Bilaspur High Court: CGPSC ने गजब कर दिया: वेटिंग लिस्ट की मियाद खत्म होने के 21 महीने बाद मृत अभ्यर्थी के नाम जारी किया पोस्टिंग आर्डर, मामला पहुंचा हाई कोर्ट
Bilaspur High Court: CGPSC के अफसरों का हैरान करने वाला कारनामा सामने आया है। स्पोर्ट्स अफसर की नियुक्ति में राज्य लोक सेवा के अधिकारियों ने गजब कर दिया। वेटिंग लिस्ट की मियाद खत्म होने के 21 महीने बाद मृत अभ्यर्थी के नाम नियुक्ति पत्र जारी कर दिया। वेटिंग लिस्ट में पहले नम्बर के अभ्यर्थी ने जब अपनी नियुक्ति के लिए आवेदन लगाया तब अफ़सरों ने वेटिंग लिस्ट की अवधि खत्म होने का टका सा जवाब दे दिया। RTI बे अफसरों की पोल खोल दी। हाई कोर्ट ने इस लापरवाही को लेकर फटकार लगाई है। पढ़िए हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। CGPSC के अफसरों का हैरान करने वाला कारनामा सामने आया है। स्पोर्ट्स अफसर की नियुक्ति में राज्य लोक सेवा के अधिकारियों ने गजब कर दिया। वेटिंग लिस्ट की मियाद खत्म होने के 21 महीने बाद मृत अभ्यर्थी के नाम नियुक्ति पत्र जारी कर दिया। वेटिंग लिस्ट में पहले नम्बर के अभ्यर्थी ने जब अपनी नियुक्ति के लिए आवेदन लगाया तब अफ़सरों ने वेटिंग लिस्ट की अवधि खत्म होने का टका सा जवाब दे दिया। RTI बे अफसरों की पोल खोल दी। हाई कोर्ट ने इस लापरवाही को लेकर फटकार लगाई है।
याचिका की सुनवाई जस्टिस एके प्रसाद की सहगल बेंच में हुई। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला बताता है कि प्रशासनिक निष्क्रियता और लापरवाही किस तरह योग्य उम्मीदवारों के भविष्य पर भारी पड़ जाती है और ऐसे मामलों में न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ता है। स्पोर्ट्स अफसर की भर्ती में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग CGPSC की लापरवाही के मामले में हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने वेटिंग लिस्ट में पहले स्थान पर रहे अभ्यर्थी के नाम पर नियुक्ति पत्र जारी करने के आदेश दिया हैं।
CGPSC के अफसरों की लापरवाही का आलम ये मृत अभ्यर्थी के नाम नियुक्ति पत्र जारी कर दिया। इसके चलते योग्य अभ्यर्थी को नौकरी से वंचित होना पड़ा था। 6 मार्च 2019 में स्पोर्ट्स अफसर के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। लिखित परीक्षा व इंटरव्यू की प्रक्रिया पूरी होने के बाद 18 सितंबर 2020 को जारी नतीजों में गरियाबंद निवासी नीलकंठ कुमार साहू ओबीसी कैटेगरी वेटिंग लिस्ट में पहले नंबर पर था। ओबीसी वर्ग से चयनित उम्मीदवार अमित वर्मा की 27 दिसंबर 2021 को ज्वॉइनिंग से पहले ही मौत हो गई थी। जिससे पद रिक्त हो गया। नीलकंठ ने प्रतीक्षा सूची की वैधता अवधि के भीतर 6 जनवरी, 4 मार्च और 18 मई 2022 को पीएससी को आवेदन देकर पद रिक्त होने की जानकारी दी। पीएससी के अधिकारी मृत्यु प्रमाण पत्र और प्रक्रिया के नाम पर फाइल आगे नहीं बढ़ाई और याचिकाकर्ता के आवेदन पर ध्यान नहीं दिया। अमित वर्मा के परिजनों ने 5 दिसंबर 2022 को मृत्यु प्रमाण पत्र जमा किया। 17 सितंबर 2022 को वेटिंग लिस्ट को समाप्त मानते हुये नीलकंठ को नियुक्ति से वंचित कर दिया गया।
RTI में सामने आई गड़बड़ी, है कोर्ट में दायर की याचिका
नीलकंठ ने आरटीआई के तहत आवेदन पेश कर जानकारी मांगी। जवाब में बताया कि वेटिंग लिस्ट खत्म होने के तकरीबन 21 महीने बाद 21 जून 2024 को मृत उम्मीदवार अमित वर्मा के नाम पर ही नियुक्ति आदेश जारी कर दिया गया। हाई कोर्ट ने इसे अनियमितता और प्रक्रिया की पूर्ण अवहेलना ठहराते हुए कहा कि उम्मीदवार ने वैध समय में अपना दावा प्रस्तुत कर दिया था, इसलिए उसे प्रशासनिक लापरवाही और देरी का शिकार नहीं बनाया जा सकता।
8 सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र करना होगा जारी
मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता नीलकंठ कुमार साहू को मृत अभ्यर्थी के स्थान पर ओबीसी श्रेणी से स्पोर्ट्स अफसर के पद पर 8 सप्ताह के भीतर नियुक्ति पत्र जारी करने का निर्देश राज्य शासन को दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह मामला बताता है कि प्रशासनिक निष्क्रियता और लापरवाही किस तरह योग्य उम्मीदवारों के भविष्य पर भारी पड़ जाती है और ऐसे मामलों में न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ता है।