Bilaspur High Court: बटनदार, डिजाइनर चाकू कोई सब्जी काटने के लिए तो लेता नहीं होगा, ऑनलाइन और खुलेआम कैसे बिक रहे? हाई कोर्ट ने पूछे सवाल...
Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने अफ़सरों से पूछा, बटनदार, डिजाइनर चाकू कोई सब्जी काटने के लिए तो लेता नहीं होगा, ऑनलाइन और खुलेआम कैसे बिक रहे हैं. राज्य में तेजी से बढ़ रही चाकूबाजी की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की. राज्य सरकार ने शपथ पत्र पेश कर आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई करने की बात कही.
Bilaspur High Court: बिलासपुर। हाईकोर्ट ने प्रदेश में तेजी से बढ़ रही चाकूबाजी की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। कोर्ट ने गृह विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
राज्य शासन ने शपथ पत्र दाखिल करते हुए बताया कि सरकार की ओर से मामले में आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है। आनलाइन चाकू मंगाए जाने के मामलों में गंभीरता से ध्यान दिया जा रहा है। चाकूओं के साथ ही दूसरे हथियारों की जब्ती भी बनाई गई है। डिवीजन बेंच ने मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव, डीजीपी, आईजी बिलासपुर, कलेक्टर, एसपी बिलासपुर और गृह विभाग के प्रमुख सचिव को पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे में जवाबदेही तय की जाएगी और चाकुओं की अवैध व अनियंत्रित बिक्री पर रोक के ठोस उपायों की जानकारी दी जानी चाहिए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल उठाया है कि आखिर ये खतरनाक चाकू ऑनलाइन और खुलेआम कैसे बिक रहे हैं और इस पर रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं? कोर्ट ने कहा, “ये बटनदार, डिजाइनर चाकू कोई सब्जी काटने के लिए तो नहीं लेता होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि आर्म्स एक्ट मौजूद है, फिर भी इस पर सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। बिलासपुर में पान की दुकानों, जनरल स्टोर्स और गिफ्ट शॉप्स में 100 से 500 रुपए में डिजाइनर, बटन और फोल्डिंग चाकू बड़ी आसानी से मिल रहे हैं और वह भी बिना किसी जाँच-पड़ताल के।
निगरानी और नियमन की सबसे बड़ी कमी
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीड़ी गुरु की बेंच ने कहा है कि पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद शहर इस समस्या से जूझ रहा है। मामूली विवादों के कारण घटनाएं घट रही हैं। बेंच ने यह भी कहा कि निगरानी और नियमन की यह कमी छुरा घोंपने जैसी हिंसक घटनाओं में वृद्धि का कारण बन सकती है। जन सुरक्षा को लेकर चिंताएं पैदा करती है। पुलिस विभाग सीधे राज्य के गृह विभाग के नियंत्रण में है, इसलिए कोर्ट यह उचित समझता है कि गृह विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार और प्रमुख सचिव को पक्षकार बनाया जाए. चाकुओं की बिक्री और घटनाओं पर पर आसानी से अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करेंगे।