्ड शुरू किया गया था। सुशासन दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज इस पुरस्कारों के लिए 10 पुरस्कारों का ऐलान किया।
CG CM Award: रायपुर। मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार हेतु दो-स्तरीय चयन प्रक्रिया के अंतर्गत पहले चरण में 55 नवाचारों को शॉर्टलिस्ट किया गया। इसके बाद 13 नवाचारों को फाइनलिस्ट के रूप में चुना गया और अंततः 10 विजेता नवाचारों का चयन किया गया, जिनमें जिला और विभागीय श्रेणियों से समान संख्या में प्रविष्टियाँ शामिल रहीं। मूल्यांकन के दौरान परिणामों को 50 अंक, विस्तार-योग्यता को 40 अंक और नवाचार को 10 अंक का भार दिया गया, जिससे यह सुनिश्चित किया गया कि सम्मान केवल विचारों पर नहीं, बल्कि वास्तविक और प्रभावशाली परिणामों पर आधारित हो। 10 सीएम अवार्ड इस प्रकार है....
1. जिला श्रेणी के विजेताओं में दंतेवाड़ा जिले की “ब्लॉकचेन आधारित भूमि अभिलेख डिजिटलीकरण” पहल एक प्रमुख उदाहरण के रूप में सामने आई। इस नवाचार के माध्यम से मैनुअल और कागजी प्रक्रियाओं को समाप्त कर ब्लॉकचेन आधारित छेड़छाड़-रोधी प्रणाली लागू की गई, जिससे भूमि अभिलेख प्राप्त करने का समय हफ्तों से घटाकर कुछ ही मिनटों में संभव हो सका। इस पहल से दस्तावेज़ी धोखाधड़ी पूरी तरह समाप्त हुई और सेवा प्रदाय में अभूतपूर्व तेजी आई, जिसने आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों में राजस्व प्रशासन के लिए एक नया मानक स्थापित किया।
2. जशपुर जिले की “निर्माण जशपुर” पहल ने यह दर्शाया कि एकीकृत डिजिटल मॉनिटरिंग किस प्रकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के क्रियान्वयन को प्रभावी बना सकती है। 16 विभागों की 7,300 से अधिक परियोजनाओं और 444 ग्राम पंचायतों को कवर करने वाली इस प्रणाली ने रियल-टाइम निगरानी, जियो-टैग्ड सत्यापन और जीआईएस आधारित योजना को संभव बनाया, जिससे कार्यों की गुणवत्ता में सुधार हुआ और विलंब में उल्लेखनीय कमी आई।
3. मोहला-मानपुर-बागढ़ चौकी में लागू संवर्धित टेक-होम राशन नवाचार ने गंभीर कुपोषण जैसी चुनौती का प्रभावी समाधान प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के सहयोग से विकसित इस पोषण-घन आहार के माध्यम से गंभीर कुपोषित बच्चों में 77.5 प्रतिशत सुधार दर दर्ज की गई। यह पहल इस बात का उदाहरण है कि साक्ष्य-आधारित पोषण हस्तक्षेप बड़े पैमाने पर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।
4. गरियाबंद जिले की “हाथी ट्रैकिंग एवं अलर्ट ऐप” ने मानवदृवन्यजीव संघर्ष को कम करने में तकनीक की भूमिका को सशक्त रूप से सामने रखा। ।प् आधारित ट्रैकिंग और रियल-टाइम अलर्ट व्यवस्था के माध्यम से मानव हताहतों की संख्या लगभग शून्य तक लाई गई, साथ ही फसल क्षति और मुआवजा बोझ में भी उल्लेखनीय कमी आई। राज्य के बाहर भी अपनाई जा चुकी यह पहल संघर्ष-संवेदनशील शासन का एक प्रभावी मॉडल बन चुकी है।
5. नारायणपुर जिले का “इंटिफाई इंटेलिजेंस टूल” आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में डेटा एकीकरण की उपयोगिता को दर्शाता है। रियल-टाइम, जियो-स्पेशियल और पूर्वानुमान आधारित इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से 100 से अधिक नियोजित अभियानों का संचालन संभव हुआ, विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय बेहतर हुआ और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में परिस्थितिजन्य जागरूकता को मजबूती मिली।
6. पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा मनरेगा अंतर्गत लागू क्यूआर कोड आधारित सूचना स्वप्रकटिकरण व्यवस्था ने नागरिक-केंद्रित शासन को नई मजबूती दी। क्यूआर कोड के माध्यम से ग्रामीणों को वास्तविक समय की योजना जानकारी उपलब्ध कराकर इस पहल ने मध्यस्थों पर निर्भरता कम की और 11,000 से अधिक ग्राम पंचायतों में पारदर्शिता को सुदृढ़ किया।
7. वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की “एफडीएस 2.0-ई-कुबेर डिजिटल भुगतान प्रणाली” ने मैनुअल चेक आधारित प्रक्रियाओं को समाप्त कर पूर्णतः कैशलेस, आरबीआई एकीकृत भुगतान व्यवस्था लागू की। इसके माध्यम से ₹1,776 करोड़ से अधिक के 18 लाख लेन-देन पूर्ण हुए, जिससे दूरस्थ और नक्सल प्रभावित वन क्षेत्रों में भी समय पर मजदूरी भुगतान, आजीविका सुरक्षा और पारदर्शी फंड प्रवाह सुनिश्चित हुआ।
8. विभागीय श्रेणी में शिक्षा विभाग का “विद्या समीक्षा केंद्र” डेटा-आधारित शिक्षा शासन का एक मजबूत स्तंभ बनकर उभरा। यह एआई सक्षम प्लेटफॉर्म 56,000 से अधिक विद्यालयों, 2.83 लाख शिक्षकों और 57.5 लाख विद्यार्थियों की निगरानी करता है, जिससे ड्रॉपआउट की प्रारंभिक पहचान, संसाधनों का बेहतर उपयोग और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेना संभव हो सका है।
9. वाणिज्य एवं उद्योग विभाग की “वन क्लिक सिंगल विंडो सिस्टम” ने व्यवसाय सुगमता सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। 16 विभागों की 136 सेवाओं को एकीकृत करते हुए इस प्रणाली ने अनुमोदन, प्रोत्साहन, शिकायत निवारण और निरीक्षण प्रक्रियाओं को सरल बनाया, जिससे विलंब कम हुआ और पारदर्शिता के साथ निवेशकों का विश्वास बढ़ा।
10. वाणिज्य कर (आबकारी) विभाग की समग्र ई-गवर्नेंस सुधार पहल ने राजस्व संग्रह और अनुपालन व्यवस्था को सुदृढ़ किया। एंड-टू-एंड डिजिटलीकरण, ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली और रियल-टाइम डैशबोर्ड के माध्यम से विभाग ने ₹5,425 करोड़ का राजस्व अर्जित किया और पारदर्शिता तथा नियामक निगरानी के नए मानक स्थापित किए।