IAS Rahul Dev Biography in Hindi: आईएएस राहुल देव का जीवन परिचय (जीवनी), जानिए कौन है लोकल छत्तीसगढ़िया आईएएस राहुल देव?
IAS Rahul Dev Biography, Hindi, Age,wiki, wife,Family, Children, Name, Date of Birth, wife, Family, Height, Career, Nick Name, Net Worth:– राहुल देव छत्तीसगढ़ कैडर के 2016 बैच के आईएएस है। वे लोकल छत्तीसगढ़िया आईएएस हैं। वे मूलतः छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले के रहने वाले है। अंबिकापुर से आईएएस चयनित होने वाले वे पहले शख्स हैं। बचपन से ही अपनी पढ़ाई का लोहा मनवाने वाले मेधावी राहुल देव ने अपने प्रथम प्रयास में ही यूपीएससी क्रैक की और आईएएस बने।
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एनपीजी। राहुल देव छत्तीसगढ़ कैडर के 2016 बैच के आईएएस है। उन्होंने यूपीएससी 2015 की परीक्षा अपने प्रथम प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 279 वें रैंक के साथ क्रैक की है। अंबिकापुर के रहने वाले राहुल देव की स्कूली पढ़ाई अंबिकापुर फिर दुर्ग जिले से हुई। फिर एनआईटी से बीटेक कर वे यूपीएससी क्रैक कर आईएएस बने। वर्तमान में मुंगेली जिले के कलेक्टर है। बतौर कलेक्टर मुंगेली उनका पहला जिला भी हैं। आईए जानते है उनके बारे में...
जन्म और परिवार:–
राहुल देव छत्तीसगढ़ कैडर के 2016 बैच के आईएएस हैं। उनका जन्म 16 मई 1993 को हुआ है। उनके पिता देव कुमार गुप्ता अंबिकापुर जिले के लुंड्रा ब्लॉक के बीईओ हैं। उनकी माता आशा गुप्ता अंबिकापुर ब्लॉक के शासकीय नमनकला माध्यमिक शिक्षा स्कूल में शिक्षिका हैं। राहुल देव के छोटे भाई शुभम देव ने आईआईटी कानपुर से बीटेक की डिग्री ली है। वह अभी यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं। उनका चयन सीजी पीएससी के माध्यम से डिप्टी कलेक्टर के पद में भी हो चुका है।
शिक्षा:–
राहुल देव की प्राथमिक शिक्षा अविभाजित अंबिकापुर जिले के रामानुजगंज ब्लॉक ( वर्तमान में बलरामपुर– रामानुजगंज) मुख्यालय के प्राथमिक शाला मां शारदा बाल निकेतन स्कूल में केजी वन से पांचवी तक हुई। छठवीं से आठवीं तक शासकीय माध्यमिक शाला उदयपुर से पढ़ाई पूरी की। पांचवी–आठवीं की परीक्षा में राहुल देव प्राविण्य सूची में रहे थे। राहुल देव के माता-पिता चाहते थे कि वे आगे की शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से अर्जित करें। इसके लिए उन्हें अंबिकापुर लाकर के अंग्रेजी स्कूलों में दाखिला करवाने का प्रयास उनके पिता ने किया। पर हिंदी माध्यम से होने की वजह से इंग्लिश मीडियम स्कूल में दाखिला मिलने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा और इंग्लिश मीडियम स्कूल में एडमिशन नहीं होने की स्थिति आई। इसके बाद ओरिएंटल पब्लिक इंग्लिश मीडियम स्कूल ने उन्हें किसी तरह प्रवेश दिया। हिंदी माध्यम से इंग्लिश माध्यम में प्रवेश लेने की वजह से राहुल देव को शुरुआत में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्हें अंग्रेजी समझ में नहीं आता था उनका आत्मविश्वास भी डगमगाया। उन्हें लगता था कि वह स्कूल के सबसे कमजोर विद्यार्थी हैं। पर लगातार कड़ी मेहनत के चलते उन्होंने इंग्लिश माध्यम होने पर भी स्कूल में टॉप किया। दसवीं में राहुल के 87% अंक आए थे। नौवीं व दसवीं ओरिएंटल पब्लिक स्कूल से पूरी करने के बाद 11वीं और 12वीं के लिए उन्होंने डीपीएस स्कूल भिलाई में एडमिशन लिया। भौतिकी, रसायन व गणित विषयों के साथ हायर सेकेंडरी परीक्षा 89.6% अंकों के साथ उत्तीर्ण करने के बाद एआईईईई परीक्षा क्रैक कर वारंगल एनआईटी में प्रवेश लिया। सिविल ब्रांच से 7.97% सीजीपीए के साथ बीटेक की डिग्री लेने के बाद उन्हें कैंपस सलेक्शन के माध्यम से लार्सन ऐंड टुब्रो मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब भी मिला। यूपीएससी की तैयारी करने के विचार के चलते उन्होंने यह जॉब ज्वाइन नहीं की।
यूपीएससी में सलेक्शन:–
यूपीएससी की तैयारी के दौरान राहुल देव बड़े विषम परिस्थितियों से गुजरे। राहुल देव के खुद की तबियत खराब थी। उनके भाई का भी एक्सीडेंट हो गया था। पर राहुल देव ने इन कठिन परिस्थितियों में भी अपना विजन क्लियर रखा था कि यूपीएससी क्लियर करना है। अपनी इसी शिद्दत से की गई मेहनत के चलते यूपीएससी के अपने पहले अटेम्प्ट में ही राहुल देव आईएएस सलेक्ट हो गए। मुख्य परीक्षा हेतु उनका वैकल्पिक विषय समाज शास्त्र था। आईएएस बनने से पहले राहुल देव का चयन रेलवे में सेक्शन इंजीनियर व यूपीएससी के माध्यम से होने वाले असिस्टेंट कमांडेंट परीक्षा में भी हुआ था। पर यूपीएससी पर ध्यान देने के चलते उन्होंने ज्वाइन नहीं किया। इसमें उनके पिता डीके गुप्ता की महत्वपूर्ण भूमिका रही। राहुल देव के पिता ने उन्हें सिर्फ यूपीएससी की तैयारी हेतु काफी प्रेरित किया और कहा कि वह फिलहाल अपना ध्यान यूपीएससी पर केंद्रित करें। नौकरी तो आगे भी होती ही रहेगी। यूपीएससी 2015 में 279 वीं रैंक के साथ वे यूपीएससी सलेक्ट हुए।
लबासना में ट्रेनिंग:–
लाल बहादुर शास्त्री प्रशिक्षण अकादमी मसूरी में ट्रेनिंग के दौरान राहुल देव ने आज के छत्तीसगढ़ के राज्य गीत अरपा पैरी के धार गाकर देशभर के प्रशिक्षु अफसरों के सामने लबासना में प्रस्तुति दी थी। सभी अवसर अपने-अपने राज्यों की संस्कृति की प्रस्तुति दे रहे थे। पर राहुल देव छत्तीसगढ़ राज्य से आईएएस चुने जाने वाले अकेले थे। लिहाजा उन्होंने अकेले ही दी जा सकने वाली प्रस्तुति चुनी। उस समय "अरपा पैरी के धार" को राज्यगीत का दर्जा नहीं मिला था। वह केवल छत्तीसगढ़ का एक लोक गीत था। पर राहुल देव ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति को देश भर के भावी अफसरों के सामने रखने के लिए इस गीत का चयन किया। इसमें उनका साथ छत्तीसगढ़ के महासमुंद से आईपीएस के लिए चुने गए त्रिलोक बंसल ने दिया। जब राहुल ने यह गाना गाया तब त्रिलोक ने इसमें डांस कर परफॉर्म किया। बता दे कि त्रिलोक बंसल आईपीएस बनने से पहले इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस के अफसर थे और रेलवे में कार्यरत थे। वर्तमान में वह खैरागढ–छुईखदान–गंडई जिले के एसपी हैं।
प्रोफेशनल कैरियर:–
राहुल देव ने 29 अगस्त 2016 को आईएएस की सर्विस ज्वाइन की है। वे ट्रेनिंग के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय में तीन माह तक अवर सचिव रहे थे। फिर बस्तर में फील्ड पोस्टिंग के लिए सहायक कलेक्टर नियुक्त हुए। जिसके बाद जांजगीर जिले के चांपा अनुविभाग में एसडीएम बने। फिर वे कोरबा नगर निगम आयुक्त रहे हैं। कोरबा नगर निगम आयुक्त रहते हुए उन्होंने कोरबा को पॉलिथीन मुक्त करने का अभियान चलाया था। जिसमें काफी सफलता भी मिली थी। कोरबा के बाद नारायणपुर के जिला पंचायत सीईओ राहुल देव रहे हैं। इस दौरान नारायणपुर के मलखंब को विश्व स्तर पर प्रसिद्धि दिलाने में राहुल देव की भूमिका महत्वपूर्ण रहीं। इसके अलावा रोजगार गारंटी योजना नरेगा में कैश पेमेंट बंद करवा कर मजदूरी की राशि खातों में कैशलेस माध्यम से पेमेंट करवाने का काम राहुल देव ने किया। नक्सली जिला होने के चलते यहां मजदूरी की राशि कैश में पेमेंट करने की छूट थी। पर इस व्यवस्था में बड़ी लीकेज थी। यह पैसा नक्सलियों तक पहुंचता था। इसलिए राहुल देव ने कैशलेस पेमेंट की व्यवस्था करवाई जिससे नक्सलियों को पैसा पहुंचना बंद हो गया।
नारायणपुर के बाद सूरजपुर में भी राहुल देव सीईओ के पद पर पदस्थ रहे हैं। इस दौरान सूरजपुर कला केंद्र को विकसित करवाने का काम राहुल देव ने किया। इसके अलावा 270 गांवों में चौपाल लगाकर जिला प्रशासन के साथ मिलकर उन्होंने ग्रामीणों की समस्याओं को सुलझाया। सूरजपुर के बाद राहुल देव जांजगीर-चांपा जिले में अपर कलेक्टर बने। इस दौरान अविभाजित जांजगीर जिले के मालखरौदा ब्लॉक के पिहरिद गांव में 10 वर्षीय बालक राहुल साहू के बोर के खुले गड्ढे में गिरने पर 105 घंटे तक लगातार देश का सबसे कठिन रेस्क्यू चला कर सुरक्षित निकालने वाले अभियान में राहुल देव की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
मुंगेली जिला बतौर कलेक्टर उनका पहला जिला है। यहां उन्होंने आकांक्षा प्रोजेक्ट के माध्यम से 1600 लोगों को निजी क्षेत्रों में नौकरी लगवाई। मुंगेली में भी कला केंद्र का विकास करवाया। विधानसभा चुनाव 2023 व लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से मतदान करवाया। मतदाताओं को प्रेरित करने के लिए प्रदेश में पहला व सबसे बड़ा स्वीप क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन करवाया। लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल देव ने रोजगार की तलाश में जिले से बाहर जा चुके 8 हजार से अधिक मतदाताओं को प्रेरित कर वोटिंग हेतु घर वापस बुलवाया। जिले के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की गतिविधियों पर जिला कलेक्टर राहुल देव पहली नजर रखते हैं नियमित तौर पर ड्यूटी करते हैं। इससे मातृ शिशु मृत्यु दर में भी गिरावट आई है।
जीवन साथी:–
राहुल देव ने छत्तीसगढ़ कैडर की 2014 बैच की आईपीएस भावना गुप्ता से शादी की है। मूलतः पंजाब की रहने वाली भावना गुप्ता ने आईआईटी मुंबई से 2012 में बीटेक कंप्लीट किया है। बीटेक पूरा करने के अगले ही साल 2013 में अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्रैक कर 2014 बैच की आईपीएस बनी। भावना गुप्ता ने यूपीएससी सिलेक्शन के बाद एकेडमिक ट्रेनिंग के दौरान फाउंडेशन कोर्स में गोल्ड मेडल पाया था। इसके अलावा 2014 आईपीएस बैच की बेस्ट ऑलराउंडर लेडी प्रोबेशनर भी रही हैं। छत्तीसगढ़ में इंटरनेशनल आईएसीपी अवार्ड सिर्फ तीन आईपीएस को मिला है। जिनमें आरिफ हुसैन शेख व संतोष सिंह के अलावा भावना गुप्ता भी शामिल है। युवक्ति और महिलाओं को सशक्त करने के लिए भावना गुप्ता द्वारा चलाए गए हिम्मत अभियान के लिए उन्हें फिक्की अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है। खेलों में भी भावना गुप्ता का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा है।। ऑल इंडिया पुलिस चैंपियनशिप में भावना गुप्ता चार बार गोल्ड मेडल जीत चुकी है। हाल ही में सरदार वल्लभभाई पटेल पुलिस ट्रेनिंग अकादमी हैदराबाद में हुए एमसीटीपी कोर्स ट्रेंनिंग प्रोग्राम में भावना गुप्ता ने पूरे देश में टॉप किया था। इस प्रोग्राम में देश भर के आईपीएस ने भाग लिया था।
जुझारू भावना गुप्ता पहले पश्चिम बंगाल कैडर की आईपीएस थी। अपने पति के छत्तीसगढ़ कैडर में आने के लिए इंटर कैडर चेंज करने हेतु उन्हें सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़नी पड़ी थी। वह छत्तीसगढ़ में सूरजपुर, अंबिकापुर, बेमेतरा जिलों की एसपी रह चुकीं हैं। वर्तमान में वहां जीपीएम जिले की एसपी है।