IPS Shashimohan Singh: गो तस्करों के लिए काल बना छत्तीसगढ़ के ये IPS, बार्डर के जिस गांव में पुलिस कभी बिना मार खाए नहीं लौटी, फोर्स लेकर घुस गए...
IPS Shashimohan Singh: छत्तीसगढ़ का जशपुर छह महीने पहले तक गो तस्करी का गढ़ था। शशिमोहन फोर्स को लेकर झारखंड की सीमा पर स्थित छत्तीसगढ़ का आखिरी गांव साई टांगर टोली में घुस गए। उन्होंने वहां से दो दर्जन से अधिक गायों को मुक्त कराया। उन गायों को गाड़ियों में ठूंसकर रखा गया था। गो तस्कर उन्हें बाहर भेजने की तैयारी कर रहे थे, इससे पहले पुलिस ने छापा मार दिया।
0 छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के झारखंड बॉडर पर एक गांव हैं साई टांगर टोली। गो तस्करी के लिए कुख्यात इस मुस्लिम बहुल गांव में जब भी पुलिस गई, बिना पिटे नहीं लौटी।
0 पहली बार जशपुर एसपी शशिमोहन सिंह ने हौसला दिखाते हुए इस मिथक को तोड़ा और छत्तीसगढ़ के इस गोला-बारुद वाले गांव में तड़के चार बजे घुस गए।
0 गो तस्करों को संरक्षण देने वाले कांग्रेस-बीजेपी के नेता भी साईं टांगर गांव का नाम सुनकर घबराने लगे हैं। जाहिर है, कांग्रेस और बीजेपी के नेता इस गो तस्करी को संरक्षण दे रहे थे।
0 गो-तस्करों का कमर तोड़ने के लिए आर्थिक चोट पहुंचाई जा रही। अभी तक साढ़े तीन करोड़ की 35 गाड़ियां जब्त की गई हैं, वहीं 107 गो तस्करों को गिरफ्तार किया गया है।
IPS Shashimohan Singh: जशपुर। छत्तीसगढ़ का जशपुर छह महीने पहले तक गो तस्करी का गढ़ था। झारखंड के बार्डर पर होने की वजह से सरगुजा, रायगढ़ तरफ से गो तस्कर गायों को लेकर जशपुर के रास्ते झारखंड, पश्चिम बंगाल होते बंगला देश जाते थे। मगर सरकार ने जब से शशिमोहन सिंह को एसपी बनाकर जशपुर भेजा है, गो तस्करों की हालत उन्होंने खराब कर दी है। उन्होंने गो तस्करों के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है।
शशिमोहन फोर्स को लेकर झारखंड की सीमा पर स्थित छत्तीसगढ़ का आखिरी गांव साई टांगर टोली में घुस गए। उन्होंने वहां से दो दर्जन से अधिक गायों को मुक्त कराया। उन गायों को गाड़ियों में ठूंसकर रखा गया था। गो तस्कर उन्हें बाहर भेजने की तैयारी कर रहे थे, इससे पहले पुलिस ने छापा मार दिया।
साई टांगर के नाम से पुलिस घबराती थी
जशपुर जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर साईं टांगर टोली की पौने तीन हजार की आबादी में 99 परसेंट मुस्लिम रहते हैं। गो तस्करी के साथ इलाके में जितने भी जुर्म जरायम होते थे, उनमें इस गांव के लोगों के नाम आते थे। मगर मजाल है कि पुलिस इस गांव में घुस जाए। आजादी के बाद चार बार पुलिस इस गांव में अपराधियों को पकड़ने गई और चारों बार मार खाकर लौटी। चूकि वोट बैंक की वजह से राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलता था और हायर लेवल के अधिकारी मौन साध लेते थे, इसलिए जशपुर की पुलिस ने उस गांव की तरफ देखना बंद कर दिया था।
शशिमोहन ने दिखाई हिम्मत
शशिमोहन सिंह एसपी बनकर जशपुर पहुंचे तो उन्हें साईं टांगर टोली के बारे में पता चला। उन्हें यह भी बताया गया कि उधर हाथ डालने का कोई मतलब नहीं। शशिमोहन अग्रेसिव पोलिसिंग के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इसे चुनौती की तरह लिया। उन्हें ऐसी व्यूहरचना बनाई कि गो तस्करों के सारे राजनीतिक सपोर्ट मिलने बंद हो गए। बताते हैं, कॉल डिटेल में कांग्रेस, बीजेपी के कई बड़े नेता के कंवर्जन निकल आए, जिसमें गो तस्करों से उनकी सांठ-गांठ की पुष्टि होती थी। जशपुर के मीडिया के लोग बताते हैं, शशिमोहन ने नेताओं को कॉल डिटेल दिखाकर पहले ही हड़का दिया। साईं टांगर टोली से जुड़ा झारखंड के एक माफिया को उन्होंने अपने स्टाईल में प्रेशर डाल आत्मसमर्पण करा दिया।
ड्रोन लेकर तड़के छापा
शशिमोहन सिंह 150 हथियारबंद जवानों के साथ ड्रोन लेकर तड़के चार बजे गांव में घुसे। जब तक गो तस्करों को इसकी भनक लगती, फोर्स ने ड्रोन से पता लगाकर 37 गायों को मुक्त करा लिया था। आंख मलते लोग घर से बाहर निकले तो हथियार बंद जवान गश्त करते मिले। पुलिस ने ऐसी मुस्तैदी से कार्रवाई की, गांव के उत्पाती तत्वों को पथराव या किसी प्रकार की हिंसा करने का मौका ही नहीं मिला। फोर्स ने स्कार्पियो, सुमो समेत गो तस्करी में इस्तेमाल की गई डेढ़ दर्जन वाहनों को जब्त कर लिया। इसके साथ 10 आरोपियों को हिरासत में लिया गया।
सिंंघम स्टाईल
खुद हाथ में एके-47 लेकर सिंघम स्टाईल में शशिमोहन साईं टांगर गांव की गलियों में घूमते रहे। उसके बाद हिन्दी फिल्मों के दबंग पुलिस अधिकारी की तरह कुर्सी मंगाकर बैठ गए। इसका ऐसा प्रेशर पड़ा कि गो तस्करों ने हथियार डाल दिया।
फिल्मो में भी काम किए हैं शशिमोहन
पुलिस की नौकरी से कुछ दिनों का अवकाश लेकर शशिमोहन छत्तीसगढ़ और भोजपुरी फिल्मों में बतौर अभिनेता के तौर पर काम किए हैं। सो, फिल्मी लटके-झटके से वाकिफ हैं। साईं टांगर टोली में उन्होंने इस सिंघम वाली छबि का बखूबी इस्तेमाल किया।
बाहर की फोर्स
जशपुर जिले के पुलिस अधिकारी और फोर्स साईं टांगर टोली की वास्तविकता से वाकिफ थी। जाहिर है, पहले से सहमे लोगों को लेकर जोखिमपूर्ण आपरेशन नहीं किया जा सकता था। शशिमोहन ने इसका रास्ता निकाला। जिले के ऐसे अधिकारियों और जवानों को छांटा, जिनके मन में साईं टांगर टोली के अपराधियां के प्रति गुस्सा था। फिर मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में अंबिकापुर से सशस्त्र बल की एक बटालियन आई थी। शशिमोहन ने ऑपरेशन के लिए उन्हें रोक लिया।
गुप्त ठिकानों पर ऑपरेशन की तैयारी
साईं टांगर टोली गांव में दबिश देने से पहले रात में शशिमोहन सिंह के साथ गुप्त जगह पर पूरी प्लानिंग की गई। पुलिस कंट्रोल रुम में अगर पुलिस का जुटान होता तो ऑपरेशन की बात लीक हो जाती। इसलिए, गुप्त स्थान चुना गया।
ड्रोन से पता
साईं टांगर गांव में पुलिस पूरी तैयारी के साथ घुसी थी। पुलिस के पास गायों का पता लगाने के लिए ड्रोन था। उसकी मदद से पुलिस को पता चल गया कि गो तस्करों ने गायों को बंधक बनाकर कहां रखा है। पुलिस तुरंत उस जगह पर पहुंच गई।
चुनौती की तरह लिया
शशिमोहन सिंह ने एनपीजी न्यूज से चर्चा में बताया कि जशपुर में ज्वाईन करने के बाद मैंने साईं टांगर टोली के बारे में सुना। इस संबंध में मैं पुलिस अधिकारियों से बात की तो अमूमन सभी ने यही कहा कि उधर जाना खतरे से खाली नहीं। उन्हें यह भी बताया गया कि गो तस्करों के खिलाफ एक लिमिट से अधिक कड़ाई नहीं कर सकते। वे बड़े आक्रमक होते हैं। कई बार पुलिस के उपर वे गाड़ियां चढ़ाने की कोशिश कर चुके हैं। उसी समय मैंने ठान लिया कि गो तस्करों के खिलाफ कार्रवाई तो तेज होगी ही, साईं टांगर टोली में भी वे घुसकर दिखाएंगे।
ऑपरेशन शंखनाद
जशपुर में साईं टांगर टोली के पास से शंख नदी गुजरती है। शशिमोहन ने गो तस्करों के खिलाफ कार्रवाई के लिए चलाए जाने वाले अभियान का ऑपरेशन शंखनाद नाम दिया। जनवरी 2024 से अब तक गौ तस्करों के विरूद्ध विशेष अभियान चलाकर कुल 61 प्रकरणों में 109 आरोपियों को गिरफ्तार कर कुल 704 गौवंश को तस्करी होने से बचाया गया है।
जानिये IPS शशिमोहन सिंह के बारे में:- किसी भी मुख्यमंत्री का जिला उस प्रदेश का वीवीआईपी जिला कहा जाता है। उस जिले में चुने हुए अफसरों की तैनाती की जाती है। जशपुर सीएम विष्णुदेव साय का गृह जिला है। उन्होंने डायरेक्ट आईपीएस की बजाए स्टेट कैडर से आईपीएस बने शशिमोहन सिंह को अपने जिले की पोलिसिंग की कमान सौंपी है। बता दें, झारखंड और उड़ीसा से बार्डर लगा होने की वजह से जशपुर में नशे की सप्लाई लाईन होने के साथ ही डकैती की घटनाएं भी खूब होती हैं। पहले जशपुर रिमोट जिला था इसलिए घटनाएं खबरेंं नहीं बनती थी। मगर अब सीएम का जिला होने की वजह से उसकी संजीदगी समझी जा सकती है। लिहाजा, शशिमोहन सिंह को जशपुर के एसपी के लिए उपयुक्त समझा गया। 1997 में डीएसपी के पद से पुलिस में नौकरी की शुरुआत करने वाले शशिमोहन सिंह को 2018 में आईपीएस अवार्ड हुआ और उन्हें आईपीएस कैडर 2012 मिला। आइए जानते हैं उनके बारे में...
जवान का बेटा पुलिस अफसर
शशिमोहन सिंह के पिता का नाम स्व. कृष्ण देव सिंह और माता स्व. चंदा देवी सिंह है। उनके पिता केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में जवान थे। उनकी माता स्व. चंदादेवी सिंह गृहणी थीं। शशिमोहन सिंह की स्कूलिंग भिलाई से हुई है। उन्होंने बीएसपी के सेक्टर 6 स्कूल से क्लास वन की शिक्षा ली है। जिसके बाद वे बिहार अपने दादा जी के पास चले गए। दरअसल बिहार के बक्सर जिले के सेमरी थाना क्षेत्र में शशिमोहन सिंह का पैतृक गांव दुल्लहपुर है। वे अपने दादा के पास दुल्लहपुर चले गए और वहां उन्होंने दूसरी से आठवीं तक की शिक्षा ग्रहण की। जिसके बाद एक बार शशिमोहन फिर छत्तीसगढ़ आए और लोक भारती स्कूल रामनगर में नौवीं क्लास में एडमिशन लिया। यहां से उन्होंने 11 वीं मैट्रिक तक शिक्षा ली। मैट्रिक में उनका गणित विषय था। फिर दुर्ग जिले के कल्याण कॉलेज से बीए और हिंदी साहित्य में एमए किया है।
लेक्चर से पुलिस अधिकारी
सन 1992 में पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद शशिमोहन सिंह ने साजा कॉलेज में तदर्थ लेक्चरर(हिंदी) की नौकरी शुरू की। साथ ही राज्य प्रशासनिक सेवा की तैयारी करने लगे। अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने सन 1996 में मध्यप्रदेश पीएससी निकाल कर डीएसपी की पोस्ट पाई। उन्हें 1997 बैच डीएसपी आबंटित हुआ। प्रशिक्षु डीएसपी के रूप में उनकी पहली पोस्टिंग होशंगाबाद जिले के शिवपुर थाना प्रभारी के रूप में हुई इसके बाद में सीएसपी इटारसी बने। इटारसी से भोपाल में असिस्टेंट कमांडेंट 23 वी बटालियन बने।
पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर उन्होंने छत्तीसगढ़ कैडर चुना और छत्तीसगढ़ में पहली पोस्टिंग एसडीओपी भानुप्रतापपुर की मिली। भानुप्रतापपुर में वे ढाई साल रहे। इसके बाद रायपुर में सीएसपी पुरानी बस्ती बने। इसके बाद उनकी पोस्टिंग सीएम सिक्योरिटी में हुई। सीएम सिक्योरिटी के बाद शशिमोहन सिंह की पोस्टिंग सीएसपी सिविल लाइंस रायपुर हुई। फिर उन्हें प्रमोशन देकर एडिशनल एसपी बना दिया गया। बतौर एडिशनल एसपी उनकी पहली पोस्टिंग कवर्धा जिले में हुई। फिर वे एडिशनल एसपी रायपुर रहे। रायपुर पोस्टिंग के बाद एक अप्रैल 2010 से एक अप्रेल 2012 तक वे अवकाश लेकर छतीसगढ़ी फिल्मों में काम करने चले गए। इन दो वर्षों में उन्होंने न केवल 4 छतीसगढ़ी फिल्मों में काम किया बल्कि चार सुपरहिट भोजपुरी फिल्में भी की। दो थियेटर भी किए।
वर्दी वाला गुंडा हिट फिल्म
उनकी छत्तीसगढ़ी फिल्में मया देदे मयारु, माटी के लाल, सलाम छत्तीसगढ़, बैरी के मया है। फिल्में मया देदे मयारु में उन्होंने छतीसगढ़ी सुपर स्टार व वर्तमान धरसींवा विधायक अनुज शर्मा के साथ काम किया है। शशिमोहन ने भोजपुरी फिल्में भी की है। वर्दी वाला गुंडा फिल्म उन्होंने आजमगढ़ के भाजपा सांसद एवं भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार दिनेश यादव उर्फ निरहुआ के साथ किया। इस फिल्म में सांसद दिनेश यादव और शशिमोहन सिंह ने पुलिस अफसर की भूमिका अदा की है। शशिमोहन सिंह इसमें मुख्य अभिनेता की भूमिका में है। खेसारी लाल के साथ की गई उनकी भोजपुरी फिल्म दिल ले गई ओढ़निया वाली के यू ट्यूब में ढाई करोड़ से ज्यादा व्यू हैं। उनकी फिल्म भूलन द मेज में उन्होंने जेलर का रोल अदा किया था। ज्ञातव्य है कि फिल्म को नेशनल अवार्ड मिला है। शशिमोहन सिंह ने कई शॉर्ट फिल्में की है जिनमें गोमती,यातना, कोटपा है। उनकी फिल्म कोटपा को चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी ने राष्ट्रीय स्तर पर पहले पुरुस्कार से नवाजा है। इसमें शशिमोहन सिंह पत्रकार की भूमिका में है। गौरतलब है कि चीफ जस्टिस उन्हें दो बार सम्मानित कर चुके हैं।
2018 में आईपीएस
फिल्मों की दुनिया से शशि मोहन सिंह अप्रैल 2012 में एक बार फिर पुलिसिंग के मैदान में आ गए। उनकी पोस्टिंग वीवीआईपी जिले राजनांदगांव में हुई। राजनांदगांव तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह का निर्वाचन जिला था। यहां लगातार पांच साल ( 2012 से 17) पोस्टेड रहें। फिर दुर्ग जिले में एडिशनल एसपी रहें। इसके बाद पुलिस अकादमी चंद्रखूरी में एसपी। 2018 में उन्हें आईपीएस अवार्ड हुआ और 2012 बैच मिला।
पांच साल हांसिये पर
पिछली सरकार में पूरे 5 सालों तक शशिमोहन सिंह को फील्ड पोस्टिंग नहीं मिली और बस्तर के नक्सल इलाके में बटालियन में पोस्टेड रहे। वह दंतेवाड़ा मैं नवी बटालियन के कमांडेंट ढाई सालों तक रहे। इसके बाद ढाई साल तक जगदलपुर बटालियन में रहे जगदलपुर के साथ ही वे रायगढ़ बटालियन का कार्यभार संभालते रहे। जगदलपुर व रायगढ़ बटालियन का कार्यभार उन्होंने एक साथ एक ही समय में सम्हाला था। बस्तर एसपी जितेंद्र सिंह मीणा के सीबीआई डेपुटेशन पर जाने पर पिछले माह 11 जनवरी को उन्हें 11 जनवरी को जगदलपुर का प्रभारी एसपी बनाया गया था। एक माह तक में जगदलपुर के प्रभारी एसपी रहे।
कवि और लेखक भी
शशिमोहन सिंह में पुलिसिंग व एक्टिंग के अलावा कवि व लेखक के भी गुण हैं। संवेदनाओं के कवि माने जाने वाले शशि मोहन सिंह के द्वारा लिखी गई दो पुस्तकों “लहरों के उस पार भी तुम हो“ और “अनगढ़ दुनिया गढ़े तराशे“ का जल्द ही विमोचन होने वाला है। शशिमोहन सिंह थिएटर भी करते हैं। थियेटर प्ले उनका पसंदीदा विषय रहा है। उन्होंने सिसकियां नशे के खिलाफ नाटक प्ले किया है। जिसमें उन्होंने एक साथ चार रोल प्ले किया है। खुद की लिखी नाटक मुखबिर में उन्होंने नक्सली का रोल अदा किया है।
पारिवारिक जीवन
शशि मोहन सिंह चार भाई बहनों में दूसरे नंबर के हैं। शशि मोहन सिंह की शादी 1998 में श्रीमती रेखा सिंह के साथ हुई है। रेखा सिंह गृहणी है। वे पहले कॉलेज में अध्यापन कार्य करती थी। उनका एक पुत्र है जिसने हाल ही में बैचलर ऑफ आर्ट की डिग्री लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी शुरू की है।