कर्मचारियो का नियमितीकरण: 13 साल की लड़ाई के बाद हाईकोर्ट से आया फैसला, नियमितीकरण के बाद दोबारा बना दिया गया था दैनिक वेतन भोगी

Update: 2023-03-14 09:13 GMT

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बिलासपुर। गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के 98 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने का हाईकोर्ट ने आदेश दिया है। कर्मचारी लंबे समय से दैनिक वेतन भोगी के रूप में कार्य कर रहे थे, जिन्हें 2008 में नितमित किया गया था पर तत्कालीन कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी के निर्देश पर रजिस्ट्रार ने 2010 को उन्हें दोबारा दैनिक वेतनभोगी बना दिया था, जिसके खिलाफ कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें 13 साल बाद कर्मचारियों के पक्ष में फैसला आया है और उन्हें नियमितीकरण करने व पूर्व के नियमितीकरण की तिथि से नियमित कर्मचारी के समान सेवा लाभ देने का निर्देश हाईकोर्ट ने दिया है।

विजय कुमार गुप्ता समेत 98 याचिकाकर्ता गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में राज्य यूनिवर्सिटी रहने के दौरान 10 वर्ष या उससे कहीं अधिक समय से दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में कार्य कर रहे थे। फिर राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग ने 22 अगस्त 2008 को 10 वर्ष से लगातार काम कर रहे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश जारी किया। आदेश के परिपालन में संचालक उच्च शिक्षा में भी 26 अगस्त 2008 को विभाग में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को स्ववित्तीय योजना के तहत नियमितीकरण और नियमित वेतनमान देने का आदेश पारित किया। जिसके 1 माह बाद 22 सितंबर 2008 को गुरु घासीदास राज्य यूनिवर्सिटी ने अपने यहां दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्यरत 98 कर्मचारियों का नियमितीकरण कर दिया और उन्हें नियमित वेतनमान भी दिया जाने लगा।

2009 में गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी केंद्रीय विश्वविद्यालय बन गया और यहां के प्रथम कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी बने। उनके निर्देश के बाद 10 फरवरी 2010 को तत्कालीन रजिस्ट्रार ने 22 सितंबर 2008 की तारीख से कर्मचारियों के नियमितीकरण का आदेश निरस्त कर दिया। कर्मचारियों ने इसे अधिवक्ता दीपाली पांडे के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट में जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई जिसमें याचिकाकर्ताओ के अधिवक्ता ने बताया कि कर्मचारियों को नियमितीकरण करने के बाद नियमित वेतनमान का आदेश पारित किया गया था। मार्च 2009 तक इन्हें नियमित वेतन भी दिया गया लेकिन इसके बाद बिना किसी जानकारी या सूचना दिए हुए इनका वेतन बंद कर दिया। साथ ही यूनिवर्सिटी द्वारा बिना सुनवाई का अवसर प्रदान किए सबको कलेक्टर दर पर वेतनमान देने का निर्देश जारी कर दिया। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि गुरुघासीदास यूनिवर्सिटी के साथ ही मध्य प्रदेश की सागर यूनिवर्सिटी सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनी है वहां के कर्मचारियों को नियमित किया गया है। 22 नवंबर 2022 को हुई सुनवाई के बाद फैसला कोर्ट ने सुरक्षित कर लिया था। अब फैसला सुनाते हुए अदालत ने सभी 98 याचिकाकर्ताओं की पिटीशन मंजूर करते हुए उन्हें पूर्व की भांति नियमितीकरण करने व पूर्व के नियमितीकरण तिथि से नियमित कर्मचारी के रूप में समस्त सेवा लाभ प्रदान करने के जिर्देश दिये है।

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