Ahmedabad-Howrah Express Accident: अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस दुर्घटना: हादसे का वह मंजर आज भी झूल जाता है आंखों के सामने, 28 साल पहले चांपा में घटी थी घटना, तब मच गया था हाहाकार...

Ahmedabad-Howrah Express Accident: अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस दुर्घटना: हादसे का वह मंजर आज भी झूल जाता है आंखों के सामने, 28 साल पहले चांपा में घटी थी घटना, तब मच गया था हाहाकार

Update: 2025-11-04 14:50 GMT

Ahmedabad-Howrah Express Accident: बिलासपुर। 14 सितंबर 1997 की वह काली रात आज भी जेहन में कैद है। इस हादसे को जिसने करीब से देखा उनके तो रोंगटे खड़े हो गए थे। कई रात आंखों में नींद नहीं आई। नींद मानों रुठ सी गई थी। खाने के टेबल पर बैठते तो थे पर खाने की जरा भी इच्छा नहीं। आंखों के सामने वह भयावह मंजर रह-रहकर लौट आता था। शरीर से हाथ गायब तो किसी का सिर कटा, कहीं कराहने की आवाज तो कहीं मौत सा सन्नाटा। निर्जीव मां के सामने रुदन करते बच्चे। हादसे का वह मंजर एक बार फिर याद आने लगा है। मौत का सन्नाटा और अस्पताल में लोगों की भारी भीड़। चारो तरफ हाहाकार। परिजनों की मत पूछिए। उनकी हालत तो मौत से भी बदतर।

14 सितंबर 1997 का वह दिन वैसे तो भुलाए नहीं भूलता पर आज एकदम से ताजी हो गई है। पैसेंजर ट्रेन के पांच यात्रियों का सफर पूरा हो गया। मौत को गले लगा लिया है। आधा दर्जन लोग ऐसे हैं जो जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।

आज की घटना ने 28 साल से जेहन में कैद उस घटना को एक बार फिर आंखों के सामने ला खड़ा किया है।अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस पर सैकड़ों जिंदगियां भरोसे के साथ सफर कर रही थीं। तब किसी को क्या पता था कि यह उनकी आखिरी सफर साबित होने वाली है। मौत बस कुछ ही दूर खड़े इंतजार कर रही है।

रात का वह समय और रफ्तार से दौड़ती अहमदाबाद एक्सप्रेस जैसे ही हसदेव पुल पर आई हादसे का शिकार हो गई। इस मंजर की शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। अधिकांश यात्री नींद में ही आखिरी सफर की ओर निकल पड़े। नदी में चारो तरफ खून ही खून और लाशें बिछी हुई थी। अंधेरी स्याह रात में मौत का यह भयावह मंजर और भी भयानक लग रहा था।

हादसे में अपनों को खोने वाले परिवार की हालत क्या होगी यह तो वे ही जाने। दुर्घटना की जानकारी मिलने के बाद रेलवे गार्डनरीच मुख्यालय से टीम पहुंची थी। घटना की उच्चस्तरीय जांच हुई, लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं हुई। थाने में धारा 304 ए, 337, 338 भादवि और रेलवे एक्ट की धारा 151, 153, 154 व 175 के तहत अपराध दर्ज किया गया, लेकिन एक छोटे कर्मचारी पीडब्ल्यूआई अब्दुल खालिक को आरोपी बनाया।

मेंटनेंस के दौरान नियमों की अनदेखी

रेल लाइन पर काम करते समय किसी हादसे को रोकने के लिए नियम-कानून बनाए गए हैं। कार्यस्थल से 600 और 1200 मीटर की दूरी पर पटरी पर डेटोनेटर रखा जाता है, ताकि ट्रेन के पहिये पड़ते ही डेटोनेटर ब्लास्ट हो जाए। ट्रेन ड्राइवर और पटरी पर काम करने वाले अलर्ट हो जाएं। ड्राइवर ट्रेन रोक दे। लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं हुआ। गैंगमैन झुमुकलाल गोंड़ को पटरी पर डेटोनेटर रखना था। उसने ऐसा नहीं किया, जिसके लिए उसे आरोपी बनाया गया। इसके लिए रेलवे ने उसे बर्खास्त कर दिया था।

88 यात्रियों के मौत की आधिकारिक पुष्टि

14 सितंबर 1997 को जांजगीर-चांपा में हसदेव पुल पर अहमदाबाद-हावड़ा एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इसमें 88 लोगों की मौत की रेलवे ने आधिकारिक पुष्टि की थी। 350 से अधिक यात्री घायल हो गए थे। जानकारों का तो यहां तक कहना है कि इस हादसे में सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी।

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