Bilaspur High Court: सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना! पीएचई भर्ती में गड़बड़ी पर हाई कोर्ट में याचिका
Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ में आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर बिलासपुर हाई कोर्ट पहुंच गया है। इस बार राज्य शासन के एक विभाग के अफसरों की गफलत के चलते सरकार को याचिकाकर्ता ने कटघरे में खड़ा कर दिया है। पीएचई में सब इंजीनियरों की भर्ती हो रही है। विभाग ने आरक्षण प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की धज्जियां उड़ा दी है। एसएलपी पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आगामी आदेश तक छत्तीसगढ़ सरकार को राज्य में आरक्षण रोस्टर 29 नवंबर 2012 के तहत भर्ती प्रक्रिया जारी रखने का आदेश दिया है। पीएचई के अफसर नियमों व निर्देशों की सीधेतौर पर धज्जियां उड़ा रहे हैं। मामला एक बार फिर बिलासपुर हाई कोर्ट पहुंच गया है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। रश्मि चाकरे ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बिलासपुर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का राज्य सरकार से परिपालन कराने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया है कि पीएचई में सब इंजीनियरों की भर्ती हो रही है। वह अनुसूचित जनजाति वर्ग की अभ्यर्थी है। पीएचई के अफसर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सीधेतौर पर उल्लंघन कर रहे हैं। आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है। नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर 29 नवंबर 2012 एवं सामान्य प्रशासन विभाग छ.ग. के निर्देश 03 मई 2023 एवं सुप्रीम कोर्ट के SLP में जारी निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसा ना करने से वह एक अच्छे अवसर से वंचित हो रही है।
याचिकाकर्ता रश्मि चाकरे ने अपनी याचिका में बताया है कि पीएचई ने मार्च 2025 में सब इंजीनियर सिविल के 118 पदों पर भर्ती के लिएविज्ञापन जारी किया। पीएचई द्वारा जारी विज्ञापन में आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसा कर विभाग के अफसर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सीधेतौर पर उल्लंघन कर रहे हैं। याचिकाकर्ता ने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग ने अदालतों के निर्देशों के परिपालन के संबंध में पत्र भी जारी किया है। इसके बाद भी विभागीय अफसर अपने नियम चला रहे हैं।
पीएचई में सब इंजीनियर भर्ती के लिए जारी 102 पद में 52 अनारक्षित, 15 अजा,20 अजजा व 15 प्रतिशत ओबीसी के लिए आरक्षित रखा गया है। विज्ञापन में शर्त रखी गई कि चयन प्रक्रियाओं में आरक्षण सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र में 3 मई 2023 के अनुसार व सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के अध्याधीन रहेगा। लिखित परीक्षा पास हाेने के बाद 10 जुलाई को पत्र लिखकर दस्तावेजों के परीक्षण के लिए बुलाया। 16 जुलाई को लिखे पत्र में एसटी कैटेगरी में 19 वें नंबर पर आने के कारण उसे नहीं बुलाया।
याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ शासन के 29 नवंबर 2012 को आरक्षण संशोधन का हवाला देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने एससी को 12 एसटी को 32 व ओबीसी को 14 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले एससी को 16 एसटी को 20 ओबीसी को 14 प्रतिशत था। राज्य शासन के संशोधन को चुनौती देते हुए बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाई कोर्ट ने जिला स्तरीय आरक्षण व्यवस्था को असंवैधानिक मानते हुए रद कर दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आगामी आदेश तक 29 नवंबर 2012 को आरक्षण रोस्टर के अनुसार भर्ती प्रक्रिया जारी रखने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि पीएचई के अफसर सब इंजीनियर भर्ती में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। पीएचई ने 32 के बजाय एसटी आरक्षण को 20 प्रतिशत कर दिया है।
याचिकाकर्ता ने पीएचई के मुख्य अभियंता को पत्र लिखकर दी थी जानकारी
कुमारी रश्मि चाकरे ने पत्र में लिखा कि पीएचई द्वारा राज्य स्तरीय तृतीय श्रेणी उप अभियंता (सिविल) के 102 रिक्त पद के विरुद्ध बीई सिविल डिग्रीधारी के तौर पर आवेदन की थी। उपरोक्त विज्ञापन कंडिका 23 में विभाग द्वारा उच्चतम न्यायालय के आदेश के तारतम्य में 03 मई 2023 में निकाले गये निर्देश के तहत् भर्ती सुनिश्चत किये जाने के निर्णय लिया गया है। बैकलाग पदो के छोड़कर 102 विज्ञापित पदों में अनुसूचित जनजाति / अनुसूचित जाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण नोटिफिकेशन 29 नवंबर 2012 का पालन नहीं किया जा रहा है। अनुसूचित जनजाति के लिए कुल 102 पद में से 32 पद के विरूद्ध सिर्फ 20 पद लिये जाने से आरक्षण का खुला उल्लंघन हो रहा है।उपरोक्त विज्ञापित पदों में उच्चतम न्यायालय के निर्देश से सामान्य प्रशासन विभाग छ.ग. द्वारा निकाले गये निर्देश का पूर्णतः उल्लंघन है।
आरक्षण नियम के तहत् इसे सही कर पुनः नियमानुसार भर्ती किया जाए। मुझे प्रथम काउन्सलिंग हेतु आपके विभाग के द्वारा 10 जुलाई 2025 के अनुसार कॉल लेटर जारी कर 32 प्रतिशत आरक्षण के तहत् चयन हेतु 23 जुलाई 2025 को बुलाया गया था जिसे संसोधित करते हुए 16 जुलाई 2023 को 20 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देकर काउन्सलिंग हेतु बुलाया गया था इस प्रकिया से अनुसूचित जनजाति वर्ग के अभियर्थियों को नुकसान हो रहा है। जबकि हमें संविधान के आर्टिकल 341 तथा 342 के तहत् संवैधानिक आरक्षण का अधिकार प्राप्त है।
इन विभागों में दिया जा रहा 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभ
लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग एवं लोक सेवा आयोग के द्वारा विभिन्न विभागों में भरे जाने वाले पदों पर अनुसूचित जनजाति वर्ग के अभियर्थियों को 32 प्रतिशत आरक्षण का लाभदिया जा रहा है। पीएचई में राज्य शासन के दिशा निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट के फैसले से इतर अलग ही नियम व मापदंड अफसर अपना रहे हैं। पीएचई के अफसर आरक्षण नियम का सीधेतौर पर उल्लंघन कर रहे हैं।
ये है सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश
सामान्य प्रशासन विभाग ने राज्य के सभी विभाग प्रमुखों काे पत्र लिखा है। हाई कोर्ट बिलासपुर के 19 सितंबर 2022 के आदेश को सभी विभागों को पालन के लिए सूचित किया गया था, उक्त आदेश के विरूद्ध राज्य शासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य को नियुक्तियां एवं चयन प्रकिया पूर्व निर्धारित व्यवस्था अनुसार किये जाने की अंतरिम अनुमति प्रदान की है। सभी नियुक्तियों एवं चयन प्रकियाओं में यह विशेष रूप से उल्लेखित किया जाये कि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन रहेंगी।