IPS Parul Mathur Biography in Hindi: आईपीएस पारुल माथुर का जीवन परिचय (जीवनी), जानिए कौन है छत्तीसगढ़ कैडर की पहली छत्तीसगढ़िया आईपीएस पारुल माथुर?

IPS Parul Mathur Biography, Hindi, Age,wiki, wife,Family, Children, Name, Date of Birth, wife, Family, Height, Career, Nick Name, Net Worth:– आईपीएस पारुल माथुर छत्तीसगढ़ कैडर की 2008 बैच की आईपीएस अफसर है। वे मूलतः छत्तीसगढ़ की ही रहने वाली हैं। पारुल माथुर छत्तीसगढ़ प्रदेश से यूपीएससी क्रैक कर आईपीएस बनने वाली पहली महिला अभ्यर्थी हैं। उनके पिता भी 1974 बैच के आईपीएस अफसर रहें हैं।

Update: 2024-06-21 15:16 GMT

IPS Parul Mathur

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एनपीजी। पारुल माथुर छत्तीसगढ़ कैडर की 2008 बैच की आईपीएस अफसर हैं। वे मूलतः भी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की रहने वाली है। उनके पिता राजीव माथुर भी डायरेक्ट यूपीएससी क्रैक कर 1974 बैच के आईपीएस बने थे। पिता के पद चिन्हों पर चलकर पारुल माथुर ने समाज के लिए कुछ अच्छा करने के उद्देश्य से सिविल सर्विसेस में जाने का सपना बचपन से ही पाला। इसी सपने के चलते उन्होंने ग्रेजुएशन भी ह्यूमैनिटीज सब्जेक्ट से की। प्रदेश के महिला आईपीएस अफसरों में पारुल माथुर पहली लोकल छत्तीसगढ़िया आईपीएस हैं। उनके बारे में कह सकते हैं कि जिस तरह से किरण बेदी देश की पहली महिला आईपीएस थीं ठीक उसी तरह पारुल माथुर छत्तीसगढ़ प्रदेश से यूपीएससी क्रैक कर बनी पहली महिला आईपीएस हैं। आईए जानते हैं उनके बारे में....

जन्म और शिक्षा:–

पारुल माथुर छत्तीसगढ़ कैडर की 2008 बैच की आईपीएस अफसर हैं। वे छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की रहने वाली हैं। उनका जन्म 15 मार्च 1982 को दिल्ली में हुआ है। उनके पिता राजीव माथुर आईपीएस अफसर रहें है और डीजी रैंक से सेवानिवृत हुए हैं। पारुल माथुर के पिता राजीव माथुर राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के निदेशक रहे हैं। जबकि उनकी माता रेखा माथुर शिक्षिका रहीं हैं। तीनों बच्चियों के थोड़ी बड़ी हो जाने पर प्राइवेट स्कूल में अध्यापन कार्य शुरू किया था। राजीव व रेखा माथुर की तीन पुत्रियां हैं। पारुल माथुर उनकी मंझली लड़की हैं। पारुल माथुर से बड़ी बहन पायल माथुर विदेश ने विदेश में फाइनेंस सेक्टर से पढ़ाई की है। वे विदेश में ही फाइनेंस सेक्टर में मल्टीनेशनल बैंकिंग कंपनी में कार्यरत है। जबकि उनकी छोटी बहन रूपाली माथुर मुंबई में डॉक्टर है उन्होंने बिलासपुर के सिम्स से एमबीबीएस की डिग्री ली है। वे एमडी मेडिसिन हैं। राजीव– रेखा माथुर का कोई लड़का नही है। पर माथुर दंपत्ति को इस बात का कोई मलाल नहीं है। उन्हों अपनी बेटियों को बेटों से काम नहीं माना। उन्हें हर तरह से सपोर्ट किया और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर उनके हर फैसले में उनके साथ खड़े रहे। यही वजह है कि उनकी तीनों संताने अच्छी शिक्षा ले आज एक अच्छे मुकाम पर पहुंच पाईं।

पारुल माथुर की स्कूलिंग पिता की नौकरी के चलते अलग अलग जगहों से हुई। सागर, सतना, रीवा, भोपाल ग्वालियर, जबलपुर, आदि शहरों में पिता की पदस्थापना के चलते पारुल ने वहां के स्कूलों से पढ़ाई की। सन 1999 में पारुल माथुर का परिवार रायपुर आ गया। फिर उनके पिता ने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद छत्तीसगढ़ कैडर ही चुन लिया। रायपुर के होली क्रॉस कापा स्कूल से 12वीं की पढ़ाई पारुल माथुर ने की। दसवीं के बाद पारुल माथुर ने ग्यारहवीं व बारहवी की पढ़ाई भौतिकी, रसायन व बायोलॉजी विषयों के साथ की। बारहवीं में पारुल माथुर के 82% अंक आए थे।

बारहवीं के बाद दिल्ली के दिल्ली यूनिवर्सिटी अंतर्गत श्रीराम कॉलेज से हिस्ट्री ऑनर्स में पारुल माथुर ने बीए किया। ग्रेजुएशन में पारुल माथुर ने यूनिवर्सिटी में टॉप किया था। यूजी के बाद पीजी डिग्री के लिए जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से हिस्ट्री में ही एमए किया। एमए में उनके 64% अंक आए। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद पारुल माथुर ने यूजीसी– नेट,जे आरएफ की परीक्षा भी क्वालीफाई की। एमफिल करने के दौरान पारुल माथुर का यूपीएससी में सलेक्शन हो गया।

यूपीएससी में सलेक्शन:–

पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद पारुल माथुर ने दिल्ली में ही रहकर कोचिंग कर यूपीएससी की तैयारी शुरू की। पारुल माथुर तैयारी के दौरान नोट्स बनाने पर विश्वास नहीं करती थीं। वे बुक में ही नीचे इंपॉर्टेंट पॉइंट्स को पेंसिल से अंडरलाइन कर लेती थी। उन्होंने बार-बार रिवीजन को तवज्जो दी। जब पारुल माथुर ने यूपीएससी दिलाई, उस समय प्री में जनरल स्टडी के अलावा एक ऑप्शनल विषय सब्जेक्ट के तौर पर चुनना होता था। प्री में एक जीएस और एक ऑप्शनल विषय की परीक्षा होती थी। जबकि मेंस में दो वैकल्पिक विषय चुनने होते थे। यूपीएससी के फर्स्ट अटेम्प्ट में पारुल को अपने प्री के ऑप्शनल सब्जेक्ट हिस्ट्री के बारे में थोड़ा ओवर कांफिडेंस हो गया था कि वे अपने विषय के बारे में अच्छे से बेहतर जानती हैं। लिहाजा वे चयन से चूक गईं और उनका प्रथम प्रयास में प्री भी नही निकला। पर दूसरे ही प्रयास में पारुल माथुर ने प्रारंभिक मुख्य परीक्षा के साथ साक्षात्कार निकालते हुए 132 वीं रैंक के साथ यूपीएससी क्रैक की।

पारुल माथुर पिता की वर्किंग प्रोफाइल को देखते हुए शुरू से ही सिविल सर्विसेस में जाना चाहती थीं। प्राइवेट सेक्टर में या विदेश में जॉब करने का उन्होंने कभी नहीं सोचा। वे देश में रह कर समाज की मदद करना चाहती थी। इसलिए शुरू से ही उनका लक्ष्य यूपीएससी था। हालांकि उन्होंने सर्विस ऑप्शन चुनने के समय आईएएस को तरजीह दी थी। दूसरे नंबर पर उन्होंने आईपीएस का विकल्प भरा था। दो प्रयास बाकी रहने के बाद भी छत्तीसगढ़ होम कैडर एलॉट होने पर उन्होंने फिर से यूपीएससी दिलाने की नहीं सोची और आईपीएस की सर्विस को ही अपना जुनून बना लिया। मुख्य परीक्षा के लिए वैकल्पिक विषयों में पारुल माथुर ने ज्योग्राफी व हिस्ट्री को चुना था।

प्रोफेशनल कैरियर:–

पारुल माथुर ने 1 सितंबर 2008 को आईपीएस की सर्विस ज्वाइन की। वे प्रशिक्षु आईपीएस के तौर पर अविभाजित रायपुर जिले में पदस्थ रहीं। उन्हें तब के रायपुर एसपी अमित कुमार ने बलौदा बाजार थाने का थाना प्रभारी बनाया। एसएचओ के क्वार्टर में रहने के दौरान पारुल को अक्सर सांपों से सामना करना पड़ता था। पुराने जमाने के एसएचओ क्वार्टर में कभी बिस्तर के नीचे से तो कभी किचन में सांप निकलते थे। बलौदाबाजार में थाना प्रभारी रहने के बाद पारुल माथुर बिलासपुर जिले में तारबाहर सीएसपी बनीं। इस दौरान भाजपा नेता के होटल में देह व्यापार के मामले में उन्होंने रेड मारी थीं। कबाड़ियों के अलावा मिट्टी तेल चोरी के लिए चर्चित बदमाश मुल्तान पर नकेल कसी थीं। बिलासपुर के बाद पारुल माथुर छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल ग्यारहवीं बटालियन जांजगीर की कमांडेंट बनीं।

एसपी के तौर पर पहली पदस्थापना उन्हें बेमेतरा जिले में मिली। पारुल माथुर बतौर पहली बार बेमेतरा की एसपी बन कर गईं। बेमेतरा के बाद पारुल माथुर रेलवे, जीआरपी की एसपी बनीं। इस दौरान उन्होंने चेतना कार्यक्रम चलाया। चेतना कार्यक्रम के तहत स्कूलों के छोटे बच्चों से बात कर गुड टच, बैड टच की जानकारी दी जाती है। दरअसल चरौदा स्कूल में एक शिक्षक के द्वारा स्कूल की ही एक बच्ची से गलत हरकत की जाती थी। जिस पर पुलिस के द्वारा अपराध दर्ज किया गया था। पारुल माथुर ने उक्त स्कूल में जाकर पीड़ित बच्ची के अलावा अन्य बच्चों से बात की। तब उन्हें लगा कि छोटे बच्चों को उन्हीं के शब्दों में उन्हीं की समझ के अनुसार उनका भला बुरा समझाया जाना चाहिए। तब उन्होंने चेतना कार्यक्रम की शुरुआत की और इसे चैलेंज के रूप में लिया।

चेतना कार्यक्रम के लिए यूनिसेफ से बात कर इसकी फंडिंग करवाई। साथी पुलिस मुख्यालय के माध्यम से 20 जिलों के 200 पुलिस अधिकारियों को अभियान में शामिल कर उनकी ट्रेनिंग करवाई। बच्चों को गुड टच और बेड टच की जानकारी के अलावा पुलिस अधिकारियों को भी अभियान के तहत यह सिखाया जाता था कि छोटे बच्चों से किस तरह बात कर चीजें सामने लानी है। अभियान को चाइल्ड इंपावरमेंट थ्रू नालेज एंड अवेयरनेस ( चेतना) नाम दिया गया था। इस कार्यक्रम के तहत कई शॉर्ट मूवी, पोस्टर्स बना जागरूकता फैलाई।

रेलवे के बाद पारुल माथुर मुंगेली जिले की एसपी बनीं। मुंगेली के बाद वे जांजगीर– चांपा जिले की एसपी रहीं। यहां 7 साल के बच्चे के चर्चित अपहरण कांड में पारुल माथुर ने 12 घंटे में ही बच्चे को रेस्क्यू किया। पारुल माथुर के जांजगीर में पदस्थ रहने के दौरान वहां एसपी के अलावा एडिशनल एसपी, आरआई, एसडीओपी, डीएसपी हेड क्वार्टर सभी महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं ही पदस्थ थीं। पारुल माथुर ने इस दौरान काफी अच्छे से जिला चलाया। वे 28 माह तक जांजगीर जिले में पदस्थ रहीं। जांजगीर के बाद पारुल माथुर गरियाबंद जिले के एसपी बनीं। इस दौरान डकैत गिरोह का खुलासा किया। गरियाबंद के बाद पारुल माथुर बिलासपुर जिले की एसपी बनीं। वह यहां 13 माह तक पदस्थ रहीं। बिलासपुर में रहने के दौरान यहां ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने की दिशा में पारुल ने काम किया। फिर पारुल माथुर को छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में सरगुजा रेंज का डीआईजी बनाकर भेजा गया। वर्तमान में पारुल माथुर डीआईजी प्रशासन के पद पर पुलिस मुख्यालय में पदस्थ हैं।

पारुल माथुर को शुरू से ही मिलनसार अफसर पारुल माथुर को शुरू से ही मिलनसार अफसर के तौर पर जाना जाता है। पद का रौब उनके व्यक्तित्व में बिल्कुल भी नही झलकता। जनता के अलावा अपने अधीनस्थ कर्मियों व साथी अफसरों का वो भरपूर सहयोग करती हैं। उनकी बैचमेट नीतू कमल केरल राज्य से हैं। सर्विस की शुरुआत में भाषा में दिक्कतें होने के चलते नीतू कमल को उन्होंने स्थानीय भाषा सीखने में काफी मदद की थी।

विवाह:–

पारुल माथुर ने मोहित माथुर से विवाह किया। मोहित माथुर एमबीए करके अमेजॉन कंपनी में जॉब कर रहे थे। पर परिवार को समय देने के लिए व परिवार के साथ रहने के लिए मोहित माथुर ने प्राइवेट कंपनी की जॉब छोड़ राजधानी रायपुर में अपना बिजनेस सेटअप किया। पारुल व मोहित माथुर का एक पुत्र है।

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