IAS News: ऐसे-ऐसे आईएएसः पीएससी के पूर्व चेयरमैन टामन सोनवानी ने जब कलेक्टर और सीईओ के डबल चार्ज में कर दिया था करोड़ों का खेला

IAS News: छत्तीसगढ़ पीएससी के चेयरमैन रहते टामन सिंह सोनवानी के खिलाफ पीएससी परीक्षा में बडा गोलमाल करने का आरोप लगा। उन पर कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ के डबल चार्ज में रहने पर करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ। इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी और जिला पंचायत सीईओ रहे तारन प्रकाश सिनहा ने गवाही दी। इसके बाद भी सोनवानी को सिर्फ एक साल के लिए एक ग्रेड नीचे करने की सजा देकर छोड़ दिया गया।

Update: 2024-10-24 12:40 GMT


टामन सिंह सोनवानी

IAS News: रायपुर। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के विवादों में आने के बाद विवादित रहे पीएससी अध्यक्ष टॉमन सिंह सोनवानी अपनी आईएएस की सेवा के दौरान भी दागी रहे थे। सोनवारी के परिवार के कई सदस्यों के चयन के बाद छत्तीसगढ़ पीएससी में देशभर में सुर्खियां बटोरी थी। मामले की जांच सीबीआई कर रही है, इस बीच सोनवानी ने अपनी सरकारी नौकरी के दौरान जो कारनामा किया, उसकी भी चर्चा होने लगी है।

सोनवानी के भ्रष्‍टाचार से जुड़ा एक बेहद चर्चित मामला है। यह मामला 2014 से 2015 के बीच का है। तब सोनवानी जिला पंचायत जांजगीर-चांपा के मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी थे। मौजूदा वित्‍त मंत्री ओपी चौधरी तब वहां के कलेक्‍टर थे। इसी दौरान ओपी की शादी तय हो गई और वे 10 दिन की छुट्टी पर चले गए। सोनवानी जिले के वरिष्‍ठ अफसर थे, इसलिए नियमानुसार कलेक्‍टर का प्रभार उन्‍हें सौंपा गया। जिला पंचायत के सीईओ के साथ कलेक्‍टर की जिम्‍मेदारी मिलने के बाद सोनवानी के दोनों हाथ में लड्डू आ गए। याने खुद ही प्रपोजल बनाया और खुद ही स्वीकृति

109 लाख की जगह 199 लाख

कलेक्टर ओपी चौधरी के छुट्टी पर जाते ही टामन सिंह सोनवानी ने मनरेगा और 13वें वित्त आयोग के तहत ताबड़तोड़ स्वीकृति देनी प्रारंभ कर दी। मोटे कमीशन के लालच में उन्होंने यह भी नहीं देखा कि सरकार से पैसा कितना स्वीकृत हुआ है। 13वें वित्त आयोग के तहत छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 2014-15 के लिए जांजगीर जिले के लिए 109 लाख रुपए स्वीकृत किया गया था। मगर सोनवानी ने 19 जून 2014 और 20 जून 2014 याने दो दिन में ही़ 199 लाख रुपए के काम को स्वीकृत कर दिया। याने स्वीकृति से 90 लाख ज्यादा के काम। छुट्टी से जब ओपी चौधरी लौटे तो यह देख हड़बड़ा गए।

मजदूरों के पेट पर लात

मनरेगा का कंसेप्ट है कि निर्माण कार्यों में अधिक-से-अधिक लाभ मजदूरों को मिल सकें। इसलिए मजदूरी और निर्माण सामग्री का अनुपात 60ः40 बनाया गया है। याने अगर एक करोड़ का काम है तो उसमें 60 लाख रुपए मजदूरी में भुगतान किया जाएगा और 40 लाख का सामान क्रय किया जाएगा। जांच रिपोर्ट के अनुसार टामन सिंह सोनवानी ने इस अनुपात का पालन नहीं किया। चूकि निर्माण सामग्री में कमीशन मिलता है इसलिए कई निर्माण कार्यों में उन्होंने 79 प्रतिशत तक सामग्री क्रय कर ली। जाहिर है, इससे मजदूरों को कम भुगतान हुआ।

फर्जी जॉब कार्ड

जांच में यह भी पता चला कि पैसे की गड़बड़ी करने के लिए एक ही नाम से दो-दो, तीन-तीन जॉब कार्ड बनवाया गया। याने 155 नंबर का जॉब कार्ड है तो उसके साथ 155 ए नाम से दूसरा जॉब कार्ड बनवा कर दूसरे बैंक में उसका खाता खुलवा लिया गया। जांच कमेटी ने जब 155 ए नाम वाले मजदूर का पता किया तो मालूम हुआ कि इस नाम से कोई मजदूर है नहीं।

एनजीओ पर मेहरबानी

स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत संगम सेवा समिति भडेसर को बिना किया निविदा या आवेदन आमंत्रित किया प्रशिक्षण के लिए 20 लाख स्वीकृत कर दिया गया। आश्चर्य तो यह कि स्वीकृति के तुरंत बाद 14 लाख रुपए जारी भी कर दिया गया।

एक बिल क्रमांक,अनेक भुगतान

जांच कमेटी ने एक बिल क्रमांक से अनेक भुगतान का मामला भी पकड़ा। जांच रिपोर्ट में लिखा गया है कि एक ही बिल क्रमांक से अलग-अलग सामग्रा का भुगतान किया गया। इससे टैक्स की चोरी हुई, वहीं सरकारी खजाने को आर्थिक नुकसान हुआ। आपका यह कृत्य अखिल भारतीय सेवा नियम के विपरीत कदाचरण के श्रेणी में आता है।

विधानसभा में सवाल

विष्णुदेव सरकार के कार्यकाल में बीजेपी के वरिष्‍ठ विधायक अजय चंद्राकर ने यह मामला मानसून सत्र में विधानसभा में उठाया था। चंद्राकर के सवालों का जवाब देते हुए मुख्‍यमंत्री विष्‍णुदेव साय ने विधानसभा में सोनवानी के खिलाफ भ्रष्‍टाचार का मामला साबित होने की जानकारी दी थी।

जांच में सभी 6 ग्राम पंचायतों योजना के दिशा निर्देश व शासकीय निर्देशों का खुला उल्लंघन करने के साथ ही शासकीय राशि का दुरुपयोग का मामला सामने आया। जांच प्रतिवेदन में प्रशासकीय राशि स्वीकृति करने वाले अधिकारी द्वारा जिम्मेदारी का निर्वहन सही ढंग से नहीं किए जाने का भी उल्लेख किया गया है।

विभागीय जांच

इसके बाद विभागीय जांच के लिए विभागीय जांच आयुक्त रायपुर को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था। अपर आयुक्त महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना रायपुर को प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नियुक्त किया गया था। विभाग द्वारा तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत जांजगीर चांपा टॉमन सिंह सोनवानी के विरुद्ध 12 बिंदुओं पर आरोप पत्र जारी किया गया था। 

कार्रवाई की अनुशंसा

अफसरों के अनुसार सोनवानी पर आरोप साबित होने के बाद कार्यवाही की अनुशंसा की गई थी, लेकिन तत्‍कालीन सरकार ने उन्‍हें सख्‍त कार्रवाई करने की बजाय हल्‍के में निपटा दिया। पिछली सरकार ने एक साल के लिए सिर्फ एक ग्रेड नीचे किया गया। और जैसे ही एक साल गुजरा, उन्हें प्रमोशन देकर फिर सिकरेट्री बना दिया गया। इसके बाद फिर वे पीएससी के चेयरमैन बन गए।

कलेक्‍टर का प्रभार छोड़ने से एक दिन पहले 3 करोड़ की स्‍वीकृति

आरोप पत्र के अनुसार 20 जून 2014 को तत्‍कालीन कलेक्‍टर चौधरी ड्यूटी ज्‍वाईन करने वाले थे, इसके ठीक एक दिन पहले सोनवानी ने 3 करोड़ रुपये से ज्‍यादा के 97 कामों की स्‍वीकृति जारी कर दी। इसमें मजदूरी और सामग्री का अनुपात 21ः79 का था। याने 60 प्रतिशत की जगह 21 प्रतिशत राशि मजदूरों को मिली। 79 प्रतिशत राशि की सामग्री क्रय कर ली गई।

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