PSC चेयरमैन सस्पेंडः छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने जब पीएससी घोटाले में चेयरमैन को किया था सस्पेंड

Update: 2023-05-19 07:25 GMT

रायपुर। पीएससी परीक्षा में नेताओं और अधिकारियों के नाते-रिश्तेदारों के सलेक्शन को लेकर सोशल मीडिया में जुबानी संग्राम के बाद अब सियासी वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जब पीएससी के नतीजों को लेकर सरकार पर हमला बोला तो सत्ताधारी पार्टी ने 2005 बैच की लिस्ट जारी कर दी। कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने प्रेस कांफ्रेंस में लिस्ट जारी कर आरोप लगाया कि रमन सरकार के दौरान कई नेताओं और अधिकारियों के रिश्तेदारों का चयन किया गया था। उधर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहा है कि भाजपा नेता साक्ष्य दें तो वे इसकी जांच करा देंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारियों और नेताओं के बच्चे पीएससी में सलेक्ट नहीं हो सकते ऐसा कहां लिखा है।

बता दें, पीएससी 2003 के नतीजे 2005 में आए थे। सो, इस बैच को 2003 भी कहा जाता है और 2005 भी। वैसे प्रचलन में 2005 बैच ही ज्यादा है। इस समय से कहीं ज्यादा 2005 में नतीजों को लेकर बवाल मचा हुआ था। उस समय नया-नया आरटीआई आया था। नतीजे के बाद कुछ लोगों ने आरटीआई में उत्तर पुस्तिकाएं निकाली और विस्फोट हो गया। वर्षा डोंगरे का नम्बर ज्यादा था और उनसे कम अंक वाले को उनसे उपर कर दिया गया था। कांग्रेस के विकास उपध्याय, जो इस समय रायपुर पश्चिम से विधायक हैं, उन्होंने इसको लेकर जबर्दस्त लड़ाई लड़ी। पीएससी 2005 में गड़बड़झाले का खुलासा और उसे मुद्दा बनाने में आरटीआई और वर्षा डोंगरे के साथ ही विकास उपध्याय अहम किरदार बने। विकास अपनी युवा टीम के साथ लगातार सड़क पर प्रदर्शन करते रहे। कई बार पीएससी की शव यात्रा निकाली। बवाल जब ज्यादा मचा तो सरकार को लगा पानी अब सिर के उपर से गुजर रहा है। वो इसलिए क्योंकि स्पष्ट हो गया था कि स्केलिंग में गड़बड़ी कर व्यापक स्तर पर गड़बड़़झाला हुआ है। जिसको नायब तहसीलदार बनना था, उसे पीएससी ने डिप्टी कलेक्टर बना दिया था। इस मामले की गूंज इतनी ज्यादा हुई कि पीएससी चेयरमैन अशोक दरबारी को बर्खास्त करने की मांग जोर पकड़ने लगी। दरबारी आईपीएस अधिकारी थे। डीजीपी से रिटायर होने के बाद उन्हें पीएससी चेयरमैन बनाया गया था। दरबारी पर कार्रवाई करने के लिए लीगल ओपिनियन लिया गया। चूकि पीएससी चेयरमैन संवैधानिक पद है। इसलिए, उन्हें बर्खास्त करने के लिए महाभियोग लाना पड़ता। सो, सस्पेंड करने का रास्ता निकाला गया। तत्कालीन राज्यपाल लेफ्टिनेंट गवर्नर केएम सेठ ने सरकार से मंत्रणा कर दरबारी को सस्पेंड कर दिया। उधर, राज्य सरकार ने ईओडब्लू जांच का ऐलान कर दिया। ईओडब्लू के इंस्पेक्टर सेन ने इस मामले की जांच की और चेयरमैन अशोक दरबार समेत पीएससी में चयनित सारे अभ्यर्थियों के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी समेत गंभीर धाराओं में मुकदमा कायम किया था।

हालांकि, इस बार भी पीएससी ने अपनी साख पर बट्टा लगाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा है। पिछले दशक में पीएससी की प्रतिष्ठा फिर बहाल हो रही थी मगर इस बार फिर सब धुल गया। जब बाड़ ही खेत खाने लगे तो क्या किया जा सकता है। जिस चेयरमैन पर पीएससी अभ्यर्थियों की उम्मीदें टिकी हुई थी, वे ही कटघरे में खड़े हैं। हम बात कर रहे हैं, पीएससी चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी की। सोनवानी के दत्तक बेटा डिप्टी कलेक्टर बन गया तो भतीजा डीएसपी। सोशल मीडिया में चल रहा...उनकी बहू 2020 पीएससी में डिप्टी कलेक्टर बन गई है तो उनकी भांजी का नाम भी इस बार चयन सूची में है। राज्यपाल के सिकरेट्री अमृत खलको के बेटा और बेटी दोनों डिप्टी कलेक्टर सलेक्ट हो गए तो डीआईजी बीपी धु्रव की बेटी भी डिप्टी कलेक्टर बन गई। ये तो डिप्टी कलेक्टर और डीएसपी की बात हो रही...नीचे पदों में और क्या खेला हुआ है, जब कंप्लीट लिस्ट सामने आएगी तो पता चलेगा। वाकई, ये तो इंतेहा है। एक तरफ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने युवाओं के लिए नौकरी का पिटारा खोल दिया है...ढाई से तीन महीने में करीब करीब 30 हजार भर्तियां होनी है। इससे प्रदेश के युवाओं में साकारात्मक माहौल पैदा हुआ है। जाहिर है, ये बडी संख्या है और शायद ही किसी राज्य में इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में नौकरी मिली होगी। मगर दूसरी तरफ पीएससी में बैठे जिम्मेदार लोग सरकार की कोशिशों को पलीता लगा रहे हैं।

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