IPS GP Singh: DG प्रमोट होने IPS जीपी सिंह को पार करनी होगी ये बाधाएं, 5 फरवरी के बाद स्थिति क्लियर...

IPS GP Singh: छत्तीसगढ़ कैडर क़े आईपीएस जीपी सिंह क़े लिए आज शुक्रवार बड़ी खुशखबरी लेकर आया. भारत सरकार ने आज बर्खास्तगी समाप्त कर उनका आईपीएस बहाल कर दिया. मगर उन्हें DG प्रमोट होने के लिए इंतजार करना होगा.

Update: 2024-12-12 13:56 GMT

IPS GP Singh

IPS GP Singh: रायपुर. भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट क़े फैसले क़े बाद आज जीपी सिंह की आईपीएस की सर्विस बहाल कर दी. इसके बाद अब छत्तीसगढ़ सरकार उनकी पोस्टिंग आदेश जारी करेगी.

जीपी सिंह की बहाली के कैट के फैसले को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. मगर सुनवाई क़े बाद कल देश की शीर्ष अदालत ने केंद्र की याचिका ख़ारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट क़े तेवर को देखते भारत सरकार ने 24 घंटे क़े भीतर जीपी सिंह की सेवा बहाल कर दिया.

विभागीय जांच का रोड़ा

जीपी सिंह की कानूनी बधाएं दूर हो गई है. मगर अभी विभागीय जांच खत्म नहीं हुई है. विभागीय जांच क़े बाद उनका प्रमोशन का प्रोसेस चालू होगा. तब तक उनकी ADG की पोस्टिंग होल्ड करना पड़ेगा. बता दें, उनके बैच का DG प्रमोशन शुरू हो चुका है. जीपी 94 बैच के आईपीएस हैं. जीपी अपने बैच के टॉपर हैं. उनके बाद दूसरे नंबर पर हिमांशु गुप्ता हैं. चूकि जीपी सेवा में नहीं थे, इसलिए हिमांशु को सरकार ने DG प्रमोट कर दिया. और सीनियर होने के बाद भी जीपी चूक गए.

डीजी के लिए इंतजार

बहाली के बाद डीजी पद पर प्रमोशन के लिए आईपीएस जीपी सिंह को विभागीय जांच क़े साथ ही 5 फरवरी का इंतजार करना होगा. इस डेढ़ महीने में विभागीय जांच क्लियर हो गई, जो होना ही है...मगर तब पोस्ट खाली नहीं रहेगा. छत्तीसगढ़ में इस समय डीजी क़े चार पद हैं. दो कैडर पोस्ट और दो एक्स कैडर पद. जुनेजा क़े अलावे अभी पवनदेव, अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता डीजी हैं. याने चारों भरे हुए हैं. अशोक जुनेजा का 5 फरवरी 2024 को कार्यकाल खत्म हो जाएगा. उसके बाद एक पोस्ट खाली हो जाएगा. फिर जीपी डीजी प्रमोट हो सकते हैं.

आईपीएस जीपी सिंह का जीवन परिचय:- जीपी सिंह छत्तीसगढ़ कैडर के 1994 बैच के आईपीएस है। वे मूलतः उड़ीसा के रहने वाले है। बीई करने के बाद आईपीएस बने है। पहले मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस थे। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने पर उन्होंने छत्तीसगढ़ कैडर चुन लिया। आइए जानते हैं उनके बारे में...

जन्म और शिक्षा:–

जीपी सिंह का पूरा नाम गुरजिंदर पाल सिंह है। उनका जन्म 1 जनवरी 1969 को हुआ है। उन्होंने बीई मैकेनिकल की डिग्री ली है। फिर यूपीएससी क्रैक किया।

प्रोफेशनल कैरियर:–

गुरजिंदर पाल सिंह ने 4 सितंबर 1994 को आईपीएस की सेवा ज्वाइन की। पहले वे मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस थे। वे प्रशिक्षु आईपीएस के तौर पर ग्वालियर में तैनात रहें। इंदौर के एडिशनल एसपी भी रहें। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जीपी सिंह ने छत्तीसगढ़ कैडर चुन लिया। वे यहां महासमुंद व दंतेवाड़ा एसपी रहे। दंतेवाड़ा में उनके नक्सल विरोधी अभियान को काफी सफलता मिली। उन्होंने कई नक्सलियों को सरेंडर करवाया।

वे बिलासपुर रेंज के आईजी रहें। इसके अलावा रायपुर व दुर्ग के आईजी भी रहे हैं। एडीजी दूरसंचार व तकनीकी सेवाएं व परिवहन में रहे हैं। छत्तीसगढ़ के एसीबी ( एंटी करप्शन ब्यूरो) के चीफ रहे हैं।

सेवामुक्त होने से कैट से बहाली आदेश जारी होने की कहानी:–

छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस जीपी सिंह के यहां भूपेश सरकार के समय एसीबी की टीम ने 1 जुलाई 2021 को छापा मारा था। उनके रायपुर के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले समेत राजनांदगांव,उड़ीसा के लगभग 15 ठिकानों पर छापा मारा गया था। 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति व संवेदनशील दस्तावेज मिलने को आधार बनाकर जीपी सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज कर 5 जुलाई 2021 को उन्हें निलंबित कर दिया गया था। निलंबन के तीन दिन बाद 8 जुलाई को उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला भी दर्ज किया था। इसके अगले ही दिन 9 जुलाई 21 को जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने खिलाफ दर्ज मामलों में सीबीआई जांच की मांग की थी। इस बीच गिरफ्तारी से बचने के लिए जीपी सिंह भूमिगत हो गए थे। पर एसीबी की टीम ने 11 जनवरी 2022 को उन्हें नोएडा से गिरफ्तार कर लिया था। 120 दिन जेल काटने के बाद मई 22 में उन्हें जमानत मिल सकी थी।

20 साल की सेवा या 50 साल की उम्र करने पर कंपलसरी रिटायरमेंट की जा सकती है। इस आधार पर राज्य शासन ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए केंद्र सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स को अनुशंसा की थी। राज्य शासन की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राजस्थान कैडर के आईपीएस के नेतृत्व में समिति बना समीक्षा के बाद 21 जुलाई 23 को जीपी सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी।

जीपी सिंह ने इसके खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में याचिका लगाई थी और खुद को सेवा से पृथक करने को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के बाद कैट ने उनके सभी मामलों के निराकरण करने व चार सप्ताह में बहाली के निर्देश दिए है।

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