Bilaspur HighCourt: बिलासपुर हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, राजस्व दस्तावेजों में दर्ज होगा पट्टेधारियों का नाम

Bilaspur High Court: बिलासपुर हाई काेर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के कलेक्टर को नोटिस जारी कर 28 साल पहले मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गरीबों को जमीन का पट्टा दिया गया था। पट्टेधारकों का नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज कर भूमि का बटांकन व सीमांकन कराने के बाद कब्जा दिलाने का निर्देश दिया है। मामला छत्तीसगढ़ सरकार के डिप्टी सीएम अरुण साव के विधानसभा क्षेत्र का है।

Update: 2025-02-24 14:56 GMT

Bilaspur High Court

Bilaspur HighCourt बिलासपुर। मध्य प्रदेश सरकार ने 5 मई 1997 गरीब भूमिहीन ग्रामीणों को जीवन यापन के लिए शासकीय भूमि का पट्टा दिया था। पट्टा तो दिया पर विभागीय अधिकारियों के दबाव के चलते 28 साल बाद भी ना तो राजस्व दस्तावेजों में दर्ज हो पाया है और ना ही कब्जा मिला है। किसानों की याचिका पर सुनवाई करते हुए बिलासपुर हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने मुंगेली जिले के कलेक्टर व तहसीलदार को नोटिस जारी कर पट्टेधारक याचिकाकर्ता किसानों की जमीन को राजस्व दस्तावेजों में शामिल कराने के बाद बटांकन व सीमांकन की प्रक्रिया पूरी करने कहा है। यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद याचिकाकर्ताओं का जमीन का कब्जा दिलाने निर्देश दिया है।

रामेश्वर पुरी गोस्वामी एवं उमेद राम यादव ने अधिवक्ता मिर्जा हफीज बेग के माध्यम से बिलासपुर हाई कोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर की है। याचिका में बताया है कि मध्य प्रदेश सरकार ने ग्राम परसवारा तहसील लोरमी स्थित शासकीय भूमि रकबा 15/1 रकबा 118.2510 हेक्टेयर में से एक-एक एकड जमीन स्थानीय गरीब किसानों को उनके जीवनयापन के लिए 5 मई 1997 को शासकीय पटटे पर आबंटित किया था।

पट्टे पर भूमि आवंटित किये जाने के अनेक वर्षों पश्चात भी राज्य शासन ने गरीब किसानों के नाम पर राजस्व अभिलेख में उनकी पटटे की भूमि को दर्ज नहीं किया जिससे वे गरीब किसान अपने पटटे की भूमियों का बटांकन व सीमांकन नहीं करा पाये, और वे अपने पटटे की भूमियों का कब्जा प्राप्त नहीं कर पाये । वन विभाग के अफसरों ने पटटे की भूमि पर पौधा लगाये से भी रोक दिया है।

0 18 पट्टाधारियों को जमीन का मिला कब्जा

18 पट्टाधारियों ने बिलासपुर हाई कोर्ट के समक्ष रिट याचिका दायर कर कब्जा दिलाने व राजस्व दस्तावेजों में जमीन दर्ज कराने की मांग की थी। हाई कोर्ट के निर्देश पर जिला प्रशासन ने 16.08. 2022 को पट्टे की भूमि का बटांकन व सीमांकन के बाद कब्जा दे दिया है।

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