Bilaspur High Court: सहायक आबकारी अधिकारी की याचिका पर सुनवाई, हाई कोर्ट ने कहा- पुलिस ने किया कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग
Bilaspur High Court: सहायक आबकारी अधिकारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने टिप्पणी के साथ महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। विभागीय कामकाज के दौरान उठाए गए सख्त कदम को जबरिया वसूली के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। महज शिकायत के आधार पर पुलिस द्वारा सहायक आबकारी अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि यह सीधेतौर पर कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग दिखाई दे रहा है। इस टिप्पणी के साथ सहायक आबकारी अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को डिवीजन बेंच ने रद्द कर दिया है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। विभागीय कार्रवाई के दौरान सख्ती बरतने पर आरोपी ने सहायक आबकारी अधिकारी व अन्य कर्मचारियों के खिलाफ वसूली का आरोप लगाते हुए पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के आधार पर पुलिस ने सहायक आबकारी अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। पुलिस की कार्रवाई को चुनौती देते हुए सहायक आबकारी अधिकारी रंजीत गुप्ता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है।
याचिकाकर्ता सहायक आबकारी अधिकारी ने अपनी याचिका में विभागीय कामकाज व अधिकार को लेकर जानकारी देते हुए बताया है , उन्हें विभागीय आदेश के तहत उड़नदस्ता की शक्तियां प्राप्त है। इसी अधिकारी के तहत 13 नवंबर 2024 को मादक पदार्थों की जब्ती बनाने की कार्रवाई की थी। हल्दीबाड़ी में गांजा की बिक्री की गुप्त सूचना मिलने पर छापामार कार्रवाई करते हुए 900 ग्राम गांजा बरामद किया था। जिससे गांजा की बरामदी की थी उसी ने उसके अलावा कुछ अन्य आबकारी अधिकारी पर मारपीट करने व कोरे कागज में दस्तखत कराने के अलावा दो लाख रुपये उगाही का आरोप लगाते हुए थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि यदि किसी अधिकारी द्वारा विभागीय कामकाज के दौरान कड़े व सख्त कदम उठाया जाता है तो उसे जबरिया वसूली के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। डिवीजन बेंच ने आरोपी की शिकायत पर पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह तो सीधा-सीधा कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग का मामला बनता है। कोर्ट ने समझाइश देते हुए कहा कि ऐसे प्रकरण में जांच अधिकारी जांच एजेंसियों को तथ्यों के आधार पर कार्रवाई करनी चाहिए।
इस कड़ी टिप्पणी के साथ डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता सहायक आबकारीर अधिकारी के द्वारा पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआ को रद्द कर दिया है। डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता शासकीय सेवा में कार्यरत रहते विभागीय आदेश के मद्देनजर अपनी ड्यूटी कर रहा था। एफआईआर में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया असंगत होने के साथ ही अप्रमाणित भी है। इस टिप्पणी के साथ डिवीजन बेंच ने याचिकाकर्ता के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज किए गए एफआईआर को रद्द कर दिया है।