Bilaspur High Court: निचली अदालतों में पेंडेंसी खत्म करने चीफ जस्टिस हुए सख्त, फैसलों के लिए टाइम लिमिट कर रहे तय

Bilaspur High Court: निचली अदालतों को जल्द फैसला लेने बरत रहे कड़ाई,प्रकरणों की सुनवाई के बाद जारी कर रहे निर्देश...

Update: 2024-08-03 15:50 GMT

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के निचली अदालतों में साढ़े चार लाख मामले लंबित हैं। पेंडेंसी लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसका दुष्परिणाम याचिकाकर्ताओं के अलावा पक्षकारों को भुगतना पड़ रहा है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने मामलों की सुनवाई के बाद फैसले के लिए समय सीमा भी तय कर रहे हैं। ऐसे ही दो प्रकरणों में चीफ जस्टिस ने छह महीने के भीतर फैसला करने का निर्देश निचली अदालतों को दिया है।

एक मामला बिलासपुर का है और दूसरा अंबिकापुर का। बिलासपुर के एक व्यवसायी पर जानलेवा हमले के आरोपित की जमानत आवेदन को निरस्त करते हुए ट्रायल कोर्ट को छह महीने के भीतर मामले की सुनवाई पूरी करने और फैसला सुनाने कहा है। एक मामला अंबिकापुर का है। एनडीपीएस एक्ट के तहत जेल में बंद आरोपित ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई है। निचली अदालतों में बढ़ते लंबित मामलों का असर देखने को मिला रहा है और इसी अंदाज में दबाव छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पर भी पड़ने लगा है। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने मामलों की सुनवाई के दौरान ही निचली अदालतों को सुनवाई और फैसला लेने के लिए समय सीमा तय कर रहे हैं। खास बात ये कि रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय को दिशा निर्देश और फैसले की कापी तत्काल संबंधित कोर्ट को भेजने का निर्देश भी दे रहे हैं। इसके पीछे कोर्ट को रिमांइडर देना और छह महीन के भीतर टास्क पूरा करने के निर्देश की जानकारी देना माना जा रहा है।

इस मामले में भी चीफ जस्टिस ने जारी किया निर्देश

बिलासपुर के व्यवसायी राम खेड़िया पर जानलेवा हमला करने के आरोपित ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जमानत आवेदन लगाया था। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है। आवेदन खारिज करने के साथ ही ट्रायल कोर्ट को मामले की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश जारी कर दिया है।

याचिकाकर्ता का आरोप- जानबुझकर फंसाया

16 मई 2024 को राम खेड़िया अपने स्वामित्व एवं आधिपत्य की लिंक रोड स्थित भूमि पर बाउंड्रीवाल का निर्माण करा रहे थे। उसी समय मो. तारिक ने विवाद करते हुए उस पर जानलेवा हमला कर दिया। खेड़िया की शिकायत पर सिविल लाइन पुलिस ने मो. तारिक के विरुद्ध भादंसं.के तहत धारा 294, 506, 323, 326, 34 जुर्म दर्ज कर सीजेएम कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट ने मो. तारिक की जमानत अर्जी खारिज कर जेल भेज दिया।

तारिक ने पुनः सत्र न्यायालय में जमानत आवेदन पेश किया। सत्र न्यायाधीश ने जमानत आवेदन देने से इन्कार कर दिया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है। 16.जून 2024 को वह और उसकी पत्नी दुकान में बैठे थे। इसी बीच शिकायतकर्ता और अन्य लोग उसकी दुकान में आए और दुकान खाली करने की बात कहते हुए गाली-गलौज और मारपीट की। पत्नी ने तुरंत थाने में शिकायत की, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। व्यवसायी की शिकायत पर उसके और उसकी पत्नी के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज करा दी।

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