Postal Ballot: जागो चुनाव आयोग जागो: सरकारी कर्मी नहीं कर पा रहे हैं मतदान, ऐसे में कैसे होगा शत प्रतिशत मतदान
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Postal Ballot: रायपुर। विधानसभा चुनाव में शतप्रतिशत मतदान के लिए चुनाव आयोग जागो वोटर का नारे के साथ मतदाता जागरुकता अभियान चला रहा है। आयोग शत प्रतिशत मतदान के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। दिव्यांगों और बुजुर्गों के घर जाकर मतदान कराया जा रहा है। आयोग की तरफ से वोट के लिए लगातार अपील की और कराई जा रही है। इन सबके बीच जिन लोगों को पर शतप्रतिशत मतदान कराने की जिम्मेदारी है वे ही लोग मतदान नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में सरकारी कर्मचारी कह रहे हैं जागो चुनाव आयोग जागो...।
प्रदेश के सरकारी कर्मचारी इस बार मतदान से वंचित होते नजर आ रहे हें यानी दिया तले अंधेरा है कहे तो गलत न होगा। इस बार शासकीय कर्मचारियों के मतदान की व्यवस्था में बदलाव किया गया है। पहले सरकारी कर्मचारी डाक मतपत्र अपने साथ ले जाते थे और कभी भी वोट डालकर उसे जमा कर देते थे। इस बार उन्हें निर्धारित सुविधा केंद्रों में मतदान करना है। ऐसे में जो कर्मचारी अन्य जिलों में कार्य करते हैं उनके मतदान के लिए व्यवस्था ही नहीं गई है। इससे कर्मचारी मतदान के लिए भटक रहे हैं और हर साल की भांति इस बार भी शासकीय कर्मचारी ही शत प्रतिशत मतदान नहीं कर पाएंगे।
इसे ऐसे समझें कि मानो कोई कर्मचारी मतदाता बिलासपुर विधानसभा का है लेकिन नौकरी सूरजपुर जिले में करता है तो उसको मतदान बिलासपुर विधानसभा में करना है। अब बिलासपुर विधानसभा में ऐसे कर्मचारियों के लिए जो अन्य जिले में सेवा में है उनकी व्यवस्था है ही नहीं। वहां उन्ही कर्मचारियों को मतदान का अवसर दिया जा रहा है जो इस जिले में कार्यरत हैं। मतदान की अंतिम तिथि इस बार शासकीय कर्मचारियों के लिए 14 तारीख तय की गई है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि निर्वाचन के समय शासकीय कर्मचारियों को अवकाश भी नहीं मिल पाता तो ऐसे में अधिकांश कर्मचारी अपने कार्यरत जिले को छोड़कर जा भी नहीं पा रहे हैं। ऐसे में शासकीय कर्मचारियों का शतप्रतिशत मतदान संभव नहीं दिख रहा है।
Postal Ballot: यह होनी चाहिए व्यवस्था
दरअसल शासकीय कर्मचारियों के लिए मूल रूप से ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि यदि वह जिस जिले में कार्यरत है वहां से अपने विधानसभा के लिए डाक मतपत्र के जरिए मतदान करना चाहे तो भी कर सके, क्योंकि काम के लिए मूल जिला आना भी शासकीय कर्मचारियों को काफी महंगा पड़ता है। ऐसे में बहुत से शासकीय कर्मचारी मतदान ही नहीं करते और जिनके ऊपर शत प्रतिशत मतदान की जिम्मेदारी है। यदि वही मतदान नहीं कर रहे तो निर्वाचन आयोग के स्वीप और अन्य अभियान का क्या फायदा। इसके अतिरिक्त मतदान के बाद भी 5 से 10 दिनों का समय कम से कम छत्तीसगढ़ में शासकीय कर्मचारियों को मतदान के लिए दिया जा सकता है ताकि वह निर्वाचन कार्य से निपटने के बाद मतदान कर सके।