Bilaspur High Court News: मिशन हास्पिटल कैम्पस से बेदखली: 17 परिवारों को हाई कोर्ट ने दी 30 दिनों की राहत, इसके बाद प्रशासन को दी कार्रवाई की छूट

Bilaspur High Court News: मिशन हॉस्पिटल परिसर में रह रहे 17 परिवारों को 48 घंटे के भीतर कैम्पस खाली करने के लिए जिला प्रशासन ने नोटिस दिया था। जिस पर रोक लगाते हुए हाई कोर्ट ने मानवीय आधार पर 30 दिनों की मोहलत दी है।

Update: 2025-07-26 06:18 GMT

Bilaspur High Court News: बिलासपुर। हाई कोर्ट में मिशन हॉस्पिटल के अधिग्रहण के खिलाफ क्रिश्चियन वुमन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल ने याचिका लगाई थी। उक्त याचिका हाई कोर्ट से खारिज होने के बाद जिला प्रशासन ने 17 परिवारों को 23 जुलाई को नोटिस जारी कर 48 घंटे के भीतर कैम्पस खाली करने की हिदायत दी थी। जिला प्रशासन के बेदखली नोटिस के खिलाफ मिशन कैंपस में रहने वाले निवासियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने मानवीय आधार पर याचिकाकर्ताओं को 30 दिनों की मोहलत दी है। कोर्ट ने जिला प्रशासन को छूट देते हुए कहा है कि तय अवधि के भीतर कैम्पस खाली ना करने पर बेदखली की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र रहेगा।

मिशन अस्पताल परिसर में निवासरत 17 परिवारों को परिसर खाली करने के लिए 23 जुलाई को नोटिस जारी किया गया था। तहसीलदार, नजूल शाखा द्वारा जारी नोटिस में कहा गया था कि ये सभी परिवार सरकारी भूमि पर अनाधिकृत रूप से निवासरत है। लिहाजा उन्हें 48 घंटे के भीतर परिसर खाली करना होगा। इस आदेश के खिलाफ शांति दानी, अमिता मसीह, शाहिद हुसैन, विनीत मसीह, शांता ब्राउन, अरशद हुसैन सहित अन्य निवासियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में लिखा है कि वे मिशन कैंपस में लंबे समय से रह रहे हैं। बिजली बिल, नगर निगम टैक्स आदि का नियमित भुगतान करते आ रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला प्रशासन ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता की धारा 248 के प्रावधानों की अवहेलना करते हुए बिना सुनवाई का अवसर दिए बेदखली आदेश जारी कर दिया।

हाई कोर्ट ने कहा अपील का विकल्प खुला, लेकिन इंसानियत भी ज़रूरी

मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा सिंगल बेंच में हुई। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता चाहें तो एसडीएम के समक्ष अपील कर सकते हैं, जो कि वैधानिक प्रक्रिया का हिस्सा है। इसलिए इस स्तर पर कोर्ट का हस्तक्षेप उचित नहीं है। बारिश के मौसम और मानवीय पक्ष को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने 30 दिन की मोहलत प्रदान की है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह समयावधि पूरी होने के पश्चात प्रशासन आवश्यक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होगा।

यह है पूरा मामला

मिशन हॉस्पिटल परिसर कुल 11 एकड़ में शहर के मध्य में स्थित है। वर्तमान बाजार मूल्य तकरीनब 1000 करोड रुपए है। मिशन अस्पताल की स्थापना वर्ष 1885 में हुई थी। इसके लिए क्रिश्चियन वुमन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल बिलासपुर ,तहसील व जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़ को जमीन आबंटित की गई थी। यह मोहल्ला चांटापारा शीट नंबर 17, प्लाट नंबर 20/1 एवं रकबा 382711 एवं 40500 वर्गफीट है। 1966 में लीज का नवीनीकरण कर साल 1994 तक लीज बढ़ाई गई थी। पुलिस की अवधि 31 अप्रैल 1994 तक के लिए थी। जिसमें मुख्य रूप से निर्माण में बदलाव एवं व्यवसायिक गतिविधियां बिना कलेक्टर की अनुमति के न किए जाने की शर्त थी। लीज की नवीनीकरण उपरांत सीट नंबर 14 प्लाट नंबर 20 रकबा 474790 में से 92069 वर्गफीट अन्य व्यक्ति को रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय भी किया गया था। इसके साथ ही किराए पर अन्य प्रतिष्ठानों को दे इसे कमाई का माध्यम बना लिया गया था। 1994 को लीज खत्म होने के बाद 30 वर्षों तक लीज का नवीनीकरण नहीं करवाया गया था।

सेवा के नाम पर ली जमीन और किराए पर चढ़ा दी

मिशन अस्पताल के लीज का मामला काफी चर्चाओं में रहा था। यह जमीन शहर के मध्य में स्थित है। जिसे सेवा के नाम से 11 एकड़ जमीन लीज पर दी गई थी। लीज पर जमीन लेकर डायरेक्टर रमन जोगी ने इसे चौपाटी बनाकर किराए पर दे रखी थी। एक रेस्टोरेंट भी इस पर संचालित हो रहा था। जिससे लाखों रुपए किराए के रूप में वसूले जा रहे थे। लीज की शर्तों का उल्लंघन कर व्यावसायिक उपयोग करने पर तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण की तिरछी नजर पड़ी। जब इसके रिकॉर्ड मंगवाए गए तब चौंकाने वाले खुलासे हुए। सन 1966 में लीज का नवीनीकरण साल 1994 तक के लिए कर लीज बढ़ाई गई थी। 31 अप्रैल 1994 तक लीज की अवधि थी। लीज की अवधि बढ़ाने के समय इसमें कई शर्तें भी लागू की गई थी। पर शर्तों का उल्लंघन कर न केवल इसका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा था बल्कि 92069 वर्ग फिट अन्य व्यक्तियों के नाम रजिस्टर विक्रय पत्र के माध्यम से विक्रय भी किया गया था। लीज अवधि समाप्त होने के बाद भी लीजधारक कब्जे पर कायम था। जिस पर तत्कालीन कलेक्टर अवनीश शरण के निर्देश पर निगम कमिश्नर अमित कुमार, बिलासपुर एसडीएम पीयूष तिवारी, नजूल अधिकारी एसएस दुबे ने अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू कर दी थी।

हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है क्रिश्चियन वुमन बोर्ड ऑफ मिशन की याचिका

अधिग्रहण की कार्यवाही के खिलाफ क्रिश्चियन वुमन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल ने हाई कोर्ट में अपील की थी। मामले की सुनवाई जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की सिंगल बेंच में हुई। अदालत ने अपने फैसले में माना है कि कलेक्टर द्वारा पारित आदेश सभी प्रासंगिक तथ्यों, दस्तावेजों और कानूनी प्रावधानों की गहन और विवेक पूर्ण जांच को दर्शाते हैं। यह आदेश किसी भी प्रक्रियात्मक अनियमितता की मनमानी या दुर्भावना से दूषित नहीं है। बल्कि यह सरकारी भूमि के पट्टों को नियंत्रित करने वाली वैधानिक योजना के अनुरूप है और प्रशासनिक कानून के सुस्थापित सिद्धांतों पर आधारित है। कलेक्टर ने भूमि को नवीनीकृत करने से इनकार करने और भूमि पर पुनः कब्जा प्राप्त करने के लिए जो कदम उठाए उसमें कोई त्रुटि या अवैधता नहीं है। इसके साथ ही क्रिश्चियन वुमन बोर्ड ऑफ मिशन हॉस्पिटल की याचिका खारिज कर दी गई।

याचिका खारिज होने के बाद जिला प्रशासन ने अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू की थी। कैम्पस में निवासरत 17 परिवारों को 48 घंटे के भीतर परिसर खाली करने के लिए नोटिस जारी किया गया था। ने मानवीय पहलुओं को ध्यान रखते हुए हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को 30 दिनों की मोहलत दी है।

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