Chhattisgarh Tarkash 2025: छत्तीसगढ़ः ऐसे नेता, ऐसा तंत्र
Chhattisgarh Tarkash 2025: छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी और राजनीति पर केंद्रित पत्रकार संजय के. दीक्षित का पिछले 16 बरसों से निरंतर प्रकाशित लोकप्रिय साप्ताहिक स्तंभ तरकश

तरकश, 1 जून 2025
संजय के. दीक्षित
छत्तीसगढ़ः ऐसे नेता, ऐसा तंत्र
बात 2005-06 के आसपास की होगी। तत्कालीन राज्य सरकार का सिकलसेल पर बड़ा जोर था। मैंने भी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इस पर कई स्टोरी की। तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे कलाम के हाथों मुझे सिकलसेल पर शोध करने के लिए फेलोशिप मिला। तब डॉ0 कृष्णमूर्ति बांधी हेल्थ मिनिस्टर थे। उस दौरान राज्य सरकार ने फैसला किया था कि सिकलसेल का एक राष्ट्रीय स्तर का संस्थान बनाया जाएगा। अब खबर है कि वर्तमान सरकार ने इसके लिए प्रयास तेज किया है...बिल्डिंग का निर्माण प्रारंभ होने वाला है। याने घोषणा के बाद बिल्डिंग का काम शुरू करने में दो दशक निकल गए। सिकलसेल मूलतः ओबीसी और आदिवासियों में पाई जाने वाली बीमारी है। इससे सूबे में हर साल 10 हजार से अधिक मौतें होती हैं। सात फीसदी बच्चे छह-सात साल के भीतर काल के गाल में समा जाते हैं। और अगर बच गए तो 50 से 55 तक ही चल पाते हैं। सियासी दृष्टि से छत्तीसगढ़ ओबीसी और आदिवासी डोमिनेटिंग स्टेट रहा है। इन समुदायों से कैबिनेट में हमेशा पांच से सात मंत्री रहे हैं। पिछली कांग्रेस सरकार तो ओबीसी अवधारणा पर ही बनी थी। उसके बाद भी सिकलसेल संस्थान अभी जमीन से उपर नहीं उठ पाया तो समझ सकते हैं कि छत्तीसगढ़ के ओबीसी नेता क्या कर रहे और तंत्र कैसा काम कर रहा है। और जब ओबीसी नेताओं को अपनों के मरने की चिंता नहीं तो अधिकारियों का क्या? बहरहाल, इस बीरबल की खिचड़ी वाले सिकलसेल संस्थान से यह भी साफ हो गया है कि आम आदमी की जानमाल को लेकर छत्तीसगढ़ का सिस्टम कितना गंभीर है।
देवपुरूष के नाम पर महापाप
भाजपा में पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी का दर्जा पितृ पुरूष से भी उपर है...पार्टी के लोग उन्हें प्रातः स्मरणीय मानते हैं। मगर पैसे के लिए लोग इतना नीचे गिर सकते हैं, यह इससे स्पष्ट होता है कि छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों में लगाई जाने वाली अटलजी की 183 प्रतिमाओं में भी पैसे खाने का बंदोबस्त कर लिया गया है। असल में, सभी निकायों में अटल चौक बनाने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने 45 करोड़ रुपए स्वीकृत किया था। इसके लिए टेंडर हो गए हैं। मगर टेंडर से इतर प्रतिमा के लिए अनाधिकृत रूप से पांच फर्मों के नाम तय किए गए हैं। रायपुर से नगरीय निकायों के अधिकारियों और ठेकेदारों पर प्रेशर डाला जा रहा कि उन पांच लोगों से ही धातु की प्रतिमा खरीदी जाए। यह महज सुनी-सुनाई बात नहीं है। पद्यश्री नेल्सन समेत कई मूर्तिकारों ने नगरीय प्रशासन डायरेक्टर से इसकी लिखित शिकायत की है। अटलजी की प्रतिमा में कमीनशनखोरी...यह महापाप होगा। जिम्मेदार लोगों को सोचना चाहिए डायन भी एक घर छोड़कर चलती है...बीजेपी के लिए अटलजी तो देवपुरूष जैसे हैं।
20 हजार करोड़ का फटका!
सालों से एक परसेप्शन बना है कि सरकारें अधिकांश केस हार जाती है। मगर छत्तीसगढ़ में तो गजबे हो रहा है, जिस मामले का कोई सिर पैर नहीं, उस केस में भी हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से सरकार को इसलिए झटका लग गया कि ढंग से न पक्ष रखा गया और न पेपर प्रस्तुत किया गया। मामला शिक्षकों के क्रमोन्नत वेतनमान का है। 2.10 लाख शिक्षकों में से एक महिला शिक्षक क्रमोन्नत वेतनमान के लिए कोर्ट पहुंच गई। महिला शिक्षिका के पति वकील हैं, उन्होंने केस लगा दिया। और फिर इस मामले में सरकार कोर्ट-दर-कोर्ट हारते चले गई। अब आलम यह है कि सभी शिक्षकों को अगर क्रमोन्नत वेतनमान का भुगतान करना पड़ा तो यह करीब 20 हजार करोड़ बैठेगा। याने स्कूल शिक्षा विभाग का चार साल का बजट एक झटके में निकल जाएगा। जाहिर है, 20 हजार करोड़ का फिगर सुन स्कूल शिक्षा विभाग के साथ वित्त विभाग के लोगों के हाथ-पांव फुल गए हैं। सरकार को कायदे से लीगल डिपार्टमेंट पर और इंवेस्ट की जरूरत है...आखिर, सरकारी कामकाज का ये भी एक महत्वपूर्ण पार्ट है।
आईएएस के दो पोस्ट
सामान्य प्रशासन विभाग ने एलॉयड सर्विस कोटे के आईएएस के खाली के हुए दो पदों के लिए आवेदन मंगाया है। अनुराग पाण्डेय और शारदा वर्मा के रिटायर होने के बाद ये दोनों पद खाली हुए हैं। इस समय इस कोटे वाले सिर्फ एक आईएएस गोपाल वर्मा कवर्धा के कलेक्टर हैं। बता दें, आईएएस बनने के लिए तीन रास्ते होते हैं। पहला यूपीएससी क्लियर करके। दूसरा पीएससी में डिप्टी कलेक्टर सलेक्ट होने के करीब 15 साल बाद प्रमोट होकर। और तीसरा रास्ता है अन्य विभागों से मेरिट के आधार पर सलेक्ट होकर। छत्तीसगढ़ में इसके लिए तीन पदों का कोटा हैं। इस कोटे से सबसे पहले आलोक अवस्थी आईएएस बने थे। इसके बाद अनुराग पाण्डेय, शारदा वर्मा और गोपाल वर्मा की लाटरी खुली। यह पहला मौका है कि इस समय एक साथ दो पद के लिए सलेक्शन होना है। इसमें आवेदन करने के लिए छह जून लास्ट डेट है। आमतौर पर सरकार जिसे चाहती है, उसी का सलेक्शन होता है। चीफ सिकरेट्री की अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी नामों को पेनल बनाती है। फिर यूपीएससी में डीपीसी होती है, उसमें सीएस भी एक मेंबर होते हैं। यूपीएससी वाले भी जानते हैं कि एलॉयड सर्विस से आईएएस कैसे बना जाता है, याने सब जाना-समझा मामला होता है। जाहिर है, जिसका पौव्वा भारी होगा, वह आईएएस बन जाएगा। रमन सरकार के दौरान जनसंपर्क के एक अधिकारी का नाम पर लगभग तय हो गया था मगर संघ का पसंद कोई और था, इस चक्कर में किरदार बदल गया। देखना है अब इस बार किन दो अधिकारियों की किस्मत खुलती है।
सचिव स्तर पर ट्रांसफर
सुशासन तिहार के बाद छत्तीसगढ़ में मंत्रालय में कुछ बदलाव किया जाएगा। दरअसल, अंबलगन पी0 और अलरमेल मंगई सेंट्रल डेपुटेशन पर जा रहे। इसके अलावे विपिन मांझी और केएल चौहान का इस महीने रिटायरमेंट है। विपिन सूचना आयोग में सचिव हैं और चौहान बिलासपुर के अपर आयुक्त। वहीं, अंबलगन संस्कृति और पर्यटन विभाग के सचिव थे तो अलरमेल सिकरेट्री लेबर और पंजीयन के साथ लेबर आयुक्त थीं। इन विभागों में सरकार को नई पोस्टिंग करनी होगी। ऐसे में, मंत्रालय सचिव स्तर पर एक आदेश निकलना तय है।
सिकरेट्री की फौज
छत्तीसगढ़ में 2008 से लेकर 2018 तक एक ऐसा भी दौर था, जब सचिव स्तर पर अफसरों का बड़ा टोटा था। आलम यह था कि जूनियर अफसरों को बड़े-बड़े विभाग सौंपे जा रहे थे। मगर सचिवों की अब ऐसी फौज खड़ी हो गई है कि डायरेक्टर और एमडी के पदों पर सिकरेट्री लेवल के आईएएस अधिकारियों को बिठाए जा रहे हैं। जाहिर है, अब च्वाइस की कोई कमी नहीं है। इस समय चीफ सिकरेट्र्री अमिताभ जैन को मिलाकर पूरे 52 सिकरेट्री हैं। इनमें सेंट्रल डुपेटेशन वाले अफसर शामिल नहीं है...अंबलगन और अलरमेल भी नहीं। इसके अलावा जनवरी 2028 तक 2010, 11 और 12 बैच के 29 और आईएएस सिकरेट्री प्रमोट हो जाएंगे। सबसे बड़ा बैच है 2012। 2010 में सात, 2011 में 10 और 2012 में 12 आईएएस हैं। याने जनवरी 2028 में 2012 बैच भी सिकरेट्री बन जाएगा। जबकि, आरआर वालों में रिटायर होने वालों की संख्या दो-तीन से ज्यादा नहीं है। अमिताभ जैन अगले महीने रिटायर होंगे, उनके बाद रेणु पिल्ले 2027 और सुब्रत साहू जुलाई 2028 में। इस तरह से देखा जाए तो जनवरी 2028 में सचिवों की संख्या 75 से उपर पहुंच जाएंगी।
डीजीपी को बोनस नहीं
छत्तीसगढ़ में रिटायर डीजीपी अशोक जुनेजा पहले पुलिस प्रमुख रहे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के तहत दो साल की पोस्टिंग के फेर में 11 महीने का बोनस मिल गया। दरअसल, डीजीपी का पूर्णकालिक आदेश निकलने में देरी होने की वजह से उन्हें यह फायदा हुआ। वे सितंबर 2021 में प्रभारी डीजीपी बन गए थे। और पूर्णकालिक का आदेश हुआ अगस्त 2022 में। पूर्णकालिक डीजीपी में दो साल का टेन्योर मिलता है। भले ही रिटायरमेंट में छह महीने बचा हो मगर पोस्टिंग डेट से दो साल का कार्यकाल रहता है। ये और बात की...भारत सरकार ने जुनेजा को छह महीने का एक्सटेंशन दे दिया। इसलिए वे फरवरी 2025 में रिटायर हुए। इस तरह उन्हें 11 प्लस छह याने 17 महीने का एक्स्ट्रा लाभ मिल गया। मगर इस समय यूपीएससी से पेनल में दो अफसरों के नाम आए हैं, उन्हें इसका लाभ नहीं मिलेगा। क्योंकि, अगर अरुणदेव गौतम डीजीपी बनते हैं तो उनका करीब दो साल बाद जुलाई 2028 में रिटायरमेंट है। याने वैसे भी दो साल ही बचा है उनके कार्यकाल में। हिमांशु गुप्ता का भी जून 2029 में रिटायरमेंट है। बोनस टाईम का फायदा हिमांशु को भी नहीं होगा। हां अगर राज्य सरकार लेट कर दो महीने बाद पूर्णकालिक डीजीपी का आदेश निकाले तो फिर गौतम को दो महीने का फायदा मिल जाएगा।
थैंक्स गॉड, जान बची
सुशासन तिहार का टेंशन तो सभी अधिकारियों को था मगर कलेक्टर, एसपी की जान ज्यादा सांसत में थी...न जाने क्या चूक हो जाए, और निबटा दिए जाएं। मुख्यमंत्री ने पहले ही दिन यह कहते हुए डरा दिया था कि कोई भी गड़बड़ी पाई गई तो सीधे कलेक्टर-एसपी सस्पेंड होंगे। मगर सब कुछ गुडी-गुडी निकल गया तो आज शाम इन अफसरों ने थैंक्स गॉड कहा।
अंत में दो सवाल आपसे
1. यूपीएससी से पेनल आने के बाद पूर्णकालिक डीजीपी का आदेश निकलने में विलंब की वजह क्या है?
2. क्या ये सही है कि सुशासन तिहार में पुअर पारफर्मेंस की वजह से कुछ कलेक्टरों को बदला जा सकता है?