Bilaspur High Court: किराएदारी विवाद पर हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: किराया नियंत्रण प्राधिकरण के आदेश को किया बहाल, किराएदार को बकाया रकम जमा करने का निर्देश
Bilaspur High Court: जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने किराया विवाद पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। डिवीजन बेंच ने किराया नियंत्रण प्राधिकरण के फैसले को यथावत रखते हुए किराएदार को बकाया राशि जमा करने का निर्देश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने चार सप्ताह की मोहलत दी है। डिवीजन बेंच ने साफ कहा कि तय समय सीमा में किराएदार द्वारा बकाया राशि का भुगतान ना करने की स्थिति में बेदखली की कार्रवाई की जाएगी। याचिकाकर्ता गायत्री देवी अग्रवाल एवं अन्य की ओर से अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी ने पैरवी की।
Kiraya Niyantran Pradhikaran Ka Aadesh Bahal: बिलासपुर। जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने किराया विवाद पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। डिवीजन बेंच ने किराया नियंत्रण प्राधिकरण Rent Control Authority के फैसले को यथावत रखते हुए किराएदार को बकाया राशि जमा करने का निर्देश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने चार सप्ताह की मोहलत दी है। डिवीजन बेंच ने साफ कहा कि तय समय सीमा में किराएदार द्वारा बकाया राशि का भुगतान ना करने की स्थिति में बेदखली की कार्रवाई की जाएगी। याचिकाकर्ता गायत्री देवी अग्रवाल एवं अन्य की ओर से अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी ने पैरवी की।
गायत्री देवी अग्रवाल एवं अन्य ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। रायगढ़ की जमीन, ग्राम बैकुंठपुर, तहसील जिला रायगढ़, खसरा नंबर 141/1/1 रकबा 0.541 हेक्टेयर शामिल है। विवाद गोपाल सिंघानिया आ. धनसिंग के लकड़ी टाल कोतरा रोड के संबंध में भी है। मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने किराया नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा 25 मार्च 2022 को पारित आदेश को बरकरार रखा है।
कोर्ट ने किराएदार को बकाया किराए की राशि जमा करने के लिए चार सप्ताह की माेहलत दी है। कोर्ट ने साफ कहा है कि तय समय पर किराएदार द्वारा बकाया राशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो उसका अवसर समाप्त कर दिया जाएगा और बेदखली की कार्रवाई की जाएगी। डिवीजन बेंच ने कहा कि निर्देश के बाद भी किराया जमा न करने की स्थिति में, संबंधित प्राधिकरण को किरायेदार की बेदखली और किराया जमा से संबंधित संपूर्ण कानूनी कार्रवाई दो महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया गया है।