Bilaspur High Court: अस्पतालों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति पर चीफ जस्टिस नाराज...
Bilaspur High Court: बिलासपुर जिले के सरकारी अस्पतालों में 503 में से 268 डॉक्टरों के नदारद रहने से मरीज को हो रही परेशानी के मामले में मीडिया में छपी खबर को हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। बिलासपुर जिले के अस्पतालों से डॉक्टरों के अनुपस्थित रहने को लेकर चीफ जस्टिस ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की है। बिलासपुर जिले के अस्पतालों में डॉक्टरों के नदारद रहने पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस ने कड़ी नाराजगी जाहिर की। हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस ने नाराजगी जाहिर करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर शपथ पत्र में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर 2024 को रखी गई है।
5 नवंबर को मीडिया में बिलासपुर जिले के 268 डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस करने के चलते सरकारी अस्पतालों में देर से आने और इससे मरीजों के परेशान होने की प्रकाशित खबर को संज्ञान में लेकर सुनवाई शुरू की है। प्रकाशित खबर के अनुसार सरकारी अस्पताल में नौकरी करते हुए नान प्रैक्टिसिंग अलाउंस लेने वाले डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकते वह केवल अपनी क्लीनिक या नर्सिंग होम में ही सेवा दे सकते हैं उन्हें निजी अस्पताल में काम करने की छूट नहीं होती। पर बिलासपुर जिले के अधिकांश डॉक्टर निजी अस्पतालों में सेवा दे रहे हैं। जिले में कुल 503 में से 268 डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिसकर रहे हैं। जिसके चलते सिम से जिला अस्पताल और अन्य अस्पतालों में मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है।
बिलासपुर जिले में सिम्स में 250, जिला अस्पताल में 53 और आयुर्वेदिक अस्पताल में करीब 40 डॉक्टर कार्यरत है। वही सीएमएचओ कार्यालय के तहत बीएमओ, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को मिलाकर 161 डॉक्टर सेवारत है जिले में कुल 503 डॉक्टर कार्यरत है इसमें से 268 डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। प्राइवेट प्रैक्टिस करने वालों में सिम समय 29 जिला अस्पताल के 52 ,आयुर्वेदिक अस्पताल के 32 और बीएमओ, सीएचसी और पीएचसी के 157 डॉक्टरों के नाम सामने आए हैं।
प्राइवेट प्रैक्टिस के चलते समय पर डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में नहीं आते। जिसके चलते मरीज को परेशानी होती है। जिला अस्पताल में सिविल सर्जन को मिलाकर 53 डॉक्टर हैं जिसमें सिविल सर्जन को छोड़कर भवन डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। यह डॉक्टर एनपीए भी नहीं लेते। पर प्राइवेट प्रैक्टिस करने के चलते समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते और जल्दी चले जाते हैं। बायोमैट्रिक्स अटेंडेंस की जांच से पता चला कि पिछले 3 महीने से 47 डॉक्टर समय पर नहीं पहुंच रहे हैं और कुछ शाम को गायब रहते हैं।
स्वतः संज्ञान लेकर शुरू हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार से पूछा कि डॉक्टरों की अस्पताल में उपस्थिति को लेकर कोई गाइडलाइन है या नहीं? जिसके जवाब में महाधिवक्ता ने कहा कि गाइडलाइन बनाई गई है और नॉन प्रैक्टिस अलाउंस के नियम भी है। जिस पर चीफ जस्टिस ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह गलत बात है आधे से ज्यादा डॉक्टर गायब है तो मरीज जाएगा कहां? डिविजन बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव के माध्यम से व्यक्तिगत शपथ पत्र में इस मामले में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर 2024 को रखी गई है।