Chief Secretary: पढिये NPG की अनटोल्ड स्टोरी, कैसे हाई प्रोफाइल हाउस के एक कॉल के बाद बदल गया समीकरण, मनोज पिंगुआ का रुका आदेश...
Chief Secretary: छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन को कल नाटकीय घटनाक्रम में रिटायरमेंट से ढाई घंटे पहले तीन महीने का एक्सटेंशन मिल गया। मगर यह सब ऐसे ही नहीं हुआ, रायपुर से लेकर दिल्ली तक हिल गया। अंत में तय हुआ कि अमिताभ को ही एक्सटेंशन देकर फिलहाल इस बिन बुलाए संकट को कुछ दिन टाला जाए।
Chief Secretary: रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन कल चार साल सात महीने का रिकार्ड टेन्योर कंप्लीट कर रिटायर होने वाले थे। चूकि टाईम काफी ज्यादा हो गया था, लिहाजा न राज्य सरकार उन्हें एक्सटेंशन देना चाहती थी और न ही अमिताभ ने ऐसी कोई इच्छा व्यक्त की थी। याने एक्सटेंशन का कोई इश्यू था ही नहीं। यही वजह है कि अमिताभ के रिटारमेंट से ढाई घंटे पूर्व भारत सरकार ने उन्हें सेवा विस्तार दिया तो लोग हैरान रह गए। अमिताभ भी आवाक थे, क्योंकि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें एक्सटेंशन मिल जाएगा। वे तो राजभवन से विदाई लेकर आ गए थे। जाहिर है, अगर उन्हें एक्सटेंशन का जरा सा भी अंदेशा होता तो फिर राज्यपाल रामेन डेका से मिलने क्यों जाते।
सुब्रत साहू और मनोज पिगुआ के बीच टक्कर
जानकारों का कहना है कि सीएस बनने के लिए नाम तो कई थे मगर टक्कर मुख्यतः सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ के बीच थी। इनमें मनोज पिंगुआ राज्य सरकार के च्वाइस थे। राज्य सरकार की प्रायरिटी में सुब्रत का नाम नहीं था। मगर उनके लिए प्रेशर काफी था। बताते हैं, दो दिन पहले दिल्ली से हाई प्रोफाइल हाउस से सुबत के लिए फोन आया था। मगर सिस्टम में बैठे लोगों को लगा कि इस तरह की सिफारिशें करा दी जाती हैं...समय के साथ वे भूल जाएंगे। मगर कल कैबिनेट के बीच अचानक रायपुर के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति का फोन आया। पूछा गया...दिल्ली का हाउस पूछ रहा है...अभी तक सुब्रत साहू को चीफ सिकरेट्री बनाने का आदेश क्यों नहीं ंजारी हुआ।
इसके बाद अफसरों को सांप सूंध गया। अधिकारी हाउस की सिफारिश को हल्के में ले रहे थे, उन्हें जरा सा भी इल्म नहीं था कि उसके लिए तगादा आ जाएगा। वो भी ऐसे समय में जब मनोज पिंगुआ का आदेश निकलने वाला था। कैबिनेट में मनोज पिंगुआ इसी तैयारी के साथ पहुंचे थे। उन्हें सीएस अमिताभ जैन के बगल में बिठाया गया था, ताकि अमिताभ की विदाई के साथ पिंगुआ को मंत्रियों से इंट्रोड्यूज करा दिया जाएगा। ऐसे में, सुब्रत साहू को सीएस बनाने के लिए दूसरी बार आए फोन से मंत्रालय का पांचवा फ्लोर हिल-सा गया। राज्य सरकार सुब्रत के पक्ष में बिल्कुल नहीं थी। और प्रेशर ऐसा था कि उसे इग्नोर भी नहीं किया जा सकता था। सूत्रों की खबर है, आनन-फानन में यहां से डीओपीटी को फोन लगाया गया। बताया गया...विकट स्थिति आ गई है, मार्गदर्शन करें। सवाल था कि सिफारिश के बाद अगर सुब्रत को मुख्य सचिव नहीं बनाया गया तो अनावश्यक विवाद खड़ा हो जाएगा। सो, दिल्ली से बात कर रास्ता निकाला गया कि अमिताभ जैन को ही तीन महीने का एक्सटेंशन दे दिया जाए। इससे न कोई दुखी होगा और न ही कोई संकट आएगा। इसके बाद चकरी चली...डीओपीटी को अमिताभ के एक्सटेंशन का प्रस्ताव भेजा गया। चूकि पहले से टेलीफोनिक बात हो चुकी थी, सो डीओपीटी ने देर शाम एक्सटेंशन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। हालांकि, डीओपीटी को भी एक्सटेंशन देने में इसलिए वक्त लगा, क्योंकि, मामला संवेदनशील था। इसलिए, वहां भी उच्च स्तर पर काफी मंत्रणा करनी पड़ी होगी।
सुब्रत के लिए सरकार तैयार क्यों नहीं
92 बैच के आईएएस अधिकारी सुब्रत साहू रेणु पिल्ले के बाद दूसरे नंबर के सबसे सीनियर अफसर हैं। वे धमतरी, सरगुजा और दुर्ग जिले के कलेक्टर रह चुके हैं। उनके पिता ओड़िसा के चीफ सिकरेट्री रहे हैं। सुब्रत पिछली कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सिकरेट्री रहे। यही वजह है कि सरकार उन्हें सीएस बनाने से बचना चाह रही है। सुब्रत के नाम पर बीजेपी संगठन के लोग भी तैयार नहीं हो रहे। सरकार मेंं बैठे लोगों की दलील है कि सुनिल कुमार अजीत जोगी के सिकरेट्री रहे मगर उन्हें भी 10 साल बाद मुख्य सचिव बनाया गया। सुब्रत साहू पिछली सरकार में ही सिकरेट्री टू सीएम रहे, उन्हें कैसे सूबे के प्रशासनिक मुखिया की कुर्सी सौंपी जा सकती है। जाहिर है, सुब्रत साहू के लिए सिकरेट्री टू सीएम बनना सीएस बनने की राह में बड़ा रोड़ा बन गया है।